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मोहम्मद मुमताज़ हसन
रिश्तों के आज यहां मायने बदल गए सूरत वही है लेकिन आयने बदल गए मतलब के लिए ही लोग मतलब है रखते मिलने जुलने के भी अब कायदे बदल गए (मोहम्मद मुमताज़ हसन) # मेरे अशआर
मेरे अशआर
आज तुमको मैंने चुन लिया प्यार के धागों का रास्ता बुन लिया सालों से जो सदा मेरे दिल मे थी दबी चुपके से उसे मेरे कानों ने सुन लिया (Razi) ©मेरे अशआर मेरे अशआर
सुनील 'विचित्र'
मिलाकर देखिये माखन में बस सिन्दूर चुटकी भर, उसी रंगत से कुदरत यार को मेरे सजाती है l -'विचित्र' ©सुनील गुप्त # मेरे अशआर
मोहम्मद मुमताज़ हसन
हर बार महक फूलों से हो ये जरूरी नहीं कुछ रिश्ते भी महका जाते हैं घर फूलों की तरह #मेरे अशआर #महक
सुनील 'विचित्र'
सींच कर जिनको बनाया है शज़र हमने, छाँव चलिए आज उनकी आजमाते हैं l © 'विचित्र' ©सुनील गुप्त मेरे अशआर #Childhood
मोहम्मद मुमताज़ हसन
दिल अपना जब टूट जाता है अपनों से भी यह रूठ जाता है रिश्तों पर भारी है अमीरी की हवस 'पहचान'में भी पसीना छूट जाता है दूर से ही निभती हैं रिश्तेदारियां अब जो करीब आये तो ये धागा टूट जाता है जरूरतें इंसान को 'सगा' कहती हैं गर्ज़ निकल गयी जो, नाता टूट जाता है@ -मोहम्मद मुमताज़ हसन- #मेरी ग़ज़ल#मेरे अशआर
मोहम्मद मुमताज़ हसन
जर-जमीं, मकानों में दरार आ गई घर के कच्चे दालानों में दरार आ गई सहमी सहमी सी हैं मंदिर की घण्टियाँ मस्जिद की भी अज़ानों में दरार आ गई सुबह बस्ती से ग़ायब था इश्क़ का परिंदा रात शायद नीड़ के ख़ानों में दरार आ गई घर बंटा, दौलत बंटी, और बंट गया पानी थालियां सूनी सूनी, अन्न के दानों में दरार आ गई छत पे सजती थी कभी महफिले-ख़ानदानी इमारत बंट गयी,और मचानों में दरार आ गई@ -मोहम्मद मुमताज़ हसन- #मेरे अशआर#दरार आ गई
Shadab Subhani
गुज़र गया ये दिन भी जिसका इंतजार बरसो से था अब बरसो बाद ये दिन फिर आए इसका इंतजार होगा ©Shadab Subhani अशआर
Manmohan Dheer
बेहिसाब लिखता हूँ बेशुमार लिखता हूँ ज़िंदगी जहाँ बिके वो बाज़ार लिखता हूँ . मैं अपनी क़लम से दुनिया मुल्क़ लिखता हूँ हद में लिखता हूँ कुछ इख़्तियार लिखता हूँ . जो सफ़ों पे न बयां हो सके किरदार कभी उन्हें बयां करता हूँ उन्हें मेरे यार लिखता हूँ . जंग हुई जाती साँसों से दिल थमे कि ये थमे शिकस्तें लिखता हूँ चलती यलगार लिखता हूँ . ख़यालों के सफ़र का मुसाफ़िर हुआ हूँ मैं भी ख़ुद को पढ़ता हूँ आगे के आसार लिखता हूँ . तुम पूछते रहो कि क्या बारबार लिखता हूँ कुछ तेरे तो कुछ मेरे भी अशआर लिखता हूँ . तेरी दुनिया मेरा संसार लिखता हूँ . अशआर