Find the Latest Status about जैसा वृक्ष नेणे स्वाध्याय from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, जैसा वृक्ष नेणे स्वाध्याय.
Rj Kant krishn kant
Vishnu Bhagwan भास ? भास से भाषा, भाषा से विचार, विचारो से चिंतन, और चिंतन में सिर्फ कलिकाल। राधा राधा ©Rj Kant krishn kant स्वाध्याय
YumRaaj ( MB जटाधारी )
**यदि कश्चित् कथमपि अन्यस्य विषये अत्यन्तं उत्साहितः, प्रसन्नः, क्रुद्धः, दुःखितः वा भवति । अतः तस्य वा केनचित् कारणेन तस्मिन् व्यक्तिना क्रुद्धः, यदि च सुखी तदा केनचित् प्रकारेण वा, तदेव तस्य सुखस्य कारणं, यदि सः भावविक्षिप्तः अस्ति तर्हि सः अपि क्रुद्धः भवति, यदि च सः is sad then it is due to कारणं तस्य व्यक्तिस्य प्रति अत्यन्तं आसक्तिः। तथा च आसक्तिः आसक्तिः वा कस्यचित् व्यक्तिस्य दुःखस्य मूलकारणं भवति!** ©YumRaaj YumPuri Wala #Dhund #स्वाध्याय
Archana Patel
कम -से -कम, एक वृक्ष लगाएँ। वातावरण में , हरियाली लाएँ। अधिकतम जीवन जीने का, नुक्सा अपनाएँ। ©Archana Patel वृक्ष
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
जिस भाँति वृक्ष ये कभी नहीं भूलता कि वो भी कभी अंकुरित बीज था। उसी भाँति मानव को सफ़लता प्राप्ति के पश्चात् भी, ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि पहले वो क्या था और किस मार्ग से चलकर यहाँ तक आया है। #वृक्ष
Dilipkashyap
मुझे ये समझ में नहीं आता कि जिस वृक्ष की हमें पूजा करनी चाहिए उस वृक्ष को लोग आसानी से काट कैसे लेते हैं #वृक्ष
deewana ajeet ke alfaj
आओ वृक्ष लगाये, फिर संसार बचाये। दिल की दरारों को,, गले लग के मिटाये।। deewana ajeet वृक्ष
Parasram Arora
वृक्ष बड़े सौंदर्य का प्रतीक है शांति का मौन का ताज़गी का नऐ पन का छाया का शीतलता का विश्राम का और दान कापरसाद देता ही चला जाता है तुम मारो पत्थर ... तो भी फल ही..दिए जाता है ©Parasram Arora वृक्ष........
Indu Bala Mishra
_वृक्ष_ फूटी अंकुर फूटा कोंपल, और धरा पर खड़ा हुआ। आंधी, बारिश, तुफ़ा से लड़कर, मैं धीरे–धीरे बड़ा हुआ।। सावन आया पतझड़ आई, आई वसंत बहार। डाल–डाल पर काली खिली, हुलसा हृदय आपार।। मधुप तितलियां छाई आकार, गूंजी कोयल की मृदु तान। डाल–डाल पर बना बसेरा, मुझसा किसका शान।। भूखे–प्यासे पंथी को दी, छाया और आहार। सुखदाता–आश्रयदाता बन, दिया मात–पिता सा प्यार।। कई दसक बीतीं, सादिया बीतीं, फिर हुआ वृद्ध सा भास। धीरे–धीरे पत्ते झड़ गए, हुआ अकेलेपन का एहसास।। एक दिवस मैं मौन खड़ा था, बीतीं बातें सोच रहा था। तभी तन पर चली कुल्हाड़ी, क्षण भर में क्षिण–भिन्न पड़ा था।। किसी के घर का बना जलावन, और क्षुधा को तृप्त किया। किसी के बालक का बन पलना, स्वप्न–लोक में लीन किया।। किसी राजा का बना सिंहासन, राज–भवन का शान बना। किसी चिता के संग जलकर, मैं मानव तन का त्राण बना। कहते हैं जीवन अनमोल है, मेरा जीवन धरा का प्राण रहा। जीकर तो सुख दिया सभी को, मैं मरकर भी अनमोल रहा।। ©Indu Bala Mishra #वृक्ष