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Mahesh Mohit
जातक कथा: दो हंसों की कहानी | The Story Of Two Swans बहुत पुरानी बात है हिमालय में प्रसिद्ध मानस नाम की झील थी। वहां पर कई पशु-पक्षियों के साथ ही हंसों का एक झुंड भी रहता था। उनमें से दो हंस बहुत आकर्षक थे और दोनों ही देखने में एक जैसे थे, लेकिन उनमें से एक राजा था और दूसरा सेनापती। राजा का नाम था धृतराष्ट्र और सेनापती का नाम सुमुखा था। झील का नजारा बादलों के बीच में स्वर्ग-जैसा प्रतीत होता था। उन समय झील और उसमें रहने वाले हंसों की प्रसिद्धी वहां आने जाने वाले पर्यटकों के साथ देश-विदेश में फैल गई थी। वहां का गुणगान कई कवियों ने अपनी कविताओं में किया, जिससे प्रभावित होकर वाराणसी के राजा को वह नजारा देखने की इच्छा हुई। राजा ने अपने राज्य में बिल्कुल वैसी ही झील का निर्माण करवाया और वहां पर कई प्रकार के सुंदर और आकर्षक फूलाें के पौधों के साथ ही स्वादिष्ट फलों के पेड़ लगवाए। साथ ही विभिन्न प्रजाती के पशु-पक्षियों की देखभाल और उनकी सुरक्षा की व्यवस्था का आदेश भी दिया। वाराणसी का यह सरोवर भी स्वर्ग-जैसा सुंदर था, लेकिन राजा के मन में अभी उन दो हंसों को देखने की इच्छा थी, जो मानस सरोवर में रहते थे। एक दिन मानस सरोवर के अन्य हंसों ने राजा के सामने वाराणसी के सरोवर जाने की इच्छा प्रकट की, लेकिन हंसाें का राजा समझदार था। वह जानता था कि अगर वो वहां गए, तो राज उन्हें पकड़ लेगा। उसने सभी हंसों को वाराणसी जाने से मना किया, लेकिन वो नहीं माने। तब राजा और सेनापती के साथ सभी हंस वाराणसी की ओर उड़ चले। जैसे ही हंसों का झुंड उस झील में पहुंचा, तो अन्य हंसों को छोड़कर प्रसिद्ध दो हंसों की शोभा देखते ही बनती थी। सोने की तरह चमकती उनकी चोंच, सोने की तरह ही नजर आते उनके पैर और बादलों से भी ज्यादा सफेद उनके पंख हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। हंसों के पहुंचने की खबर राजा को दी गई। उसने हंसों को पकड़ने की युक्ति सोची और एक रात जब सब सो गए, तो उन हंसों को पकड़ने कि लिए जाल बिछाया गया। अगले दिन जब हंसों का राजा जागा और भ्रमण पर निकला, तो वह जाल में फंस गया। उसने तुरंत ही तेज आवाज में अन्य सभी हंसों को वहां से उड़ने और अपनी जान बचाने का आदेश दिया। अन्य सभी हंस उड़ गए, लेकिन उनका सेनापती सुमुखा अपने स्वामी को फंसा देख कर उसे बचाने के लिए वहीं रुक गया। इस बीच हंस को पकड़ने के लिए सैनिक वहां आ गया। उसने देखा कि हंसों का राजा जाल में फंसा हुआ है और दूसरा राजा को बचाने के लिए वहां खड़ा हुआ है। हंस की स्वामी भक्ति देखकर सैनिक बहुत प्रभावित हुआ और उसने हंसों के राजा को छोड़ दिया। हंसों का राजा समझदार होने के साथ-साथ दूरदर्शी भी था। उसने सोचा कि अगर राजा को पता चलेगा कि सैनिक ने उसे छोड़ दिया है, तो राजा इसे जरूर प्राणदंड देगा। तब उसने सैनिक से कहा कि आप हमें अपने राजा के पास ले चलें। यह सुनकर सैनिक उन्हें अपने साथ राजदरबार में ले गया। दोनों हंस सैनिक के कंधे पर बैठे थे। हंसों को सैनिक के कंधे पर बैठा देखकर हर कोई सोच में पड़ गया। जब राजा ने इस बात का रहस्य पूछा, तो सैनिक ने सारी बात सच-सच बता दी। सैनिक की बात सुनकर राजा के साथ ही सारा दरबार उनके साहस और सेनापती की स्वामी भक्ति पर हैरान रह गया और सभी के मन में उनके लिए प्रेम जाग उठा। राजा ने सैनिक को माफ कर दिया और दोनों हंसों को आदर के साथ कुछ और दिन ठहरने का निवेदन किया। हंस ने राजा का निवेदन स्वीकार किया और कुछ दिन वहां रुक कर वापस मानस झील चले गये / ©Mahesh Mohit जातक कथा: दो हंसों की कहानी |
