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Parasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read moreF M POETRY
Unsplash यहाँ नहीं है वहाँ नहीं है.. तुम्हारी यादें कहाँ नहीं हैं.. कोई तो ऐसा मक़ाम होगा.. जहाँ पे दिल को सुकूँ मिलेगा.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #कोई तो ऐसा मक़ाम होगा...
#कोई तो ऐसा मक़ाम होगा...
read moreनवनीत ठाकुर
आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंसाफ का सूरज अब उगाना होगा, नई क्रांति का परचम लहराना होगा। हर साजिश का पर्दाफाश करना होगा, हर अन्याय को जड़ से उखाड़ना होगा। आओ उम्मीदों की मशाल जलाएं, इस सियाह दौर को रौशन बनाएं। ©नवनीत ठाकुर #आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस
#आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी कब छटेगे दुविधाओं के बादल साफ कभी अरमानो का आसमान होगा खता हमने कुछ की नही फिर कहर कियो हम सत्ता का झेल रहे है कण कण में भगवान रहते फिर सर्वे कर गुमराह कियो है सियासी दाँव मजहब बन गया इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
#sad_quotes इंसानियत का आसमान कब तक साफ होगा
read moreneelu
White मेरी नानी कहती थी जानकर अंजान बनने वालों को तो बेवकूफ भी नहीं कह सकते है.. यह मेरे लिए तो नहीं कहा होगा ना.. फिर किसके लिए कहा होगा ©neelu #sad_quotes फिर #किसके लिए #कहां होगा
#sad_quotes फिर #किसके लिए #कहां होगा
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी लाज शर्म के पर्दे खत्म प्रदर्शन जिस्मो के है घरो परिवारों से सुशोभित थी नारी वह आज फूड कल्चरो में है नर की बराबरी पर आने के लिये सारी हदें तोड़ने पर है हाथ बटाने नही परिवारों के साजिशों के तहत बाजारों में है अंग अंग की सजती नुमाइश आबाद कॉस्मेटिक ,ब्यूटी पार्लर फैशनों के सिम्बल है खुद शिकार है नारी बदलाव के लिये लज्जा शर्म संस्कारो को छोड़कर प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #chaandsifarish लाज शर्म के पर्दे खत्म
#chaandsifarish लाज शर्म के पर्दे खत्म
read moreShashi Bhushan Mishra
हंसती आंखें दिल रोता है, अपना चाहा कब होता है, गाने वाला रो दे अक़्सर, पाने वाला ही खोता है, राम नाम रटने वाला भी, फंसा जाल में ज्युं तोता है, रोज़ नहाये गंगा जल से, मन का मैल नहीं धोता है, पछताने से क्या होगा जब, बीज दुखों का ख़ुद बोता है, रात में करता है रखवाली, श्वान दिवस में ही सोता है, ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन, भंवर बीच खाता गोता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #अपना चाहा कब होता है#
#अपना चाहा कब होता है#
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