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N S Yadav GoldMine
hanuman jayanti 2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} धर्ममय युद्ध वहीं है, जो पर-पक्ष के अन्याय से, अत्याचार से, अपने आप गले आ पड़ा हो। अपनी ओर से, जिस मे देवेस से, ईर्ष्या से और लोभ से छेड़छाड़ न कि गई हो, और जो केवल अपने स्वभावीक अधिकारथ तथा जन समाज के हित के लिए किया जाए।। ©N S Yadav GoldMine #hanumanjayanti24 {Bolo Ji Radhey Radhey} धर्ममय युद्ध वहीं है, जो पर-पक्ष के अन्याय से, अत्याचार से, अपने आप गले आ पड़ा हो। अपनी ओर से, ज
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी चल रहा है लोकतंत्र का उत्सव ताकत वोटो की दिखानी है उम्मीदवार योग्य चुनकर मजूबत संसद बनानी है हित सबके सुरक्षित रहे तानाशाही की आवाज को वोटो की ताकत से विदाई दी जानी है सब कुछ जानने और आवाज उठाने का हक जनता का है बूथ और मतदान प्रभावित कर अकड़ रखने वाले नेताओ का इस बार जनाधार घटाना है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #VoteForIndia हित सबके सुरक्षित रहे मजबूत संसद बनानी है #nojotohindi
Shivkumar
ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ अंधकार था व्याप्त। चौथे रुप में माता ने तब किया अण्ड निर्माण।। सभी जीवों और प्राणियों में है मां का तेज। माता के कृपा बिना हो जाते हैं सब निस्तेज।। सारा चराचर जगत है मां के ही माया से मोहित। मां के ही प्रेरणा से होता है जगत में सबका हित।। दिव्य प्रकाश जगत में मां कुष्मांडा फैलाती। ममतामई, करुणामई, कल्याणकारी कहलाती।। सौम्य स्वभाव वाली है मेरी मां अष्टभुजाओंवाली। भक्तों की सारी विपदा दूर करती है महामाई।। जो कोई श्रद्धा भक्ति से मां के शरण में आता। सुख, समृद्धि,धन, सम्पदा बिन मांगे मिल जाता।। ©Shivkumar #navratri #navratrispecial #नवरात्रि #navratri2024 #ब्रह्माण्ड में चारों तरफ़ सिर्फ #अंधकार था व्याप्त । चौथे रुप में माता ने तब किया
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} निष्काम भाव पूर्वक केवल दूसरों के हित के लिये अपने कर्तव्य का तत्परता से पालन करने मात्र से हमारा भी कल्याण हो जाता है। ©N S Yadav GoldMine #boatclub {Bolo Ji Radhey Radhey} निष्काम भाव पूर्वक केवल दूसरों के हित के लिये अपने कर्तव्य का तत्परता से पालन करने मात्र से हमारा भी क
Praveen Jain "पल्लव"
Red sands and spectacular sandstone rock formations पल्लव की डायरी खलल सियासतों का मचा लूट का ही पैगाम है हित आवाम का चकनाचूर हुआ व्यवस्था का बंटाहार है अरबो का पार्टियों का फंड जुड़ा एजेंसियों के बल पर घायल हिंदुस्तान है महँगाई और कर्ज देश पर बढ़ता गया मगर राजनीतिक दल माला माल है ये चुनावी फंड किस करवट बैठेगा इसकी आड़ में पनपता अपराध और भ्र्ष्टाचार है पेंशन रोजगार सबसिडी देने में होते नाकाम मगर पार्टियो का फंड जिंदाबाद है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Sands हित आवाम का चकनाचूर हुआ,पार्टियो के फंड जिंदाबाद है #nojotohindi
Rohan Roy
जीवन के सारे उल्लंघनों को पार कर, हम मनोरंजन की सुविधाओं से समाज के धरोहर को, उनकी भावनाओं को ठोकर मारते हुए। नई पीढ़ी की और आगे बढ़ रहे हैं। ना जाने कितनों के घरों को, हमने विध्वंश के पगडंडियों पर ला खड़ा किया है। और तो और हम जीवन के सारे मौलिक दायित्व को भूलकर, अपने परिवार के लोगों से रुख मोड़ कर, नए लोग नया आशियाना ढूंढ रहे हैं। जो हमारे अपने जीवन भर में, कभी हो नहीं सकता है। कभी मिल नहीं सकता है। अगर इसी तरह से, सब कुछ चलता रहा। तो एक दिन कुछ भी चलने के, काबिल नहीं हो पाएगा। बात सब कुछ बेहतर कि नहीं, बल्कि बेहतर तक सब कुछ ले जाने की है। और यह सफर ही हमारा भविष्य है। और इसी सोच मे, बेहतर पीढ़ियों का जन्म होगा। ©Rohan Roy अपने आप मे, इतना मसगुल न हो जाए। की अपनो के और समाज के, हित से बेखबर हो जाए | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for
