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Stories related to 'बचपन के दिन शायरी'

Jay Shri Ram

बुआ के लिए शायरी 2025 नया साल बुआ के लिए शायरी

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आधुनिक कवयित्री

बचपन की यादें......

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Abhi

#lovelife शायरी मोहब्बत के लिए

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Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे 
तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे।

©Abhi #lovelife शायरी मोहब्बत के लिए

Anjali Singhal

बचपन के वो सुहाने दिन ✍️ #AnjaliSinghal #bachpan #Poetry #poetrycommunity #poetryshayari shayari nojoto

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RAMLALIT NIRALA

बचपन के याद आओ मील कर ताजा करे

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Monu Saini

बचपन# समझदार

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न समझदार हूं  और न ही बनना चाहता हूं 
टेंशन से लबालब जिंदगी छोड़ ऐ मेरे मालिक में तो बचपन में ही जीना चाहता हूं।

©Monu Saini बचपन#  समझदार

Dr.Meet (मीत)

wo बचपन

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White वो बचपन कितना अच्छा था 
प्यार हमारा सच्चा था 
धोखा दगाकुछ ना जाने 
क्यों कि तब में बच्चा था

©डॉ.वाय.एस.राठौड़ (.मीत.) wo बचपन

Sumit Pandey

देखना एक दिन ले डूबेगी तुम्हें ❤️‍🩹💔 #nojohindi #Shaayari #share #View #viral शायरी दर्द शायरी लव रोमांटिक 'दर्द भरी शायरी'

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Rakesh Songara

#बचपन

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बचपन की यादें  किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,
वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन,
बेवजह क्यूँ याद आ गए,,,
वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,,
‌टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,,
‌माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,,
‌वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,,
‌वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,,
‌मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,,
‌अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं
‌ क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,
‌सावन के झूलों में घण्टों लटकना,,
‌वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,,
‌फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे,
‌वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,,
‌था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम,
‌अब तो  हर सांस पे लगता है राशन,,
‌चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,,
             राकेश सोनगरा, सरदारशहर

©Rakesh Songara #बचपन

Shiv Narayan Saxena

#बारिशें बीते दिन बरसात के..... hindi poetry on life

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बीते दिन बरसात के, फूले कास निहार।
बड़ी रात के नाम से, दिवस हुए लाचार।।

धीरे-धीरे झॉंक कर, कोहरा कर अनुमान।
बीते दिन बरसात के, धुंध  नयी  मेहमान।।

सेवानिवृत्त करैं सभी, विगत ज्यों वर्षा-बात।
आज चुनौती हैं नयी, उनको क्या यह ज्ञात।।

बीता मौसम मेंह का, प्रकृति न अब उमसाय।
आया  मौसम  शौकिया, सब का  मन हर्षाय।।

मिलन  अश्रु  नहिं  नयन  मॉं, बीत गयी बरसात।
अली कली और तितलियॉं, करें मिलन की बात।।

©Shiv Narayan Saxena #बारिशें बीते दिन बरसात के..... hindi poetry on life
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