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gauranshi chauhan
Unsplash Day - 427 खिलखिलाते फूलो जैसी थी मेरी जिंदगी, बेरहम दुनिया ने काटों से भर डाली जिंदगी । ✨✨🧿✨✨ मेरी पंक्तियाँ ✍️✍️.... ©gauranshi chauhan #leafbook Day - 427 खिलखिलाते फूलो जैसी थी मेरी जिंदगी, बेरहम दुनिया ने काटों से भर डाली जिंदगी । ✨✨🧿✨✨ मेरी पंक्तियाँ ✍️✍️ Sandip rohilla
#leafbook Day - 427 खिलखिलाते फूलो जैसी थी मेरी जिंदगी, बेरहम दुनिया ने काटों से भर डाली जिंदगी । ✨✨🧿✨✨ मेरी पंक्तियाँ ✍️✍️ Sandip rohilla
read moreSarvesh kumar kashyap
🤷 धीरे-धीरे सब..🤔👥 #Best #shayri #Motivational #status Life #Sarveshkashyap #viral #Emotional
read moreAnuradha T Gautam 6280
धीरे-धीरे रात बीतती रही और मैं #एक_टक खिड़की से आसमान को निहारती रही..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️ 👀☁️👀
read moreParasram Arora
Unsplash जिंदगी को अपना समझ कर मैंने उससे गुफफ़्तगू करली और बहूत सारे अपने राज़ भी उससे साझा कर लिए अब पछता रहा हूँ कि कही वो मेरे राज़ सबकेसामने उगल न दे काश जिंदगी मेरी बहरी होती ©Parasram Arora जिंदगी से गुफ़्तगू
जिंदगी से गुफ़्तगू
read moreहिमांशु Kulshreshtha
धीरे धीरे अंतस का सारा शोर थम जाता है.. सारी पीड़ाएं,सारे दुख सुन्न से हो सो जाते हैं.. फिर कुछ भी हैरान नहीं करता, कुछ भी परेशान नहीं करता.. पीछे मुड़कर देखने पर लगता है जिस जिंदगी को जीया, भावनाओं का जो ज्वार उमड़ा सब बचकाना था सब कुछ बेमानी था.... जिस को जाना था वो चला ही जाता है ख़ामोशी से बस, अपने निशाँ छोड़ कर धीमे धीमे जिदगी फ़िर ढर्रे पर आने लगती है किसी के बिना जी न पाने का डर कम होता जाता है बस.. कभी कभी सीने में एक आग सी उठती है एक ख़ामोश शोर कानों में गूंजता है फ़िर, सब सतह पर पहले सा हो जाता है ©हिमांशु Kulshreshtha धीरे धीरे...
धीरे धीरे...
read moreShishpal Chauhan
White अपनी लेखनी से कभी लिखता हूँ, कभी लिखकर मिटाता हूँ । कभी हृदय का प्रेम छुपाता हूँ, कभी सोए हुए को जगाता हूँ । लेकिन मैं सोचता हूँ कि तुमने मेरी लेखनी से प्यार नहीं किया यह तुम्हें मैं क्यों बताता हूँ , तुमने तो मेरे व्यक्तित्व से प्रेम किया; यह सोचकर सहम-सा जाता हूँ । तुम्हें पढ़ने की फुर्सत नहीं है ; यूँ ही दिल को ठेस पहुँचाता हूँ, मुझे वो चेहरा पसंद नहीं है ; केवल दिखावा करता है मैं आपनी लेखनी से ही मन को बहला लिया करता हूँ । अ मेरे जीवन साथी शायद तुम्हें पता ही नहीं मेरी जिंदगी को तुमने कितना बदल दिया सोते हुए नींद में भी लिख लिया करता हूँ , लेकिन तुम्हें क्या फर्क पड़ता है मेरी नींद हराम करने वाली बेकार में ही दिल की धड़कन बढ़ा लिया करता हूँ। तुमने मेरी प्रेम की गहराईयों को समझा ही नहीं तेरी यादों से ही बेरहम अंधेरी रात काट लिया करता हूँ, तुम साथ न दो कोई बात नहीं ; अश्कों को ही स्याही बना लिया करता हूँ। मैं तुमसे मिलने से पहले एक बेजान-सा पुतला था तुमने ही मुझे दिया नाम, पी लिया करता हूँ गमों का जाम। पहचान और शोहरत दी बस तू मेरे साथ रहे यही मैं चाहता हूँ, जैसे सुनार सोने को पिघलाकर आकार देता है तुमने मेरी जिंदगी ही बदल दी तुम से जुदा न हो पाऊँगा बस तुझमें ही खो जाना चाहता हूँ। कितने लोग आए और कितने चले गए कईयों के रिश्ते बिगड़ गए तो कईयों के संवर गए सुख हो दुख हो तुम्हारे संग हर लम्हा बिताना चाहता हूँ, कुछ लोग प्यार की गंभीरता को समझते हैं वे दुनिया को बहुत कुछ दे जाते हैं शायद मैं भी उनमें से एक हूँ अपने मधुर शब्दों से यादें छोड़ देना चाहता हूँ। प्यार में झूठे वायदे झूठी कसमें खाई जाती है उनको निभाता है कोई-कोई ऐसे बंधन में नहीं मैं बंद जाना चाहता हूँ, प्रेम ईश्वर का दिया एक नायाब तोहफ़ा है; उसमें एक अलग खुशबू है अपनी पवित्रता का ख्याल रखना चाहता हूँ । लेखन बयां कर देता है दिल का हाल – चौहान, लेखनी है मेरी जान ।। ©Shishpal Chauhan #मेरी लेखनी से
#मेरी लेखनी से
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