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Vikram vicky 3.0
Unsplash तुम कब तक चलोगे मेरे साथ एक अनंत सी मंजिल है मेरी Vr... ©Vikram vicky 3.0 #lovelife mannu nagar Babli BhatiBaisla Alka pandey arpita singh shivram
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read moreAshutosh Mishra
Unsplash चलन लाइब्रेरी का जब शुरू हुआ होगा पढ़ने का एक नया दौर शुरू हुआ होगा कई दुर्लभ किताबे जो इधर-उधर खोई थी एक नए घर में एकत्रित हो कितनी हर्षित हुई होंगी पढ़ने वाले लोग अब छोड़कर दुनियादारी ज्ञान के अथाह सागर में गोते लगाए होगे लाइब्रेरी में पढ़कर कितने ही विद्यार्थी लाभांवित हुए डॉक्टर इंजीनियर वकील और अध्यापक बन गौरवांवित हुए धन्य-धन्य है वे लोग जिसने पुस्तकालय बनाने की ठानी ना जाने कितने गरीब विद्यार्थीयों को दी नई जिंदगानी अल्फाज मेरे✍️🏽🙏🏼🙏🏼 ©Ashutosh Mishra #library #हिंदीनोजोटो #हिंदी_कविता #हिंदीकोट्स #पुस्तकालय #आशुतोषमिश्रा Krishna G Arjun Rawat पार्थ Anuja sharma Praveen Jain "पल्लव" N
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read moreAavran
दिखता शून्य, समर में भरा हुआ अवचेतन है मन, कुछ डरा हुआ किससे युद्ध करूं मै पार्थ तुम सुलझाओ, मन का स्वार्थ। रणभेरी जो हमने आज उकेरी कल अपने ही मिटते होंगे बहेंगे अश्रु और होगी लाशों की ढेरी। धनुष धर्म की ओर उठा है है नजर तो, फिर भी अपनों ने ही फेरी। लहू बहेगा, श्वेत वस्त्र का होगा मातम क्रंदन मय होगी हर रात घनेरी। मुक्त करो, है अर्ज दास की पाप प्रलय सा हर पन्नों मे होगा सर्वस्व नाश में होगी न देरी। Contd....... ©Aavran Krishna and Arjun Samvad #Krishna Hinduism #आवरण #जिंदगी #इनदिनों #मोहब्बत #Love #life #lifeisbeautiful
Avinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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