Amar Anand
प्यारे इस जहां में तुम किसी के नहीं हो न ही इस जहां में तुम्हारा है कोई ये रिश्ते नाते ये सगे संबंधी जगत के हैं ये सारे झूठे फसाने ये अबतक किसी के न हुए हैं कभी ये तुम्हारे अपने जो पल पल अभी अलग तुमसे कभी रहते नहीं हैं कोई कहते मित्र बन्धु कोई जीवन प्रभु कोई सर्वस्व भी तुमको जता रहे हैं मोक्ष द्वार पलभर को निकल लो यदि देखो जो स्पर्श किये थे तुम्हें एक पल को सभी वो भी गंगाजल से मल-मल के नहा रहे हैं ये माया मोह के सारे खेल बने हैं तुम पश्चात्ताप मोक्ष की अनंत योनियों में सृष्टि में ना जाने कब से भटक रहे हो अफसोस मानव तन में आये तो सिर्फ स्वार्थ में ही रमे हुए हो ये जीवन मृत्यु की कालचक्र से प्यारे अब निकलना तुम्हें है बहुत भटके विषय वासनाओं में अब पल पल प्यारे संभालना भी तुम्हें है मोक्ष की जिम्मेदारी अपने कंधों पर हैं राह भी देखो कितना सुगम व सरल है न कड़ी मेहनत न कोई परिश्रम दूरदर्शी सोच व स्वच्छ विचार के साथ बस योगपथ पर प्यारे चलना तुम्हें है सफर में चलो बनके मस्त मौला साधक हो तुम , ना हो तुम्हें भय भी किसी का अन्तिम मृत्यु ही परम सत्य है प्यारे योगपथ में पल-पल बस प्रतीक्षा उसी का #मेरे एहसास केवल अध्यात्म Note - प्रस्तुत रचना का उद्देश्य किसी भी जातक को वैराग्य के लिए प्रेरित करना नहीं है -परम सत्य योगपथ-
Amar Anand
आपलोगों का प्यार व प्रतिक्रिया देखकर मुझे अफसोस होता है कि.. मैंने प्रेम विषय पे लिखना बंद क्यों कर दिया पहली बार कुछ अलग 3 कविता लगातार केवल 3 poetry (जो परम सत्य योगपथ से बिल्कुल भी related नहीं ) मैंने पूर्ण प्रयास किया है कि प्रेम रस शीर्षक को सही मायनों में दर्शा सकूँ... और प्रेम का सही अर्थ आप सभी को बता सकूँ और शायद प्रेम रस शीर्षक-3 प्रेम विषय पे मेरी आखिरी कविता भी हो और फिर पुनः केवल परम सत्य योगपथ धन्यवाद 💐💐💐💐💐 -Amar Bairagi कोई भी जातक गलत सोचकर बीमार न बनें अच्छा सोचें स्वस्थ रहें मैं बस निर्मल प्रेम को शास्त्र निहित सही दर्शाने का प्रयत्न करूँगा #मेरेएहसास केव
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आपकी जन्मकुंडली में तो नहीं है कोई दोष, कब आएगी राहु की महादशा, अगर आप के कुंडली में राहु महादशा का साया है तो उससे निकलने के उपाय यहाँ से प
Amar Anand
-परम सत्य योगपथ- भौतिक जीवन में सुख और सुविधाओं में बहुत बड़ा अंतर होता है यदि इंसान सुविधाओं को ही सुख समझ ले तो इसमें किसकी गलती है सुख , संयम व शांति इंसान के अंदर विद्यमान होता है और सुविधाएँ बाहर से अर्जित की जाती है जबकि मूरख इंसान सुविधाओं में ही सुख व सच्ची शांति ढूँढने को प्रयासरत रहता है और इस तरह इंसान सच्ची शांति की तलाश में अपना सर्वश्व जीवन यूँ ही गवां देता है -Amar Bairagi #मेरेएहसास केवल अध्यात्म वर्तमान समय में अपने आसपास ऐसे कई जातक को देख सकते हैं जो कि हर सुविधाओं से सम्पन्न है लेकिन उनके पास संयम सुख व स
