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नवनीत ठाकुर
ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो, ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई। दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें, मगर हर धड़कन अदब के साए में घुट गई। अब इल्तिज़ा है कि थोड़ा खुला आसमान मिले, वरना ये हसरत भी वक्त के साथ ही मिट गई। ज़िंदगी जो हँसते हुए बसर करनी थी, वो शिकायतों के दायरों में ही सिमट गई। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो, ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई। दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें, मगर हर धड
#नवनीतठाकुर ख़ुदा करे, इक सांस बगावत की भी मयस्सर हो, ये ज़िंदगी तो बस सलीकों में सिमट गई। दिल ने चाहा कि ज़रा बेख़ौफ धड़क लें, मगर हर धड
read moreनवनीत ठाकुर
पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें, सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें। बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो, झुके भी तो खुद्दारी के संग चलता हो। तूफ़ानों से लड़ने का मिज़ाज रखो, खुद को गिरने से बचाने का रिवाज़ रखो। दुनिया का बोझ जितना संभालोगे, खुद से उतना ही दूर निकल जाओगे। जो गहराई समझे, वही ऊपर उठेगा, जो दूसरों से डरेगा, वहीं खुद सिमटेगा। अपने अंदर समंदर सा सुकून रख, ऊपर से शांत, अंदर जुनून रख। जो भीड़ के साथ चला, खो गया, जो अलग रहा, खुदा जैसा हो गया। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें, सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें। बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो, झुके भी तो खु
#नवनीतठाकुर पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें, सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें। बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो, झुके भी तो खु
read moreDr.Priyanka Chandra
मेरी जान ये दिन आज खूबसूरत सा मालूम होता है कुछ बिखरे सपने आज सिमटने लगे है जिन्हे छोड़ आई थी काफी पीछे वो आज फिर से मुझे मिलने लगे है मालूम होता है जैसे सब वही ठहरा था अब तक मेरे कदम जो बढ़े ये दिन भी ढलने लगे है।। ©Dr.Priyanka Chandra मेरी जान ये दिन आज खूबसूरत सा मालूम होता है कुछ बिखरे सपने आज सिमटने लगे है जिन्हे छोड़ आई थी काफी पीछे वो आज फिर से मुझे मिलने लगे है मालू
मेरी जान ये दिन आज खूबसूरत सा मालूम होता है कुछ बिखरे सपने आज सिमटने लगे है जिन्हे छोड़ आई थी काफी पीछे वो आज फिर से मुझे मिलने लगे है मालू
read moreMonika Suman
कितने कम में मेरा भी गुजारा होता है , याद जैसा कुछ याद भी नहीं बस उसके नाम का सहारा होता है , वो पास से गुजरे तो थोड़ा छु के उसे महसूस भी कर लूँ , दो किनारो की तरह हम , हमारे लिए तो बस एक दुसरे का नजारा होता है .... चलो एक रात , एक एक कर तारो को ज़मी पर उतारते हैं , ये दरिया कहीं न कहीं जाकर तो सिमटता होगा , जहाँ हर बूँद छोड़ देती होगी सागर होने की उम्मीद , सोचो उस रात कैसे ठहरे हुए पानी में चांद इतराता होता है ... ©Monika Suman कितने कम में मेरा भी गुजारा होता है , याद जैसा कुछ याद भी नहीं बस उसके नाम का सहारा होता है , वो पास से गुजरे तो थोड़ा छु के उसे महसूस भी कर
कितने कम में मेरा भी गुजारा होता है , याद जैसा कुछ याद भी नहीं बस उसके नाम का सहारा होता है , वो पास से गुजरे तो थोड़ा छु के उसे महसूस भी कर
read moreShivkumar barman
White न रेत में... न देह में... न मन मे ... न अहसास में.. न जिस्म में... इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत में.. न इनायत में.... न चाहत में .. न ख्वाहिश में.. इश्क़ तो बसता है सिर्फ रूह की इबादत में..!! ©Shivkumar barman न #रेत में... न #देह में... न #मन मे ... न #अहसास में.. न #जिस्म में... #इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत म