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Best अंगार Shayari, Status, Quotes, Stories

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दिनेश कुशभुवनपुरी

#दोहा #दुष्टदलन #अंगार NIKHAT الفاظ جو دل کو چھو لے ANOOP PANDEY Mysterious Girl सुरमई साहित्य Nîkîtã Guptā Anupriya मनोज मानव RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' Raj Guru PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' Karan Suhana parvin सुनील 'विचित्र' Anshu writer गुरु देव शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Puja Udeshi सूर्यप्रताप सिंह चौहान (स्वतंत्र) Diksha Singh Alone Amit gaTTubaba Ritu Tyagi RD bishnoi कृष्णा वाघमारे, जालना , महाराष्ट्र,431211 gungun gusain Writer kavi Gautam MƳ ƊŘĚÃM ÌŞ MŶ ŁÎFÉ Anjali Srivas #कविता

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Poonam Ritu Sen

मैं जिंदगी के दियेे बेरुखी सहती ही रही और मुझमें व्याप्त एक खामोशी चुभती रही तू अपनी हदें हमेशा भुलाता ही रहा और तुझमें व्याप्त सैकड़ो अंगार उगलता रहा मैं हर जख्म में मलहम लगाती रही और मुझमें व्याप्त ख्वाहिशों को दबाती रही तू मलहम के ऊपर नए ज़ख्म देता रहा #yqdidi #ख़ामोशी #अश्रु #बवंडर #पछतावा

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मैं जिंदगी के दिये बेरुखी सहती रही
और मुझमें व्याप्त एक खामोशी चुभती रही
तू अपनी हदें हमेशा भुलाता रहा
और तुझमें व्याप्त सैकड़ो अंगार उगलता रहा

मैं हर जख्म में मलहम लगाती रही
और मुझमें व्याप्त ख्वाहिशों को दबाती रही
तू मलहम के ऊपर नए ज़ख्म देता रहा
और तुझमें व्याप्त जानवर को हिंसक बनाता रहा

मैं हर राह का किनारा ढूंढती रही
और मुझमें व्याप्त अश्रु रूपी लहरों को रोकते रही
तू हर राह में कांटे बोता ही गया
और तुझमें व्याप्त बवंडर को बढ़ाता गया

मैं थक हार कर कभी निराश ना रही
और मुझमें व्याप्त हौसलों से पर्वत की तरह टिकी रही
तू तमाम कोशिशों के बाद से कांच की तरह टूटता गया
और तुझमें व्याप्त पछतावे को, तेरा ही अश्रु भीगाता चला गया

 मैं जिंदगी के दियेे बेरुखी सहती ही रही
और मुझमें व्याप्त एक खामोशी चुभती रही
तू अपनी हदें हमेशा भुलाता ही रहा
और तुझमें व्याप्त सैकड़ो अंगार उगलता रहा

मैं हर जख्म में मलहम लगाती रही
और मुझमें व्याप्त ख्वाहिशों को दबाती रही
तू मलहम के ऊपर नए ज़ख्म देता रहा

Nagvendra Sharma( Raghu)

#जिंदगी में आशा का #सूरज ढलने ना दे, अगर है #बर्फ तो यु #खुद को पिघलने ना दे, थोडा़ सब्र कर, हारेगे तेरे सामने ये #दरख्त भी ये पर्वत भी, इन आंसुओं को #अंगार बना, तु हार मान कर रहने ना दे ।। #nagvendrasharma #Motivation

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जिंदगी में आशा का सूरज ढलने ना दे,
अगर है बर्फ तो यु खुद को पिघलने ना दे,
थोडा़ सब्र कर, हारेगे तेरे सामने ये दरख्त भी ये पर्वत भी,
इन आंसुओं को अंगार बना, तु हार मान कर रहने ना दे ।। #जिंदगी में आशा का #सूरज ढलने ना दे,
अगर है #बर्फ तो यु #खुद को पिघलने ना दे,
थोडा़ सब्र कर, हारेगे तेरे सामने ये #दरख्त भी ये पर्वत भी,
इन आंसुओं को #अंगार बना, तु हार मान कर रहने ना दे ।। 
#nagvendrasharma #motivation

Anjali Raj

मैं अपनी ख्वाहिशों को लफ़्ज़ तक आने नहीं देती।
सुलगने को इन अंगारों से ये सीना ही है काफ़ी। #अंजलिउवाच #YQdidi #ख़्वाहिश #सीना #सुलगना #अंगार #लफ्ज़

Anjali Raj

हैं कब ठहरे ये जुगनू वक़्त के दहलीज़ पर तेरी
तू क्यूँ रुकने की इनसे हर घड़ी फ़रियाद करता है

यूँ कब तक भींच कर रक्खेगा मुट्ठी बीते माज़ी की
है ये अंगार जो ख़ुद जल के सबको ख़ाक करता है

 #YQdidi #अंजलिउवाच #जुगनूवक़्तके #अंगार #खाक़ #वक़्त #आहज़िन्दगी

Aryan Shivam Mishra

मैंने सीने में जलती हुई अंगार छिपा रक्खा है जी
कहीं आ ना जाए बाहर इसलिए खुद को गुलाम बना रक्खा है जी
और डर है साहब रिश्तों को खोने का
वरना हर एक खंचर छिपाए चेहरे का हिसाब लगा रक्खा है जी

©Aryan Shivam Mishra
  #अंगार

#Fire

Aryan Shivam Mishra

मैंने सीने में जलती हुई अंगार छिपा रक्खा है जी
कहीं आ ना जाए बाहर इसलिए खुद को गुलाम बना रक्खा है जी
और डर है साहब रिश्तों को खोने का
वरना हर एक खंचर छिपाए चेहरे का हिसाब लगा रक्खा है जी

©Aryan Shivam Mishra #अंगार

#Fire

Falguni Shah©

स्त्री 
    सोलह 
    श्रृंगार से सजती है
    और
    अंगार 
    श्रृंगार से संवरती है ..!! #Nojoto #Hindi #Shayari #मीरां #स्त्री #श्रृंगार #अंगार #hindinama Satyaprem Upadhyay Internet Jockey

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 2 – ग्रह-शान्ति 'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
2 – ग्रह-शान्ति

'मनुष्य अपने कर्म का फल तो भोगेगा ही। हम केवल निमित्त हैं उसके कर्म-भोग के और उसमें हमारे लिये खिन्न होने की कोई बात नहीं है।' आकाश में नहीं, देवलोक में ग्रहों के अधिदेवता एकत्र हुए थे। आकाश में केवल आठ ग्रह एकत्र हो सकते हैं। राहु और केतु एक शरीर के ही दो भाग हैं और दोनों अमर हैं। वे एकत्र होकर पुन: एक न हो जायें, इसलिये सृष्टिकर्ता ने उन्हें समानान्तर स्थापित करके समान गति दे दी है। आधिदैवत जगत में भी ग्रह आठ ही एकत्र होते

shuny manthan

#Miracle

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अंगार जलता है, तो राख इकट्ठी होती है। कभी हमने खयाल किया कि जो अभी राख है, वह भी थोड़ी देर पहले अंगार थी। कहीं बाहर से नहीं आई है, अंगार का ही हिस्सा है। लेकिन अगर अंगार को जलता हुआ रहना है, तो राख को छोड़ते जाना है।  #Miracle
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