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सावन का पहला सोमवार, 18 जुलाई को पड़ेगा. ऐसे में सावन की अवधि में भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-पाठ उपाय करते हैं. ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में भगवान शिव की उपासना के लिए खास विधि बताई गई है. आइए जानते हैं कि सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए राशि के अनुसार कौन-कौन की चीजें अर्पित की जाती हैं. Sawan 2022 Somwar Auspicious Clothes Color: सावन के सोमवार के दिन इस रंग के कपड़े पहनना होता है शुभ, शिव जी होते हैं खुश सावन में राशि के अनुसार शिवजी को अर्पित करें ये चीजें 1. मेष- इस राशि के लोग सावन में भगवान शिव को लाल या रक्त चंदन अर्पित कर सकते हैं. इसके साथ ही लाल रंग के फूल भी अर्पित कर सकते हैं. शिवजी को फूल चंदन अर्पित करते वक्त ओम् नागेश्वराय इस मंत्र का जाप कर सकते हैं. ऐसा करना शुभ रहेगा. 2. वृषभ- इस राशि के जातक सावन में भोलेनाथ को चमेली का फूल अर्पित कर सकते हैं. इसके साथ ही रुद्राष्टम् स्तोत्र का पाठ करना शुभ साबित होगा. 3. मिथुन- मिथुन राशि के जातक सावन में शिव जी की भांग धतूरा अर्पित करें तो बेहतर होगा. साथ ही साथ पंचाक्षरी मंत्र - ओम् नमः शिवाय का भी जाप कर सकते हैं. सावन मे ऐसा करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा. 4. कर्क- कर्क राशि के लोग सावन में शिवलिंग पर भांग मिश्रित जल अर्पित करें. इसके साथ ही इस दौरान रुद्राष्टध्यायी का पाठ करना भी शुभ रहेगा. इसके अलावा अगर संभव हो तो गंगाजल से शिव का अभिषेक कर सकते हैं. 5. मिथुन- मिथुन राशि के जातक सावन में शिव जी की भांग धतूरा अर्पित करें तो बेहतर होगा. साथ ही साथ पंचाक्षरी मंत्र - ओम् नमः शिवाय का भी जाप कर सकते हैं. सावन मे ऐसा करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा. 6. कर्क- कर्क राशि के लोग सावन में शिवलिंग पर भांग मिश्रित जल अर्पित करें. इसके साथ ही इस दौरान रुद्राष्टध्यायी का पाठ करना भी शुभ रहेगा. इसके अलावा अगर संभव हो तो गंगाजल से शिव का अभिषेक कर सकते हैं. 7. सिंह- सिंह राशि से संबंधित लोग सावन में भोलेनाथ को लाल रंग के फूल अर्पित करेंगे तो बेहतर होगा. साथ ही शिव मंदिर में शिव चालीसा का पाठ करना भी अच्छा रहेगा. 8. कन्या- सावन के दौरान कन्या राशि के जातक शिवजी को बेलपत्र, भांग, धतूरा इत्यादि अर्पित कर सकते हैं. इसके साथ ही शिवलिंग पर घी दूध अर्पित कर सकते हैं. 9. तुला- तुला राशि के जातक सावन में शिवलिंग पर दूध अभिषेक करते हुए शिव सहस्रनाम का पाठ कर सकते हैं. साथ ही अगर शिवलिंग पर दही से अभिषेक करेंगे तो भी शुभ रहेगा. Sawan 2022 Ujjain MahaKaleshwar Bhavya Puja: आज सावन के पहले दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में दिखा भव्य नजारा, अलौकिक रूप में शिव जी का हुआ शृंगार पूजा 10. वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातक भोलेनाथ को गुलाब का फूल व बिल्वपत्र की जड़ चढ़ाएं. साथ ही रुद्राष्टक स्तोत्र का पाठ करेंगे तो बेहतर होगा. इसके अलावा शिवलिंग पर गंगाजल दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक कर सकते हैं. 11. धनु- धनु राशि के जातकों को चाहिए कि वे सावन के दौरान रोज सुबह स्नान के बाद शिवजी के चरणों में पीले फूल अर्पित करें. कच्चा दूध, केसर, गुड़, हल्दी मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना शुभ रहेगा. 12. मकर- सावन में इस राशि के जातक शिवजी को धतूरा, फूल, भांग अष्टगंध अर्पित करते हुए पार्वती नाथाय नम: का जाप करें. साथ ही घी, शहद, दही बादाम के तेल से शिवलिंग का अभिषेक करना उत्तम रहेगा. 13. कुंभ- कुंभ राशि के जातक शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करें. साथ ही सावन के दौरान शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करें. इसके अलावा राशि के लोग सावन में घी, शहद, दही इत्यादि शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं. 14. मीन- मीन राशि के जातक शिवलिंग पर पंचामृत, दही, दूध पीले फूल चढ़ाएं. साथ ही चंदन की माला पर 108 बार पंचाक्षरी मंत्र ओम् नमः शिवाय का जाप करें. साथ ही श्रावण मास में कच्चे दूध, केसर गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करना अच्छा रहेगा. ©KP TAILOR HD सावन का पहला सोमवार, 18 जुलाई को पड़ेगा. ऐसे में सावन की अवधि में भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-पाठ उपाय करते हैं. ज
