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हिमांशु Kulshreshtha
गुज़रते हैं आज भी अपने शहर की गली – गली, कूचे – कूचे से ख़ुद की तलाश में पहचाना सा कोई चेहरा अब मिलता नहीं तुम जो निकली मेरी जिन्दगी से किसी और से कोई पहचान न रही ©हिमांशु Kulshreshtha आज भी..
आज भी.. #शायरी
read more- @Hardik Mahajan
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,नहीं भी, हाँ कलनहीं हूँ.....।। मैं अग्नि भी, पथ भी, हाँ अग्निपथ हूँ.... मैं अग्नि भी, शमन भी, हाँ अग्निशमन हूँ..... मैं वायु भी,यान भी हाँ वायुयान हूँ.... मैं जल भी,कर भी, हाँ जलकर हूँ.... मैं अव भी, तरण भी, हाँ अवतरण हूँ.... मैं रस भी, पान भी, हाँ रसपान हूँ..... मैं यम भी, राज भी, हाँ यमराज हूँ..... मैं अंत भी,मृत्यु भी, हाँ अंतमृत्यु हूँ.... मैं मृत्यु भी, लोक भी, हाँ मृत्युलोक हूँ......।। ✍️✍️हार्दिक महाजन ©hardik Mahajan मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न
मैं कलम भी,कार भी, हाँ कलमकार हूँ..... मैं स्याह भी, क्लांत भी, हाँ स्याक्लांत हूँ..... मैं तोल भी, मोल भी, हाँ तोलमोल हूँ...... मैं कल भी,न #Poetry
read moreRameshkumar Mehra Mehra
माॅडर्न भी दिखो मर्यादा भी....... बनी रहे......! श्रंगार भी हो जाए.....!! संस्कृति भी बनी रहे..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # माॅडर्न भी दिखो मर्यादा भी,बनी रहे,श्रृंगार भी हो जाए,संस्कृति भी बनी रहे.....
# माॅडर्न भी दिखो मर्यादा भी,बनी रहे,श्रृंगार भी हो जाए,संस्कृति भी बनी रहे..... #Quotes
read moreLove_for_ever_to_write
White हमको भी ठग रही है, तुमको भी ठग रही है, मासूम बन के दुनिया सबको ही ठग रही है। बाज़ार सज रहा है, चाहत की लगती बोली, ऊँची उड़ान देकर अय्याशी ठग रही है। कितना भी बच के चलो, फँसते सभी भँवर में, लालच में फाँसाकर ये सुल्तानी ठग रही है। सब कुछ लुटा के बैठा, खुद को भुला के बैठा, उस शख़्स को उसी की कहानी ठग रही है। नीयत सही नहीं है, लगता है ओ चालाक आदमी है, रोता है सब से ज्यादा उसको चालाकी ठग रही है। ©Prem_pyare हमको भी ठग रही है तुमको भी #bike_wale #ठगी
हमको भी ठग रही है तुमको भी #bike_wale #ठगी #कविता
read moreArora PR
White काँटों के साये में भी कितना खुश रहता हैं फुल लेकिन रोता सिसकता हैं आदमी पाकर साया खुदा क़ा. फिर भी कितना कुछ बक्षा हैं खुदा ने आदमी क़ो फिर भी शुक्रगुजार नहीं हैं आदमी फिर भी ©Arora PR फिर भी
फिर भी #कविता
read moreVickram
Men walking on dark street मैं लिखता हूं खुद को खाली करने के लिए सबसे ज्यादा बोझ सिर्फ मन का होता है इस तरह से आजाद कर लेता हूं खुद को कि कोई बंधन मेरे जिस्म पर न रह जाए नयी सोच के लिए खाली जगह भी जरूरी है इतने ख्यालों को लेकर कहां घूमा जाए हजारों पन्ने लिख कर खुद ही पड़ता हुं मैं खुद से ही अपने सवालों का हल पाता हूं मैं इस तरह मिल लेता हूं मैं अक्सर खुद से ही ताकी किसी और से मिलने की ख्वाहिश न रह जाए ©Vickram #Emotional शौक भी है और दवा भी
#Emotional शौक भी है और दवा भी #शायरी
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