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बेजुबान शायर shivkumar

तुम्हारी हर एक #सहमति / या " #असहमति " का मैं मान करना जनता हूं, तुम्हारे घर के मान का #स्वाभिमान का भी #सम्मान करना जनता हूं, मैं जानत

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तुम्हारी हर एक सहमति / या " असहमति " का मैं मान करना जनता हूं,
तुम्हारे घर के मान का स्वाभिमान का भी सम्मान करना जनता हूं,

मैं जानता हूं की तुम्हारा ये प्रेम है किसी पर ये थोपा नहीं जा सकता 
इसलिए मैं हर वो पक्ष -विपक्ष और मैं हर वो पहलू का ध्यान करना जनता हूं,

किंतु जितना तुम्हे मैं मानता हूं उतना ही  स्वयं को भी पहचानता हूं,
मैं अपने भी स्वाभिमान पर मैं अभिमान करना जनता हूं ,

तुम्हारी  स्वीकृति - अस्वीकृति का तुमको पूर्णतः का ये अधिकार है ,
पर यु गिड़गिड़ाकर के मेरा प्रेम पाना कभी भी मुझे यु स्वीकार नहीं है ,

यदि तुम्हे प्रेम हो तो , पूर्ण हो परिपूर्ण हो , सम्पूर्ण हो 
यदि भीख में मिले प्रेम तो प्रेम पर भी धिक्कार है ...🥀

©बेजुबान शायर shivkumar तुम्हारी हर एक #सहमति  / या " #असहमति  " का मैं मान करना जनता हूं,
तुम्हारे घर के मान का #स्वाभिमान  का भी #सम्मान  करना जनता हूं,

मैं जानत

Shashi Bhushan Mishra

#पड़े स्वयं ही प्यास बुझानी#

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होती  है   मुझको   हैरानी,
जलन नहीं है प्रेम निशानी,

जिसने बांटे प्यार जगत में,
दुनिया है  उसकी  दीवानी,

राजा-रानी  परियों  वाली,
हमने भी है  सुनी कहानी,

झूठ बेचने निकला था वो,
हुआ  शर्म से  पानी-पानी,

वर्षों बाद  मिला था  कोई,
सूरत  थी  जानी पहचानी,

मंज़िल  दूर  नहीं है उनसे,
चलने की जिसने है ठानी,

पानी प्यास बुझाता 'गुंजन',
पड़े स्वयं ही प्यास बुझानी,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' 
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #पड़े स्वयं ही प्यास बुझानी#

नवनीत ठाकुर

#शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद, माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष। कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल, महादेव

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"शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद,
माथे पे चंद्र, गले में विष,
 त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष।
कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल,
महादेव हैं सृष्टि के आदि और अंत का आधार।
अर्धनरेश्वर रूप, जहां शक्ति संग विराज,
गले में सर्प, हाथों में त्रिशूल का राज।
वृत्रासुर संहारी, करुणा के सागर,
शिव की महिमा में जग गाता है जैकार।"

©नवनीत ठाकुर #शिव हैं भोले, पूरी करते भक्तों की मुराद,
माथे पे चंद्र, गले में विष, त्रिनेत्र के नाथ, स्वयं महिष।
कालकूट पीने वाले, पशुपति महाकाल,
महादेव

Sanatan_Sanskriti_Shubhash

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् | चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ‖1 ‖ अर्थ – हे चन्द्रशेखर (भगवान जिनका मुकुट चंद्रमा ह

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Bhupendra Rawat

#Sad_Status इतना भी आसां नहीं है, मंज़िल को पाना राह के काँटों से खुद को संभाल पाना दुश्मनो पर जीत हासिल तो की जा सकती है लेकिन इतना भी आसां

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White इतना भी आसां नहीं है, मंज़िल को पाना
राह के काँटों से खुद को संभाल पाना
दुश्मनो पर जीत हासिल तो की जा सकती है
लेकिन इतना भी आसां नहीं है स्वयं को जीत पाना

©Bhupendra Rawat #Sad_Status इतना भी आसां नहीं है, मंज़िल को पाना
राह के काँटों से खुद को संभाल पाना
दुश्मनो पर जीत हासिल तो की जा सकती है
लेकिन इतना भी आसां

Bhupendra Rawat

दर बदर भटका हूँ तो मंज़िल को पाया है राह की ठोकरों ने मुझे चलना सिखाया है वो चिराग नहीं जो बुझ जाए हवा के झरोखो से मैंने स्वयं को आँधियों मे

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White दर बदर भटका हूँ तो मंज़िल को पाया है
राह की ठोकरों ने मुझे चलना सिखाया है
वो चिराग नहीं जो बुझ जाए हवा के झरोखो से
मैंने स्वयं को आँधियों मे जलना सिखाया है

©Bhupendra Rawat दर बदर भटका हूँ तो मंज़िल को पाया है
राह की ठोकरों ने मुझे चलना सिखाया है
वो चिराग नहीं जो बुझ जाए हवा के झरोखो से
मैंने स्वयं को आँधियों मे
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