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Rehan Raza Qadri
ये वक्त बहुत ही नाजुक है। हम पर हमले दर हमले हैं, दुश्मन का दर्द यही तो है। हम हर हमले पर संभले हैं. राजनीति शायरी
DANVEER SINGH DUNIYA
आज -कल लोग इतने दोगले हो गये है कि आंखों से आशु नही दरिया बहता है ! ©DANVEER SINGH DUNIYA दोगली
Neetu Panchal 'Nidhi'
"इस बात में राजनीति, उस बात में राजनीति, राजनीति ना हुई, इक तलब हो गयी। यूँ हीं तो बनते आयें हैं इतिहास सदा, आज की कहानी, क्या अलग हो गयी?" ✍️By- नीतू पांचाल 'निधि'✍️ राजनीति पर शायरी by- Neetu Panchal 'Nidhi' Poetess
Neetu Panchal 'Nidhi'
"जहाँ कोई 'आप', 'भाजपा' या 'कांग्रेस' नहीं होती, षड्यंत्रों की नीति तो, वहाँ भी बैर बोती है। आप नेताओं की बात क्या करते हैं, साहिब? आजकल तो घर-घर में राजनीति होती है।" ✍️By- नीतू पांचाल 'निधि'✍️ राजनीति पर शायरी द्वारा-नीतू पांचाल 'निधि' (स्वरचित)
Ravi Kumar
Alone ना थके हैं पाव, ना रुके हैं कदमे, मिलेंगे मंजिल जो देखें है सपने, निकल पड़े हैं राहो में तन्हा,, होगा वही जो चाहेंगे अपने,, /,,,,, रवि कुमार (बिहार) ये कविता, सुमित कुमार गुप्ता जी के नाम, 115 बनियापुर बिधानसभा क्षेत्र, छपरा (सारन) बिहार निर्दलीय बिधायक जय बिहार, राजनीति शायरी #alone
Neetu Panchal 'Nidhi'
जहाँ कोई 'आप', 'भाजपा' या 'कांग्रेस' नहीं होती, षडयंत्रो की नीति तो, वहाँ भी बैर बोती है। आप नेताओं की बात क्या करते हैं, साहिब? आजकल तो घर-घर में राजनीति होती है। ✍️By- नीतू पांचाल 'निधि'✍️ राजनीति पर शायरी Shayri By- Neetu Panchal 'Nidhi' Poetess
Devendra Singh Dev
_____________________________ दंभ का नाटक रचा कर क्या करोगे पुतलियां जी भर नचा कर क्या करोगे मर गया मांझी तड़प कर भूंख से ही महज़ पतवारें बचा कर क्या करोगे हो गयी नीलाम इज्जत महफिलों में मान का हल्ला मचा कर क्या करोगे खा गए राशन गरीबों के घरों का दाल रोटी को पचा कर क्या करोगे लाज गिरबी रख सियासत में घुसे थे शर्म से मस्तक लचा कर क्या करोगे जम गईं परतें कवक की मन तलक में धूप में खुद को तचा कर क्या करोगे।। ______________________________ #देवेन्द्र_यादव_देव.......✍️ ©Devendra Yadav Dev #सियासत #राजनीति #शायरी #Heartbeat
दि कु पां
माना जाना दुख भी है अफ़सोस भी.. चढ़ा दो मिल सब फांसी पर भी पर दोष बतला देना.. गलती या गुनाह ड्राईवर से हुआ पर क्या तुम निर्दोष वहां कीर्तन को गए थे, जो दुर्घटना में मरे वो मानवीय भूल भी हो सकती है पर जो तुमने उतार पीट पीट हत्या कर दी क्या को सही है.. फिर गिद्ध रूपी राजनेता आस में जैसे इसकी ही बैठे थे अपना घर न संभाल सब पर्यटन करने को अब लखीमपुर खीरी आते हैं.. लाशों पर कर राजनीति, खून से सनी वोटों को बटोरने ये गांवों में घूमने जा.. शांत हो रहे माहौल को बिगाड़ना फिर चाहते हैं.. लाशों पर राजनीति..