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Balram Bathra
मेरे शहर में हल्की - फुल्की, बूंदाबांदी हो रही है., लगता है कि, कोई अप्सरा अपने बाल धो रही है.. ©Balram Bathra #बूंदाबांदी
Vedantika
मेरी वृद्धावस्था में मेरे बच्चों ने, मुझे वही उपहार दिया। जो मैने दिया था अपने माँ बाप को, उनकी वृद्धावस्था में। मेरे जीवन के हर कदम पर, जिनका था सहारा। उनको दिया था मैने, बैसाखी उपहार में। मेरे जीवन के हर शब्द, जिनके लिए था उपनिषद। (Read in Caption) Day:3 मेरी वृद्धावस्था में मेरे बच्चों ने, मुझे वही उपहार दिया। जो मैने दिया था अपने माँ बाप को, उनकी वृद्धावस्था में।
Vandana
सुप्रभात बूंदों ने दस्तक दी है मेरे आंगन में झुलसती गर्मी से कुछ राहत मिली,,,,, आज भरा है आसमान बादलों से काले सफेद बादलों का डेरा है,,,,,, कभी बि
Divyanshu Pathak
हमारे सभी शास्त्र,पुराण, काव्य और महाकाव्य शिव के महत्व को बतलाते आए हैं। श्री राम ने भी विजय प्राप्त करने के लिए शिव से प्रार्थना की या युद्ध हेतु आज्ञा ली। श्री कृष्ण ने भी अपनी लीलाओं में शिव का पूरा सहयोग लिया। पुरुष एवं प्रकृति की परिकल्पना को शिव और शक्ति ही पूर्ण करते हैं। शिव के बारे में बहुत कुछ कहना मेरे बस की बात नही बस जो उनको लेकर मन में विचार आए आपको कह दिए। वैरागी भी गृहस्थ भी। हित साधने वाले हैं तो संह
Divyanshu Pathak
अब तो कृपा करो कुछ बादल 'नभ' से 'थल' तक है 'जल ही जल' 'मिट्टी' के घर 'धसक' रहे है 'पत्थर' के दिल 'दरक' रहे है सह में बच्चे 'सिसक' रहे है अपनी ''माँ'' से चिपक रहे है "गिरवी" है चांदी की 'पायल' अब तो "कृपा" करो कुछ बादल पल-पल बदल रहे मौसम ने अन्नदाता की झोली में आंसू भर दिए हैं। खेतों में खड़ी फसल पर पड़ रही बूंदें किसानों पर वज्रपात करती महसूस हो रही हैं। ऎ
Divyanshu Pathak
'अन्नदाता' की झोली में 'आँसू'..... पल-पल बदल रहे मौसम ने अन्नदाता की झोली में आंसू भर दिए हैं। खेतों में खड़ी फसल पर पड़ रही बूंदें किसानों पर वज्रपात करती महसूस हो रही हैं। ऎ
Drg
सोचती हूँ कभी परेशान करूँ तुम्हें, फिर रोक कर ख़ुद को, ख़ुद ही से भिड़ जाती हूँ, ख़ुद से लड़ना और ख़ुद ही को समझाना अब आम सा हो गया है (कैप्शन में पढ़े) पलकें झपकती है तो आते है कई ख़याल, ख़यालों में तेरा ज़िक्र अब आम सा हो गया है करवट बदलते ही कुछ बेचैनी है महसूस होती, बेचैनियों में तेरी फ़िक्र
Gourav (iamkumargourav)
ये सर्द रात और हल्की बूंदाबांदी आसमान पर लगा बादलों का जमघट घर की दीवारों पर तुम्हारी यादों-सी चढ़ आयी ये सीलन दूर कहीं पार्श्व में बजता 90 के दशक का गीत और मैं... अपने सीने से लगाए लेटा हूँ एक किताब जिसमें भरी हैं कई यादें... कुछ अनकही बातें... कुछ अधूरे ख़त... और आँखों के कोर से ढुलकता हुआ एक मोती ©iamkumargourav ©Gourav (iamkumargourav) ये सर्द रात और हल्की बूंदाबांदी आसमान पर लगा बादलों का जमघट घर की दीवारों पर तुम्हारी यादों-सी चढ़ आयी ये सीलन दूर कहीं पार्श्व में बजता 9
Harpinder Kaur
आओ न..! इन हसीं वादियों की सर्द बूंदाबांदी की फिजा़ओं में एक चाय की प्याली का लुत्फ़ उठाते हैं कभी तुम, तो कभी हम अपने एहसासों की शक्कर इस चाय में मिलाते हैं आओ, दोनों मिलकर यादों की इलायची से इस चाय को महकाते हैं सर्द हवा की इस बूंदाबांदी में कुछ प्यार की रंगत चाय में मिलाते हैं इस चाय की चुस्की और बारिश की बूंदों में आओ, हम थोड़ा सा खो जाते हैं ©Harpinder Kaur # सर्द हवा की बूंदाबांदी और चाय