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RAGHAV
Priya KHEELJI sakshi Pandey Rasika Masoom ..baad me pata chala o chor nahi chorni thi 🤣 #Videos
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अहंकार जब तक ह्रदय का पुर्ण अन्धकार नष्ट नहीं होगा। हमें पुर्ण रोशनी को भी इन आंखों से देखने पर भी, किसी के जीवन व सुर्य की पुर्ण रोशनी के प्रकाश को देखने पर भी एक नजरिया से , उनको तो वह अंधकार व अहंकार ही नजर आयेगा। अहंकार (एक डिग्री ही है जीवन की ) जिसमें पास सभी हो जाते हैं। इसमें फेल कोई नहीं होना चाहता है। ©GRHC~TECH~TRICKS #udaasi #grhctechtricks Sanjana Yuvraj Koli Darling Shekar pooja mourya Nazim Ali (Shiblu) satting_baba Uttam Aj Anjali saini Mr.Ankit K
#udaasi #grhctechtricks Sanjana Yuvraj Koli Darling Shekar pooja mourya Nazim Ali (Shiblu) satting_baba Uttam Aj Anjali saini Mr.Ankit K #विचार
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
वो समय जब मेरे पिता मुझे उनके हाथों से खाना खिलाते थे। और उनके हाथों पर ही जोड़ बाकि गुणा भाग, वर्ण माला सिखाते थे। जब मेरे हाथों में मेहंदी लगी होती थी। तो नज़र उतारते थे। और गोद में बिठा कर खाना खिलाते थे। जब अपनी ड्यूटी से गांव आते थे। तब वो अंतर्देशीय पत्र में लिखना की कब आऊंगा कौनसी गाड़ी से आऊंगा। जब आते थे। उस दिन बस स्टैंड पहुंच जाना। उनका बस से उतरकर आना और दौड़कर कहना वहीं रूक और आकर गोदी में उठाना और किसी बड़े की नज़र पड़ेऔर जब वो गोदी से नीचे उतार कर अपनी ऊंगली पकड़वा देते थे तो अपने हाथ से उनकी ऊंगली पकड़ कर घर पर आना और दादी से और मां से कहना की पापा आ गए हैं।😭 ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma कैप्शन में पढ़े 🙏🙏अगर आपको भीं अपने भुतकाल में जाकर कोई यादें यां किसी अपने को लाना चाहते हो तो किसको लाओगे। आपका कोनसा अनमोल पल हैं जिसे या
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**** ज्ञान **** ज्ञान की पुर्ण परिभाषा देने वाले आपको अनेक प्रमाण मिलेगे। वास्तविक में ज्ञान क्या है ? क्या स्वरूप इसका ? (जानिए) हमारा मस्तिष्क एक आकाशगंगा है । इसका सम्बन्ध शरीर रूपी पात्र के हद्रय रुपी सागर की तरंग (विचार) रुप में बदल जाती इनसे है। यही मुख के द्वारा निकलनें से ज्ञान की परिभाषा में बदल जाती है। और यही सामने वाले के हद्रय के तरंग से तरंग (विचार से विचार) मिलने की प्रक्रिया ही एक ज्ञान है। ज्ञान का अब तक पुर्ण विकसित विकास किसी को नहीं हुआ है। चाहे भगवान के अवतार भी क्यूं ना हुआं हो। सभी का जन्म लेने के कुछ -कुछ कारण थे। अब तक जितने भगवान अवतार हुएं है उनको भी नहीं है? क्योंकि प्रकृति के प्रमाण से प्रमाण पर लिख रहा हूं ये सब। मार्ग दर्शन करने आते हैं हमाराऔर धर्म स्थापित करके चले जाते हैं। श्री गीता जी भी इसी का एक प्रमाण है, जो ज्ञान से ज्ञान प्राप्त होता है। उसको ही इस ज्ञान स्वरूप कहा जाता है। संसार में वह कोई और नहीं होता। आपके ह्रदय में खुद भगवान होता है। जो आपके मुख पर ज्ञान यज्ञ से प्रभावित होकर प्रसन्नता होती है। वह उन्हीं के द्वारा प्रदान की हुईं किया हुआ अलौकिक उपहार होता है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #treanding #reading #Tea Rahul ƈɦɛȶռǟ ƈօօʟ (Y̴a̴a̴r̴a̴) vishwadeepak Nikita vandna Create By Heart Rahul ƈɦɛȶռǟ ƈօօ
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