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Yogesh Khatodiyaa

सच्चाई - योगेश खातोदिया #story

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कितना आदी हो गया था
 वो शख्स तुम्हारा ।
तुम्हारे बिना जियेगा कैसे ?
ये सोचकर मर गया ।।
और फिर भी तुम उसकी वफ़ा को बदनाम करते हो ?
                       - योगेश खातोदिया सच्चाई - योगेश खातोदिया

Yogesh Khatodiyaa

खूबसूरती - योगेश खातोदिया #Quote

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चाँद मत मांग
मेरे चाँद
 जमीं पर रहकर,
खुद को पहचान 
मेरी जान 
खुद में रहकर । 
- योगेश खातोदिया खूबसूरती - योगेश खातोदिया

Yogesh Khatodiyaa

आँसू - योगेश खातोदिया #poem

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उसकी हर खुशी पर महकने वाला,
उसकी हर गलती पर चहकने वाला,
यादों की डोर में अपने रिश्ते को समेठे, 
दुनिया के सामने झूठी हँसी और , 
टूटे दिल की फरियाद को खुद से सहने वाला योगेश , 
आज आयने से अपने आँसुओ को छुपा नही पाया । 
 - योगेश खातोदिया आँसू - योगेश खातोदिया

Yogesh Khatodiyaa

सुनसान रास्ते - योगेश खातोदिया #poem

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सुनसान रास्ते  

पहले प्यार ने तोड़ा और अब ! यार ने ,
जब प्यार बेवफा निकला तो यारो की ओर मुड़ा । ,
जिन्हें चुना मैंने प्यार से जुदा होकर ,
वो खुद आज मुझसे खफा हो गए ।
किसी से की थी मोहब्बत और किसी से दोस्ती
देख योगेश, आज दोनो बेवफा हो गए ।
सुनसान से रास्ते मे,शांत समुद्र के जैसे, आँसू बहाने के अलावा, 
कुछ ना बचा आज,
बची है तो सिर्फ आधी अधूरी सी यादें और ,
बार बार तड़पाने वाले तंग रास्ते ।
जो भी आज पता पूछने आते है मेरे दरवाजे पर
मैं उन्हें प्यार और यार दोनो ना चुनने को कहता हूं ।
( आज खुद से खफ़ा हूँ )
    - योगेश खातोदिया सुनसान रास्ते - योगेश खातोदिया

Yogesh Khatodiyaa

गुजारिश : योगेश खातोदिया प्रस्तुति ।

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 गुजारिश : योगेश खातोदिया प्रस्तुति ।

Yogesh Khatodiyaa

आजकल का प्यार : योगेश खातोदिया

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हादसा बस इतना सा था 
कि,
 अपनी बर्बादी को वो
इश्क समझ बैठा ।
- योगेश खातोदिया आजकल का प्यार : योगेश खातोदिया

Yogesh Khatodiyaa

अब जाना होगा - योगेश खातोदिया #story

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A Dream  अब सब सपने बस यादें बन जायेंगे ,
ज़िंदगी की डोर में पता नही हम , कब संवर पायेंगे ।
इल्जामों को बोझ तो खूब ले लिया है सिर पर हमने ,
लेकिन पता नही उनके बिन कैसे रह पायेंगे ।
समझाना चाहा हमने , कई बार उनको 
खुद का ईगो और गुस्सा उन्हें बहुत दूर ले गया ,
हमारा इश्क़ फरेब ओर खुद का मज़बूत कह गया ।
कहां गए थे वो जब हम प्यार जताया करते थे,
बार बार चिल्लाया करते थे,
रोते थे , कम सोते थे , औऱ हार जाया करते थे ।
आज सब कुछ छोड़ जा रहे है ,
इश्क़ योगेश का ना तुम्हे समझा रहे है ,
कसम है तुम्हे मत करना पीछा हमारा ,
तुम्हारी यादों के साथ खुद को दफना रहे है ।।            
     - योगेश खातोदिया अब जाना होगा - योगेश खातोदिया

Yogesh Khatodiyaa

दिल का फरेब - योगेश खातोदिया #Shayari

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Jise apna smjha tha wo bhi bdl gya..
.saali ye duniya hi...
Tym bda chhota word h na..
 kisi k liye ho to use ahmiyat dikha deta h
 na ho to use hakiqat... 
Kusoor Es fareb Dil ka hota h,
jo alg alg nazare dikhata h,
Kisi ko kismat dilata h
 aur, kisi ko taa-umar nachwata h

- Yogesh Khatodiyaa दिल का फरेब - योगेश खातोदिया

Yogesh Khatodiyaa

फैसला तुम्हारा है : योगेश खातोदिया #story #OpenPoetry

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#OpenPoetry अब तुम रुको या जाओ ये फ़ैसला तुम्हारा है,
जो कभी लौट कर भी ना आओ फ़ैसला तुम्हारा है।
हर राज़ हमारा हमने साझा किया था,
हँसी ख़ुशी आँसू दर्द सब आधा आधा किया था,
किसी एक की आख़री शाम तक साथ हैं,
ये हमने एक शाम वादा किया था..
अब तुम वो वादा निभाओ या ना निभाओ,
ये फ़ैसला तुम्हारा है,
अब तुम रुको या जाओ ये फ़ैसला तुम्हारा है।।
नहीं तुम्हारे बाद मैं आँसू नहीं बहाऊँगा,
अभी बहुत कुछ है हँसूँगा हँसाऊँगा,
शायद किसी शाम चाय पे हमारे क़िस्से सुनाऊँगा,
 किस्सा "योगेश" का किसी को बताओ या ना बताओ 
ये फ़ैसला तुम्हारा है,
अब तुम रुको या जाओ ये फ़ैसला तुम्हारा है।।
जो कभी लौट कर भी ना आओ 
ये फ़ैसला तुम्हारा है.....
        - योगेश खातोदिया फैसला तुम्हारा है : योगेश खातोदिया

Yogesh Khatodiyaa

"कन्या" योगेश खातोदिया कि शानदार कविता #poem

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लाड़ली बेटी जब से स्कूल जाने हैं लगी,
हर खर्चे के कई ब्योरे माँ को समझाने लगी I
फूल सी कोमले और ओस की नाजुक लड़ी,
रिश्तों की पगडंडियों पर रोज मुस्काने लगी I

एक की शिक्षा ने कई कर दिए रोशन चिराग,
दो-दो कुलों की मर्यादा बखूबी निभाने लगी I
बोझ समझी जाती थी जो कल तलक सबके लिए,
घर की हर बाधा को हुनर से वहीं सुलझाने लगी I

आज तक वंचित रही थी घर में ही हक के लिए,
संस्कारों की धरोहर बेटों को बतलाने लगी I
वो सयानी क्या हुई कि बाबुल के कंधे झुके,
उन्हीं कन्धों पर गर्व का परचम लहराने लगी I

पढ़-लिखकर रोजगार करती, हाथ पीले कर चली,
बेटी न बेटों से कम *योगेश* 
सबको बात ये समझ में आने लगी I "कन्या" योगेश खातोदिया कि शानदार कविता
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