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arrey.oh.chachu
Ho Na Ho Apni Zindagi Ussey Mat Laana Pareshaaniyon Ke Naam Badaltey Rahengey Bas Apney Jeeney Ke Josh Ko Kabhi Mat Badalna #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें
Niraj Kumar
जग में फैला हर ओर कोरोना जनता को पड़ा है आज रोना। दोहन किया इस धरा को सबने विकास का नाम देकर है हमने। प्रकृति ने जब अपना रोष दिखाया लाॅकडाउन का असर जग में है दिखलाया। समझ जा इस धरा पर हर रहने वालों प्रकृति का अब तो सम्मान है कर लें।। #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें
Jyoti Diwan
कोरोना जब से आया है लॉकडाउन भी लाया है मास्क और सैनिटाइजर सब लोगों ने रोज लगाया है सोशल डिस्टेंसिंग को भी सबने दिल से अपनाया है डॉक्टर और नर्सों का सबने आभार जताया है वर्क फ्राम होम को ही सबने मूलमंत्र बनाया है #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें
itpawans
kavi manish mann
इस महामारी में जी, दीन हीन निर्धन की। करुण रस का कवि, मैं वेदना सुनाता हूंँ। कोरॉना से नहीं यहांँ, भूख से गरीब मरा। राष्ट्र की सच्चाई यहांँ, तुमको बताता हूंँ। पूरे परिवार भूखे, आत्महत्या कर लिए। सुनकर रोया खूब, सो भी नहीं पाता हूंँ। पैसों के लिए कितने, हुए धनी पाज़िटिव, पॉजिटिव गरीब को, भूल नहीं पाता हूंँ। जिसे भगवान माना, वही काल हुआ यहांँ। स्वार्थ डाक्टरों का जी, तुमको सुनाता हूंँ। किडनी व आंँख, गुर्दा, दाम लिए बेंच दिए। गरीब की दशा लिख, सबको सुनाता हूंँ। #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें
Manpreet Kaur
किसी ने सोचा न था कि ऐसा भी वक़्त आएगा, गलियों में होंगे जानवर और हर इंसान घर बैठ जाएगा.. #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें
ताजदार
कहीं आना जाना छूट गया हंसना मिलना भी छूट गया बंद पड़ गए कई कारोबार कईयों का सपना टूट गया #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें
अभिलाष सोनी
मेरी हकीकत, मेरा फसाना, क्या जाने ये जालिम दुनिया। उठकर गिरता, गिरकर उठता, ऐसा है ये हाल हमारा। सरपट-सरपट चलती राहें, बेखौफ घूमती जालिम दुनिया। मैं जो चला एक कदम यहाँ पे, कौन करेगा ख्याल हमारा। उम्मीदों पे कायम रहना, भूल गई ये जालिम दुनिया। मैंने भी इक उम्मीद लगाई, बदलेगा अब साल हमारा। रुक जाते गर कदम वहाँ पे, बच जाती ये जालिम दुनिया। मैंने कहा था कोरोना से दूर रहना, अब कैसे सुधरेगा हाल हमारा। इक आखिरी रास्ता ढूंढा मैंने, सुधरेगी अब जालिम दुनिया। मेरी तरह बस कैद रहो तुम, परिवार रहे खुशहाल तुम्हारा। #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें
_suruchi_
चाफ्या ची उधळंण नभी शोभे केशर सडा त्या वरी नभ सागरी, लहर मखमली विहारे तेजा चे गलबत त्यावरी विहंगांचे सुमधुर सुस्वर गुंजन पुलकित हर्षित बहुत गुणीजन सोहळा मनोवांछित हा पाहोन उधळी सुगंध, सुमन कांचन आली अलगद पहाट पहा सृष्टीचा उल्हास देखावा टिपावा खास मनः पटला वरती चाफ्या ची उधळंण नभी शोभे केशर सडा त्या वरी नभ सागरी, लहर मखमली विहारे तेजा चे गलबत त्यावरी विहंगांचे सुमधुर सुस्वर गुंजन पुलकित हर्षित बहुत