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jisu saif

जाति जाति जाति #कविता

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Religion जिस दिन टूट जाएगी , जाति की झंजीर।
भेद भाव ख़तम कौन अमीर कौन फकीर।।
उस दिन गरीब भी खा सकेगा, चैन से निवाला ।
जिस दिन ख़तम होगा, जाति जाति कहने वाला।।।
... jisu जाति जाति जाति

Dharmendra singh

जाति

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कोई जाति नीच नही होती है किंतु नीच आदमी हर जाति में होती है।

©Dharmendra singh जाति

मलंग

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SG

जाति #विचार

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बाहर किसी को क्या ही  बोलना ?
जब अपने ही लोग 
जाति की जंजीरो मे जकडे है 
एक बच्चे की ख्वाइश को मरते देखा
 मैने खुद को घुटते देखा मैने

©❤SG❤ जाति

RajeshKumar

##जाति###

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जाति है कि अब जाती नहीं!
पता नहीं कैसी ये जाति है!!
जन्म के साथ यह आती है!
मरने पर भी ये नहीं जाती है!
पढ़ा इतिहास जब मैंने महापुरषों का,
जातियों का जिक्र हर जगह आती है!!
जाति----------------------------!!
जाति ही छूत है,जाति ही अछूत है!
जाति ही कुपूत है,जाति ही सुपूत है!
कुछ जातियों का माथा देखा मैंने,
लगा तिलक, चन्दन और भभूत है!!
उन्हें देख और जाति खुद शरमाती है!!
जाति -------------------------------------!!
जाति नहीं तो कुछ भी नही!
जाति नहीं तो पूछ भी नहीं!
जाति जब खत्म हो जाये,
होगा किसी की अब लूट नहीं!!
जाति ही सबको खूब लड़वाती है!!
जाति----------------------------!!
जाति ही तो सबको है जन्माती!
जाति ही तो खुद पर है इठलाती!
जाति ही तो सारी दुनिया  में,
नफरत की ज्वाला है भड़काती!!
जाति ही सबकी सरकार बनवाती है!!
जाति----------------------------!!
जाति ही पुजारी है,जाति ही भिखारी है!
जाति ही जात का बना अब शिकारी है!
गांव व शहरों के जातियों को देखो तुम,
वह बना जन्मजात सफाई कर्मचारी है!!
जाति ही जीने का आधार बन जाती है!!
जाति-----------------------------!!
जाति अब फैलाती उन्माद है!
जाति-जाति में फैला विवाद है!
फिर भी बडे नेता लोग ढूंढते हैं,
दूसरे जातियों में अपना दमाद हैं!
फिर भी कभी नहीं शर्म उन्हें आती है!
जाति------------------------------!!
मिला आरक्षण कुछ जातियों का छूट है!
जातियों में जाति का हुआ अब लूट है!
जाति-जाति करते यहां के सब नेता लोग,
इंशानों में डाला अब बहुत बड़ा फुट है!
जाति पर ही तो सरकार बन जाती है!!
जाति------------------------------!!
जाति रहबर है,जाति ही कहर है!
इंशानों में फैला जाति का जहर है!
"राजेश"फेंकों तुम जातियों का चश्मा,
जातियों में बंट गया गांव औऱ शहर है!
जाति ही सबको बहुत तड़पाती है!!
जाति है कि अब जाती नहीं!!
पता नहीं कैसी ये जाति है!!
         Tr-राजेश कुमार
सेमरी (देव),करगहर,रोहतास ###जाति###

Neophyte

जाति!

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खुद का ही एक कारागार बना रखा है
लोगो ने जातियों को व्यापार बना रखा है

एक एक जर्रे में मेरे तेरा नाम समाया है
सबने उसे मिटाना अपना अधिकार बना रखा है

जी तो लेते है सब यहाँ घूट-घूट जहर पीकर
पर अपनो ने यहाँ जीना धिक्कार बना रखा है

समाज क्या कहेगा ये सुनने की हिम्मत नही आपमे
और जाती को रिश्ते काटने का हथियार बना रखा है! जाति!

DM SANAM

जाति जाति का शोर मचाते हैं.... #Kathakaar #कविता

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संध्या उर्फ सुधा अस्थाना

कविता - संध्या उर्फ सुधा अस्थाना

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कविता- "मै भी स्कूल जाऊॅगा"-  मम्मी  मुझको बस्ता ला दो मै भी स्कूल मे जाऊॅगा  ए बी सी डी  पढ़ूंगा मै भी क ख ग घ  भी पढ़कर आऊॅगा सीखूंगा बातें नयी और आकर सबको बतलाऊॅगा मम्मी मुझको बस्ता ला दो मै भी स्कूल में जाऊॅगा  पढ़ लिखकर एक दिन मैं  भी नाम बहुत कमाऊॅगा होगा गर्व तुझे उस दिन जब देश के काम मैं आऊॅगा कलाम भगत सिंह  जैसा बनकर इस जग मे छा जाऊॅगा मम्मी मुझको बस्ता ले दो मैं भी स्कूल जाऊॅगा कविता - संध्या  उर्फ  सुधा  अस्थाना

संध्या उर्फ सुधा अस्थाना

कविता - संध्या उर्फ सुधा अस्थाना

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कविता - "सीखो " - फूलों से तुम हॅसना  सीखो  ,                            भ॔वरो  से  नित  गाना  ।                                                                  वृक्षों की  डाली  से  सीखो  ,                                                           फल  आये  झुक  जाना  ,                                                              सूरज  की  किरणों से  सीखो  ,                                                         जगना  और  जगाना  ।                                                                   लता  और  पेड़ो  से  सीखो  ,                                                        सबको  गले  लगाना  ।                                                                      दूध  और  पानी  से  सीखो  ,                                                         मिल  जुल कर  सबसे  रहना  ।                                                        अपनी  पृथ्वी  से सीखो  ,                                                             हॅस  हॅस  कर  सब  कुछ  सह  जाना  । कविता  - संध्या  उर्फ  सुधा  अस्थाना

संध्या उर्फ सुधा अस्थाना

कविता - संध्या उर्फ सुधा अस्थाना

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 कविता  - संध्या  उर्फ  सुधा  अस्थाना
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