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पं राहुल कुमार गौतम पुरोहित ब्लॉक मंत्रीRSM
White क्या वाकई सरकारी स्कूलो मे छुट्टियां अधिक होती हैं। एक तुलनात्मक अध्ययन👇 मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के अवकाश... 5 दिवसीय कार्यदिवस(52 शनिवार +52 रविवार) के कारण अवकाश- 104 दिन अर्जित अवकाश- 30 दिन औपबंधित अवकाश- 02 दिन आकस्मिक अवकाश- 14 सार्वजनिक अवकाश- 23 ------------------------------------------------ कुल अवकाश- 173 ----------------------------------------------- बैंक कर्मचारी — 173- 28 ( पहला और चौथा शनिवार) = 145 अब एक शिक्षक का अवकाश- रविवार अवकाश- 52 दिन अर्जित अवकाश- 00 दिन औपबंधित अवकाश- 00 दिन आकस्मिक अवकाश- 14 दिन सार्वजनिक अवकाश- 23 दिन ग्रीष्मावकाश 21 मई से 24 जून (34 दिन -5 दिन रविवार) = 29 दिन ------------------------------------------------ कुल अवकाश- 118 दिन ---------------------------------------------- अन्तर = 173 - 118 = 55 दिन और 145-118 = 27 दिन अर्थात इस सत्र मे शिक्षक बाकी कर्मचारियो की अपेक्षा 55 दिन और बैंक कर्मियों की अपेक्षा 27 दिन अधिक कार्य करेंगे , जबकि राज्य कर्मचारियों को मिलने वाली किसी प्रकार की कोई सुविधा यथा चिकित्सकीय आदि उन्हे प्राप्त नही है। फिर भी सबसे कामचोर शिक्षकों को ही ठहरा दिया जाता है । क्यो भाई ?? जबरदस्ती है क्या?? 😡😡 जरा सोचिए ©पं राहुल कुमार गौतम पुरोहित ब्लॉक मंत्रीRSM #flowers शिक्षकों को मिलने वाला अवकाश कितना सत्य है
Ghumnam Gautam
White आज नहीं तो कल होना है इस मुश्किल को हल होना है करते हैं वो ठहराव पसन्द और मुझे हलचल होना है बात बरसने की सुनकर इनकार है उन्हीं के होठों पर कहते जो नहीं थकते थे― "यार हमें बादल होना है" ©Ghumnam Gautam #Emotional #बादल #ghumnamgautam #मुश्किल
#Emotional #बादल #ghumnamgautam #मुश्किल #शायरी
read moreKalpana Srivastava
White बादल सिर्फ आकाश में ही नहीं होते हमारे जीवन में भी होती हैं। सुख के बादल, दुःख की काले बादल, ये तो क्षण - क्षण बदलते रहते हैं। कभी सुख तो कभी दुःख पर दुःख में जो अपना विवेक खो दे, उसे खुद के व्यवहार पर एक बार विचार करना चाहिए। दुःख में किया गया बुरा व्यवहार, और विवेकहीन फैसले अक्सर भारी क्षति करते हैं। ©Kalpana Srivastava #बादल
Harpinder Kaur
White हां अगर जिंदा रहता... तो जुदा होने पर आंखें न तो रोती और न ही अंधेरी रातों में तकती उसके आने का रास्ता और न ही यादें कचोटती पल - पल अंदर से ....... इतना कुछ होने के बाद भी फिर कैसे कह दिया जाता है और क्यों समझ लिया जाता है.... कि किसी के जुदा होने से कोई नहीं मरता हां, मरता है.... शरीर से नहीं..... पर अंदर से सब कुछ मरता है (part- 2) ©Harpinder Kaur # कितना कुछ मरता है भीतर.....
# कितना कुछ मरता है भीतर..... #Poetry
read moreANIL KUMAR
किसी के साथ दूर तक जाओ फिर देखो अकेले वापस लौटकर आना कितना मुश्किल होता हैं ©ANIL KUMAR कितना मुश्किल होता है
कितना मुश्किल होता है #SAD
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