N S Yadav GoldMine
श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत: स्त्री पर्व द्वादश अध्याय: श्लोक 1-17 :- श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना. 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पायन जी कहते हैं -राजन्! तदनन्तर सेवक-गण शौच-सम्बन्धी कार्य सम्पन्न कराने के लिय राजा धृतराष्ट्र-की सेवा में उपस्थित हुए। जब वे शौच कृत्य पूर्ण कर चुके, तब भगवान मधुसुदन ने फिर उनसे कहा-राजन! आपने वेदों और नाना प्रकार के शास्त्रों का अध्ययन किया है। सभी पुराणों और केवल राजधर्मों का भी श्रवण किया है। 📙 ऐसे विद्वान, परम बुद्धिमान् और बलाबल का निर्णय करने में समर्थ होकर भी अपने ही अपराध से होने वाले इस विनाश को देखकर आप ऐसा क्रोध क्यों कर रहे हैं ? भरतनन्दन! मैंने तो उसी समय आपसे यह बात कह दी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, विदुर और संजय ने भी आपको समझाया था। राजन्! परंतु आपने किसी की बात नहीं मानी। 📙 कुरुनन्दन! हम लोगों ने आपको बहुत रोका; परंतु आपने बल और शौर्य में पाण्डवोंको बढा-चढ़ा जानकर भी हमारा कहना नहीं माना। जिसकी बुद्धि स्थिर है, ऐसा जो राजा स्वयं दोषों को देखता और देश-काल के विभाग को समझता है, वह परम कल्याण का भागी होता है। 📙 जो हित की बात बताने पर भी हिता हित की बातको नहीं समझ पाता, वह अन्याय का आश्रय ले बड़ी भारी विपत्तिbमें पड़कर शोक करता है। भरत नन्दन! आप अपनी ओर तो देखिये। आपका बर्ताव सदा ही न्याय के विपरीत रहा है। राजन्! आप अपने मन को वश में न करके सदा दुर्योधन के अधीन रहे हैं। अपने ही अपराध से विपत्ती में पड़कर आप भीमसेन को क्यों मार डालना चाहते हैं? 📙 इसलिये क्रोधको रोकिये और अपने दुष्कर्मोंको याद कीजिये। जिस नीच दुर्योधन ने मनमें जलन रखनेके कारण पात्र्चाल राजकुमारी कृष्णाको भरी सभामें बुलाकर अपमानित किया, उसे वैरका बदला लेनेकी इच्छासे भीमसेनने मार डाला। आप अपने और दुरात्मा पुत्र दुर्योधनके उस अत्याचारपर तो दृष्टि डालिये, जब कि बिना किसी अपराधके ही आपने पाण्डवों का परित्याग कर दिया था। 📙 वैशम्पायन उवाच वैशम्पाचनजी कहते हैं – नरेश्वर! जब इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने सब सच्ची-सच्ची बातें कह डालीं, तब पृथ्वी पति धृतराष्ट्र ने देवकी नन्दन श्रीकृष्ण से कहा- महाबाहु! माधव! आप जैसा कह रहे हैं, ठीक ऐसी ही बात है; परतु पुत्र का स्नेह प्रबल होता है, जिसने मुझे धैर्य से विचलित कर दिया था। 📙 श्रीकृष्ण! सौभग्य की बात है कि आपसे सुरक्षित होकर बलवान् सत्य पराक्रमी पुरुष सिंह भीमसेन मेरी दोनों भुजाओं- के बीच में नही आये। माधव! अब इस समय मैं शान्त हूँ। मेरा क्रोध उतर गया है, और चिन्ता भी दूर हो गयी है अत: मैं मध्यम पाण्डव वीर अर्जुन को देखना चाहता हूँ। समस्त राजाओं तथा अपने पुत्रों के मारे जाने पर अब मेरा प्रेम और हित चिन्तन पाण्डु के इन पुत्रों पर ही आश्रित है। 📙 तदनन्तर रोते हुए धृतराष्ट्र ने सुन्दर शरीर वाले भीमसेन, अर्जुन तथा माद्री के दोनों पुत्र नरवीर नकुल-सहदेव को अपने अगों से लगाया और उन्हें सान्तवना देकर कहा – तुम्हारा कल्याण हो। 📙 इस प्रकार श्रीमहाभारत स्त्रीपर्व के अन्तर्गत जल प्रदानिक पर्व में धृतराष्ट्र का क्रोध छोड़कर पाण्डवों को हृदयसे लगाना नामक तेरहवॉं अध्याय पूरा हुआ। N S Yadav .... ©N S Yadav GoldMine #gururavidas श्री कृष्ण का धृतराष्ट्र को फटकार कर उनका क्रोध शान्त करना और धृतराष्ट्र का पाण्डवों को हृदय से लगाना पढ़िए महाभारत !! 📝📝