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Devesh Dixit
समर्पण (दोहे) रहे समर्पण प्रेम में, ईश्वर दें वरदान। सुखमय हो जीवन तभी, सभी कहें विद्वान।। नहीं समर्पण हो अगर, जीवन ये बरबाद। कलह रहे घर में तभी, कैसे हों आजाद।। रहे समर्पण भाव जो, जीवन हो आसान। मुख पर तब मुस्कान हो, है ये ही पहचान।। अगर समर्पण छूटता, आता है तब क्रोध। बात बिगड़ जाती तभी, हो जाता फिर बोध।। नहीं समर्पण जो करें, कहलाते नादान। मुश्किल में जीवन रहे, है फिर भी ये शान।। दिखे समर्पण का असर, हुआ नहीं मजबूर। नहीं गिला कुछ भी रहे, है ये ही दस्तूर।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #समर्पण #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry समर्पण (दोहे) रहे समर्पण प्रेम में, ईश्वर दें वरदान। सुखमय हो जीवन तभी, सभी कहें विद्वान।।
Devesh Dixit
मेरा अनुभव (दोहे) मेरा अनुभव कह रहा, बनों नहीं अनजान। जीवन यह संकट भरा, मत होना हैरान।। मेरा अनुभव कह रहा, ऐसा दो पैगाम। खुशियों की भरमार हो, मुख पर तेरा नाम।। मेरा अनुभव कह रहा, क्यों करते तुम बैर। संकट भी फिर घेरता, मने नहीं तब खैर।। मेरा अनुभव कह रहा, है कैसा यह दौर। मानवता को छोड़ते, करे नहीं अब गौर।। मेरा अनुभव कह रहा, सच की छोड़ें डोर। ऐसे ही गर यह चला, कैसे होगी भोर।। मेरा अनुभव कह रहा, हो सबका सम्मान। मन तेरा यह खुश रहे, दूजे का भी जान।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मेरा_अनुभव #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry मेरा अनुभव (दोहे) मेरा अनुभव कह रहा, बनों नहीं अनजान। जीवन यह संकट भरा, मत होना हैरान।।
Ranjit Kumar
SKgujjarchauhan
#Nikita kour
वो ऊंचे पहाड़ों पर हाथ फैलाए खड़े थे। वो बहुत खुश थे कि उसने जो काम हाथ में लिया था, उसमें सफलता मिली। लेकिन अचानक नीचे घाटियों में खड़े लोगों ने उसके सफ़लता को देख बोहोत जल गए और उन्होंने उनके सीने में नहीं, बल्कि उनके चुप्पी पर गोली मार दी ताकि वह आगे कुछ बोल ही न पाए किसी का चुप्पी का फायदा उठाकर तुम उन को दुसरो के आगे मुख साबित कर सकते हो लेकिन किसी के बोले गए शब्दों को गोली नही मार सकते जीतना गोली मारोगे उतना ही ज्यादा शब्द आग की तरह फैलता चला जायेगा क्यूंकि शब्दों से जायदा मौन शोर मचाते हैं ©#Nikita kour #nikita kour वो ऊंचे पहाड़ों पर हाथ फैलाए खड़े थे। वो बहुत खुश थे कि उसने जो काम हाथ में लिया था, उसमें सफलता मिली। लेकिन अचानक नीचे घा
Shaarang Deepak
AwadheshPSRathore_7773
विश्व प्रसिद्ध आशुतोष भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर हमारे यहां मेरे birt place मंदसौर शहर में स्थित है मेरा दावा है यह की जो मंदिर महादेव का हमारे यहां स्थित है ऐसा विश्व में कहीं भी कोइ दूसरा मंदिर नहीं है जनप्रतिनिधियों की उदासीनता कहें या लापरवाही की वो लोग इस मंदिर को वो प्रसिद्धि दिला नहीं पाए जिसका यह मंदिर और इसकी अष्टमूर्ति प्रतिमा हकदार है खैर अब वापस युग बदल रहा है और आने वाले कल को पूरी दुनिया यहाँ घूमने अवश्य ही आएगी। ।🙏जय महादेव/🇮🇳/जय हिंद🙏 ©AwadheshPSRathore_7773 विश्व प्रसिद्ध आशुतोष भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर का यह अद्वितीय मंदिर विश्व में मंदिर स्थापत्य कला का एक बेजोड़ नमूना है जो एक ही शीला को
bhim ka लाडला official
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके , उर में है आनंद । हो जायेंगी फिर तो देखो , सभी किवाडियाँ बंद ।। छलक रहा है मुख मंडल पे , आज खुशी का रंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... मिलकर तुमसे यूँ ही होंगे , अपने गाल गुलाल । नही रहेगा अधर हमारे , कोई सुनो सवाल ।। तब ही बदले जीवन में फिर , सुन जीने का ढ़ंग । अबके फागुन मीत मिलेंगे.... चहक उठेगा मन मेरा ये , महक उठेगा अंग । दशो दिशा शहनाई गूँजें , और बजेंगे चंग ।। उठते पैर उधर पड़ते हैं, जैसे पी ली भंग । अबके फिगुन मीत मिलेंगे.... अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। ०९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अबके फागुन मीत मिलेंगे , खेलेंगे हम रंग । वह पल होगा बड़ा सुहाना , जब हम होंगे संग ।। अबके फागुन मीत मिलेंगे... छेड़ रही सब सखियां कहके ,