Ravikant Raut
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KP NEWS HD कंवरपाल प्रजापति समाज ओबीसी for the ©KP NEWS HD ज्योतिष अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में शनि कमजोर है और अशुभ फल प्रदान कर रहा है या फिर शनि साढ़ेसाती चल रही है तो ऐसे में कुछ कार्यों को
Vikas Sharma Shivaaya'
शुक्र जिसका संस्कृत भाषा में एक अर्थ है शुद्ध, स्वच्छ, भृगु ऋषि के पुत्र एवं असुर गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक शुक्र ग्रह है- भारतीय ज्योतिष में इसकी नवग्रह में भी गिनती होती है- यह सप्तवारों में शुक्रवार का स्वामी होता है-यह श्वेत वर्णी, मध्यवयः, सहमति वाली मुखाकृति के होते हैं, इनको ऊंट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार दिखाया जाता है-ये हाथों में दण्ड, कमल, माला और कभी-कभार धनुष-बाण भी लिये रहते हैं..., शुक्र (Venus), सूर्य से दूसरा ग्रह है और प्रत्येक 224.7 पृथ्वी दिनों मे सूर्य परिक्रमा करता है-ग्रह का नामकरण प्रेम और सौंदर्य की रोमन देवी पर हुआ है,चंद्रमा के बाद यह रात्रि आकाश में सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है- इसका आभासी परिमाण -4.6 के स्तर तक पहुँच जाता है और यह छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्जवलता है..., शुक्र के शुभ प्रभाव से जातक में रचनात्मकता आती है और उसकी रूचि कलात्मक कार्यों में होती है- शुक्र के मजबूत स्थिति में होने से जातक के प्रेम वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है और इसी के साथ व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी मजबूत रहती है व उसको भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है..., विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 454 से 465 नाम 454 ज्ञानमुत्तमम् जो प्रकृष्ट, अजन्य, और सबसे बड़ा साधक ज्ञान है 455 सुव्रतः जिन्होंने अशुभ व्रत लिया है 456 सुमुखः जिनका मुख सुन्दर है 457 सूक्ष्मः शब्दादि स्थूल कारणों से रहित हैं 458 सुघोषः मेघ के समान गंभीर घोष वाले हैं 459 सुखदः सदाचारियों को सुख देने वाले हैं 460 सुहृत् बिना प्रत्युपकार की इच्छा के ही उपकार करने वाले हैं 461 मनोहरः मन का हरण करने वाले हैं 462 जितक्रोधः क्रोध को जीतने वाले 463 वीरबाहुः अति विक्रमशालिनी बाहु के स्वामी 464 विदारणः अधार्मिकों को विदीर्ण करने वाले हैं 465 स्वापनः जीवों को माया से आत्मज्ञानरूप जाग्रति से रहित करने वाले हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' शुक्र जिसका संस्कृत भाषा में एक अर्थ है शुद्ध, स्वच्छ, भृगु ऋषि के पुत्र एवं असुर गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक शुक्र ग्रह है- भारतीय ज्योतिष म
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What is Rahu Mahadasha Rahu Antardasha? What are the effects of rahu mahadasha? & how to survive it? Get accurate Rahu Mahadasha remedies fr