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Parasram Arora
वो फुटपाथ की बाला औंधे मुँह नंगी पटरी पर मखमली सपनो मे खोई थीं और मै अपने वातानुकूलित कमरे मे नर्म सुखद गद्दे पर लेटा फुटपाथी सपनो को टटोल रहा था ©Parasram Arora विरोधाभास.....
Parasram Arora
जिंदगी मे भटकने का भी और भटकने के बाद. पाने का भी एक मज़ा हैं और जिसने खोया नहीं उसे पाने का मज़ा मिलता नहीं इस जिंदगी मे जिसने इस विरोधाभास क़ो समझ लिया उसने जिंदगी का सारा राज़ साँझ लिया ©Parasram Arora विरोधाभास
Parasram Arora
भारत एक विबूचन है एक विरोधाभासी देश है इसमें जितने गगनभेदी स्वर्ण. शिखर है उतनी ही गहरी अंधीयारी घाटीया भी एक तरफ प्रज्ञा की उच्चत्म अवस्थाये है दूसरी तरफ. अज्ञान. में लिपटी हुई मूर्छित मानवता इन दोनों के बींच कैसे सामंजस्य हों? ©Parasram Arora विरोधाभास.....
Parasram Arora
तुम्हारे हाथो में पत्थर दिख रहेहै और तुम हो कि सुलह की बाते भी करते हो दो अलग विरोधाभासी बाते हैँ ये फिर क्यों तुम दोनों तलवारे एक ही म्यान मे रखते हो बिना बूंदो क़े उन सफ़ेद बादलो से सूखी फसलों क़े लिए तुम बारिश की उम्मीद रखते हो जिंदगी मे जीने क़े सभी फलसफे बदल चुके तुम फिर भी वही शह मात की बात आज भी करते हो मिलन की ये तपिश बहुत कुछ कह रही है मिलन क़े बाद तुम क्यों कभी बिछड़ना नहीं चाहते हो ©Parasram Arora विरोधाभास....
Divyendu Pandey
गर मेरा चेहरा देखकर भी न बढ़ी धड़कनें तेरी, तो ख़ता मेरी ज़रा भी ना है, गर रुके नहीं कदम तेरे मेरी आहट पाकर, तो ख़ता मेरी ज़रा भी ना है, गर शर्माया न तू मेरी आँखों मे समाकर, तो ख़ता मेरी ज़रा भी ना है गर जताया न तू अपनापन मेरे साथ रहकर भी, तो ख़ता मेरी ज़रा भी ना है। हाँ गर इन सबके बाद भी रूह मिल गईं तो ज़रूर ये मेरी आरज़ू का सिला है। हाँ गर इसके बाद भी तू मुझमे घुल रहा तो ज़रूर ये मेरी इबादत का सिला है। हाँ गर इसके बाद भी तू मुझसे रुठ ना पा रहा, तो बस ये मेरी मोहब्बत का सिला है। #विरोधाभास
Shilpi Saxena
लाख उथल पुथल हो मन मे या फिर द्वंद छिड़ा हो दिल मे विरोधाभास हो विचारों मे शांत रहिए स्थिर रहिए मुखमंडल और जिव्हा पर सौम्यता बनाए रहिए #विरोधाभास
Parasram Arora
जीवन का अस्तित्व विरोधाभासो मे है मै स्वयं भृमित हूँ लेकिन मै अपने भ्रमों . के साथ मज़े मे हूँ... सुख से हूँ मै अपनी विसगतियों के साथ आराम से हूँ इसलिए मै तनावग्रस्त भी नहीं अवसाद ग्रस्त भी नहीं हूँ मेरे आंसुओ क़ो देखो मेरे रुदन क़ो. देखो मै बिलकुल आराम से हूँ विश्राम क़ो उपलब्ध हूँ मै अपने आनद मे हूँ ©Parasram Arora विरोधाभास
Kaushal Kumar
.......विरोधाभास....... शहरों में मकान महँगे हैं, घर कैसे बनाया जाय ? गाँवों में जमीन सस्ती है, मकान कैसे बनाया जाय ? शहरों में हवा-पानी अशुद्ध है, स्वस्थ कैसे रहा जाय ? गाँवो में खान-पान शुद्ध है, इलाज कैसे कराया जाय ? विद्यालयों के भवन बहुत अच्छे हैं, प्रवेश कैसे पाया जाय ? पाठशालाओं में शुल्क बहुत कम है, बच्चों को क्या पढ़ाया जाय ? शरीर का सौष्ठव व सौंदर्य अच्छा है, वस्त्र कैसे पहना जाय ? पहनने को पर्याप्त कपड़े नही हैं, शरीर कैसे ढका जाय ? जिंदगी में सब कुछ हासिल है, जीवन कैसे जिया जाय ? जीने का कोई उद्देश्य नही है, जीवन कैसे जिया जाय ? ............कौशल तिवारी . ©Kaushal Kumar #विरोधाभास
Balwant Mehta
🧐 उस निशा में कौनसी ज्योति है घर और पति के लिए नौकरी खोती है वहीं मौर्या की कहानी पलट जाती है नौकरी खातिर घर और पति खोती है। ©Balwant Mehta #contradition #विरोधाभास