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Anjali Singhal
New Year 2025 "नई खुशी है नई मुस्कुराहट, मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट। पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं, धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा रही हैं। उम्मीद की तरंगे लहरा रही हैं, ख़्वाब कोई नया दिखा रही हैं। दुआएँ सभी की तरफ से आ रही हैं, बुरी बलाएँ सबकी ढली जा रही हैं।।" ©Anjali Singhal #Newyear2025 "नई खुशी है नई मुस्कुराहट, मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट। पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं, धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा
#Newyear2025 "नई खुशी है नई मुस्कुराहट, मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट। पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं, धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा
read morePoonam Singh
New Year 2024-25 नए साल के आगमन पर कुछ गीत हम गुनगुनाते हैं नभ तक उड़कर जाने की उम्मीद हम संजोते हैं जो बीत गई सो बात गई हम बीते कल की चिंता नहीं करते हैं आया साल नया अब तो स्वागत हम उसकी करते हैं।।,🌺🌺 ©Poonam Singh #NewYear2024-25 नया साल आप सभी को मुबारक हो
#Newyear2024-25 नया साल आप सभी को मुबारक हो
read moreMr Raju
हैप्पी न्यू ईयर ©Mr Raju हैप्पी न्यू ईयर नया साल मुबारक
हैप्पी न्यू ईयर नया साल मुबारक
read mores गोल्डी
हम वफा में बने दवा तेरी, तुम इश्क में हानिकारक हो हमें मोहब्बत में रुलाने वाले तुझे भी नया साल मुबारक हो l 🩶💔 ©s गोल्डी हम वफा में बने दवा तेरी तुम इश्क में हानिकारक हो हमें मोहब्बत में रुलाने वाले तुझे नया साल मुबारक हो l 🩶💔
हम वफा में बने दवा तेरी तुम इश्क में हानिकारक हो हमें मोहब्बत में रुलाने वाले तुझे नया साल मुबारक हो l 🩶💔
read moreneelu
White भजन सुनते थे बचपन में.. घर ना किसी का बसा सको तो झोपड़िया मत जला देना.. मरहम पट्टी कर ना सको तो घाव भी मत लगा देना दीपक बनकर जल ना सको तो अंधाय1रा भी मत करना पुष्प नहीं बन सकते तो फिर कांटे बनकर मत रहना.... मुबारक हो हमने कर दिखाया ©neelu #love_shayari #भजन #सुनते थे बचपन में.. घर ना किसी का बसा सको तो #झोपड़िया मत जला देना.. मरहम पट्टी कर ना सको तो घाव भी मत लगा देना #दी
#love_shayari #भजन #सुनते थे बचपन में.. घर ना किसी का बसा सको तो #झोपड़िया मत जला देना.. मरहम पट्टी कर ना सको तो घाव भी मत लगा देना दी
read moreBhanu Priya
लड़की हूं, इसलिए हर साल सुर्खी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत्ता, कभी मनाली न जाने कितनी हैं बिगड़ी, कितने आशियानों की रमजान, होली , दिवाली, हक का कहां मिला मुझे, दस्तूर ए जहां, आज इसने तो कल उसने सबने वादें किए मुझसे... यही रीत ज़माने की लड़ता हैं वह खुद के लिए , काश एक बार निकलता वह खुदसे और लड़ता मेरे लिए। ©Bhanu Priya #दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत
#दस्तूर_ए_वक़्त दस्तूर लड़की हूं,इसलिए हर साल सरखी बनती हूं, सरकारें आती हैं जाती हैं, दस्तूर ए जहां, सत्ता, सत्ता ही रह जाती है, कभी कलकत
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