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ऋतु गुलाटी ऋतंभरा
White दिनांक..9-5-24 विषय..अक्षय तृतीया पर विधा.. मुक्तक(2) 22---22---22---22 खुदा का हाथ सर होता है। फिर अब किसका डर होता है। अक्षय सुहाग मिला जब मुझको- सब कुछ फिर बहतर होता है। खुशियों का वो दर होता है। भर झोली दिलबर होता है। पूजो मालिक को तुम हरदम दुआओ का असर होता है। स्वरचित..✍️ रीतागुलाटी ऋतंभरा ©ऋतु गुलाटी ऋतंभरा #ak#अक्षय तृतीया पर मुक्तकshaya_tritiya_2024
Dr Nutan Sharma Naval
Book quotes मुक्तक बाबा तुलसी के कर कमलों ने रामायण रच डाली थी। राघव ने पाप मिटाने को लंका विध्वंस कर डाली थी। प्राण बचाने लखन लाल के हनुमत पल में बूटी लाए। भ्रात प्रेम में भरत ने आकर राज्य को ठोकर मारी थी ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक हो चिरागों की कैसे हिफाज़त यहां। कर रही है हवा भी बगावत यहां। वक्त सूरज को भी, है बुझाता रहा। वक्त को भी मिली है विरासत यहां। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक अपनी वाणी से अंतस चुभोने चले। खुद को अज्ञान के संग डुबोने चले। छोड़ मां बाप अपनों को सूनी सड़क। तट पे फिर सिंधु के पाप धोने चले। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक खिल गए पुष्प फिर से बसंत में। सौंधी सी महक फिर से बसंत में। कूके कोकिल भी गुनगुनाती हुई। सब रहे हैं बहक फिर से बसंत में। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला#basant#nutannaval
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक हे प्रिये तुम ही जीवन की पतवार हो। तुम ही प्रभु का दिया मुझको उपहार हो। तुमपे ही है शुरू तुमपे ही अंत है। तुम ही सबसे महत्वपूर्ण किरदार हो। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला#नूतननवल
Dr Nutan Sharma Naval
मुक्तक मैं तुम्हें भूल जाऊँ ये संभव नहीं। गीत तुमपे न गाऊँ ये संभव नहीं। तुम ही हो प्रेरणा मेरे हर गीत की। तुमसे मैं न निभाऊँ ये संभव नहीं। ©Dr Nutan Sharma Naval #मुक्तक_श्रृंखला