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malay_28
White जला वो रात भर तिल तिल अँधेरे में पड़ा तन्हा मयस्सर कब चिरागों को पलक भर रोशनी होती. ©malay_28 #मयस्सर कब रोशनी होती
Santosh 'Raman' Pathak
White लोग कहेंगे क्या सोचेंगे पड़े रहे इस फेरे में रोशनी रोशनी खेल रहे थे डूबे रहे अँधेरे में खून के रिश्ते मधुर तिक्त से आगे विष में माते हैं सब संयुक्त विभक्त हुए एकल परिवार बनाते हैं बचपन और बुढापा दोनों पलने लगे अकेले में.... रोशनी रोशनी खेल रहे थे...... भौतिकता हावी है यूँ चहुँ ओर चमाचम ऊपर है अंध अनुकरण मगन है फिर भी नींद शान्ति की दूभर है भरी घुटन सब भीतर है....… चोर सिपाही बने हुए सब अपने अपने घेरे में.... रोशनी रोशनी खेल रहे थे...... जिस दिन अपनी जड़ को हमने दकियानूसी माना था उसने था बहकाया हमको जिसका नहीं ठिकाना था सेवा धर्म बहाना था.... गेंहुवन से फुँफकार छीन ले... दम ही नहीं सँपेरे में रोशनी रोशनी खेल रहे थे..... उलझन सुलझाने वाले ही उलझे तेरे मे ©Santosh 'Raman' Pathak #रोशनी #अँधेरे
Ramnik
Black तू शमा है हमारी चिरागे जिंदगी का। अपने लिए ना सही, हमारे लिए खुद का ख्याल रखना। ©Ramnik #रोशनी
Anuj Ray
तुम्हीं ने प्यार का इकरार किया" तुम्हीं ने प्यार का इकरार किया, और तुम्हीं ने साथ निभाने की कसम भी खाई। रूठ जाते तुम्हीं बात बात पर, और कहते हो मोहब्बत को हमारी हरजाई। अजब है इश्क़ तुम्हारा, तुम्हारी खुदाई, बिछड़ के तुमसे या तुम्हारे संग इधर कुआं है उधर खाई। ©Anuj Ray तुम्हीं ने प्यार का इकरार किया"
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
White "रोशनी" अंधकार तो बहुत है,इस जिंदगी में फिर भी रोशनी ढूंढ रहे,इस जिंदगी में अगर भीतर दीप जी रहा हो,बेबसी में बाह्य रोशनी का क्या फायदा जिंदगी में यदि भीतर चराग जिंदा खुद की खुदी में फिर जुगनू रोशनी बहुत गम की घड़ी में जिसने भीतर जोत जलाई,घनी निशी में वो बना फिर ध्रुव तारा,फ़लक जमीं पे जो आखिर तक लड़ा,अमावस निशी से उसने फैलाई रोशनी,पूनम चंद्र चांदनी से आओ लड़े,अपनी अंधेरे जैसी कमी से फिर कैसे न होंगे,रोशन,अपनी खुदी से जो लड़ा मृत्यु जैसे विचार खुदखुशी से उसने ढूंढी खुशी सी रोशनी,आत्म वर्तनी से दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #कविता रोशनी
Amit Prem "AkR"
Baba Singh
चांद तन्हा है वहां तारों के बीच, हम भी तनहा ही चांद को देखते हैं हजारों के बीच| ©Baba Singh #relaxation चांद की रोशनी