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संजय जालिम " आज़मगढी"
White तेरे दर्द की दवा क्या है.. मुझे तो बता दे.. "२" तेरे खुशी की दुवा क्या करू... मुझे तो पत्ता दे "२" बरसों की उल्फ़त है.. तेरी मेरी... जहाँ को जता दे.. नूर हो मेरी जिंदगी की "जालिम" .. क्यों तुम्हें खता दे.... "२" ©संजय जालिम " आज़मगढी" # तेरी मेरी #
# तेरी मेरी #
read moreAnjali Singhal
"हर आहट पर तेरी राह तकी है मैंने, इंतज़ार में पलकें बिछा रखी हैं मैंने। दर्द दिल में बढ़ते जा रहे हैं फिर साँसों को, तेरी यादों के गुलाब से महका रखी हैं मैंने।।" ©Anjali Singhal #HappyRoseDay "हर आहट पर तेरी राह तकी है मैंने, इंतज़ार में पलकें बिछा रखी हैं मैंने। दर्द दिल में बढ़ते जा रहे हैं फिर साँसों को, तेरी य
#HappyRoseDay "हर आहट पर तेरी राह तकी है मैंने, इंतज़ार में पलकें बिछा रखी हैं मैंने। दर्द दिल में बढ़ते जा रहे हैं फिर साँसों को, तेरी य
read moreSarfraj Alam Shayri
White जहाँ पानी गिरता है वहां हरियाली उगती है जहाँ तौबा के आंसू गिरते हैं वहां अल्लाह की रहमत बरसती हैं.! ©Sarfraj Alam Shayri #Thinking जहाँ पानी गिरता है वहां हरियाली उगती है जहाँ तौबा के आंसू गिरते हैं वहां अल्लाह की रहमत बरसती हैं.!
#Thinking जहाँ पानी गिरता है वहां हरियाली उगती है जहाँ तौबा के आंसू गिरते हैं वहां अल्लाह की रहमत बरसती हैं.!
read moreसंजय जालिम " आज़मगढी"
White दिल की बात लब से कही नही जाये मोहब्बत तेरी ऐसी, रहा नही जाये नज़र तेरी ऐसी सब को इश्क़ हो जाये जालिम तेरी उल्फ़त ऐसी की मुझे एक पल भी दिल को चैन न आये ©संजय जालिम " आज़मगढी" # उल्फ़त तेरी##
# उल्फ़त तेरी##
read moreAbhay shakya
Unsplash मेरे तो अश्कों पर भी आज भी तेरा ही नाम लिखा है .. हाय , हम मर क्यों नहीं गए .. तेरी मेंहदी पर किसी ओर का नाम देखने से पहले । ©Abhay shakya #lovelife तेरी मेंहदी
#lovelife तेरी मेंहदी
read moreF M POETRY
Unsplash आरज़ू है यही तमन्ना है.. तेरी बाहों में जीना मरना है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #तेरी बाहों में...
#तेरी बाहों में...
read moreनवनीत ठाकुर
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था। ©नवनीत ठाकुर जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
जियारत करूं के माथा टेकूं, तूने जो दिया, मैं उसके काबिल न था। तेरी रहमत की हद क्या बताऊं, इंशाल्लाह, तूने जो किया, मैं उसका हकदार न था।
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