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writer_Suraj Pandit

#lonely_quotes शमशान घाट m raj. g Brajraj Singh Lovely rasmi sana naaz

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Praveen Jain "पल्लव"

#sad_shayari पानी घाट घाट का पीना पड़ता है #nojotohindi #कविता

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Ravendra

तेंदुए के हमले में दो युवक हुए घायल अस्पताल में जारी इलाज बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के कतर्निया घाट रेंज के अंतर्गत भेड #वीडियो

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Bharat Bhushan pathak

#oddone सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी। नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।। पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू। संभल के सु #Motivational

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सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी।
नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।।
पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू।
संभल के सुन, रहो पापी,लगेगी मार अब धाँसू।।

©Bharat Bhushan pathak #oddone 
सिक्त अंगार,अब यौवन,अधर उपमा,नहीं होगी।
नयन से बह,चुकी गंगा,न नारी प्राण सुन देगी।।
पुरानी रीत होती थी,बहाए चोट पर आँसू।
संभल के सु

theunnamedpoet99

तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना। #विचार

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तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना
अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना।

©theunnamedpoet99 तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना
अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना।

DM

Nilgiri hills नीलगिरि (तमिल: நீலகிரி, Badaga: நீலகி:ரி या 'नीले पहाड़') भारत के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। यह पर्वतमाला पश्चिमी #instagood #naturephotography #Ooty #Videos #Tamilnadu #nilgiri #nilgiris #ootytourism #ootytrip #nilgirishills

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले #कविता

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Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं ।
पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे ,
कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं ।
वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं,
जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१

वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब ,
वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं ।
कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ,
मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं ।
भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम,
सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं,
असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे ,
देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२
१४/०३/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

हिम्मत हम बच्चों की देखो , लड़ जाये चट्टान से । लिए तिरंगा हाथ में देखो , बढ़ते जाये शान से ।। हिम्मत हम बच्चों की देखो ..... नन्हें नन्हे #कविता

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प्रदीप छन्द अधारित :- गीत

हिम्मत हम बच्चों की देखो , लड़ जाये चट्टान से ।
लिए तिरंगा हाथ में देखो , बढ़ते जाये शान से ।।
हिम्मत हम बच्चों की देखो .....

नन्हें नन्हें कदम हमारे , चूम रहे अंगार को ।
भारत माँ के हम सपूत हैं , छोड दिए घर द्वार को ।।
इसकी रक्षा धर्म हमारा , चाहे जायें जान से ।
हिम्मत हम बच्चों की देखो ....

वीर शिवा के हम बच्चे हैं , सीना है फौलाद का ।
सीख मिली सुखदेव भगत से , लगा तिलक आजाद का ।।
धूल चटाने दुश्मन को हम , आयेंगे शमशान से ।
हिम्मत हम बच्चों की देखो ....

वीर शहीदों की मिट्टी है , अपने हिंदूस्तान की ।
वक्त पड़े तो जाँ हाजिर है , देखो यहीं जवान की ।।
तुम्हें हराने को हम वर भी , लायेंगे भगवान से ।
हिम्मत हम बच्चों की देखो ....

हिम्मत हम बच्चों की देखो , लड़ जाये चट्टान से ।
लिए तिरंगा हाथ में देखो , बढ़ते जाये शान से ।।

२९/०२/२०२४     -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हिम्मत हम बच्चों की देखो , लड़ जाये चट्टान से ।

लिए तिरंगा हाथ में देखो , बढ़ते जाये शान से ।।

हिम्मत हम बच्चों की देखो .....


नन्हें नन्हे

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु #कविता

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प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं ।
शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।।

मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में ।
सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।।
तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में ।
आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।।

जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में ।
उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।।
सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में ।
मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।।

जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के ।
दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।।
जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के ।
यही सीढ़ियां ऊपर जाएं ,  देखो नित संसार के ।।

२८/०२/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सु

@..kajal..@

तुम्हारे साथ इस बनारस की घाट का जो सुकून है ना वह कहीं नहीं है...💕 #me #my #Dil Love #viral #you #loveshayari

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