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mau jha
कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे, आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे। हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से, तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे। बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरखे का, चरखे से जमीं को हम, ता चर्ख गुंजा देंगे। परवा नहीं कुछ दम की, गम की नहीं, मातम की, है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे। उफ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे, तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे। सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका, चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे। दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं, खूं से ही हम शहीदों के, फौज बना देंगे। मुसाफिर जो अंडमान के, तूने बनाए जालिम, आजाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे। ©mau jha कसली कमर अब कुछ करके दिखाएंगे
Rakhi Om
सफ़र चल पड़े है नय रास्ते और सफ़र में लड़खड़ा रहे है ,फिर भी खड़े है हम चल पड़े है नय रास्ते और सफ़र में कमज़ोर पड़ रहे है,फिर भी धैर्य रखें है हम चल पड़े है नय रास्ते और सफ़र में टूट रहे है हम,फिर भी आत्मविश्वास से भरपूर है चल पड़े है नय रास्ते और सफ़र में मुश्किल है सब ,फिर भी नमुमकिन नही है सब चल पड़े है नय रास्ते और सफ़र में हम डर रहे है हार से,फिर भी जीत से दूर नही है हम ©Rakhi Gupta # चल पड़े #
बी.सोनवणे
नको कसली सहानुभूती, केले आपलेस नियतिने दिली परिस्थितीने अनुमती...!! ©बी.सोनवणे नको कसली सहानुभूती, केले आपलेस दिली परिस्थितीने अनुमती...!! #Morningvibes
J P Lodhi.
शहरों की राहों से गांव के वास्ते, हुजूम निकल पड़े, भूख की मार से,माली हालात से गरीब बिलख पड़े। छूट गए काम धंधे,शहर में न घर उनके पैर उठ पड़े, शहर में खैर न खुद को समझ के गैर,कदम उठ पड़े। कुलबुलाने लगे थे पेट उनके,खाली हो गई थी थाली, छोड़कर शहर को लोग पकड़ने लगे राहें गांव वाली। वक्त की पुकार को अनसुना कर गांव को बढ़ने लगे, महामारी के डर से, भूख के भय से याद आ गए सगे। जान की परवाह कर बगैर, हुजूम में हूजूम मिल गए, महामारी के सोर में,भाड़े के घर से गांव याद आ गए। आमदानी कुछ नही,रहने को घर नही राहें पकड़ ली, बसें ट्रेन थम गई सूनी सड़कों पे जिंदगियां चल पड़ी। #हुजूम चल पड़े
RK SHUKLA
दाग़ उनसे ना मिलिहों कभी । जिन्ह नहि मिले विचार।। चुटकी भर नहीं स्नेह रहे । जहर समान दुलार।। लाठी सबद ना मारिये। छाती फटै ऊदार।। माटी फटे ना फिर भरा। जोइ परी जाए दरार।। PRK रिश्ता पड़े दरार
sujeeta
कुछ भटके पड़े हैं दो चार राह दिखाओ और रास्ता फिर भी नही है चाह 🔥🔥🔥🔥🔥🔥 ©sujeeta भटके पड़े हैं