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kunti sharma
दर्द जो मिले थे प्यार में तेरे उन्हें तेरे दिए हुए तोहफे समझ लिए और था भी तो क्या पास तुम्हारे मेरे लिएबदले में मेरे प्यारके ©kunti sharma #ashq
kunti sharma
बहते हैं उनको कैसे मैं रोकूं की तेरी बेवफाइयां बार बार याद आती है मुझे ©kunti sharma #ashq
सुशांत राजभर
Red sands and spectacular sandstone rock formations मेरे अश्क कह रहें एक छोटी-सी कहानी हैं, अश्क नहीं,आखों में मेरे पानी है! प्यार-व्यार का चक्कर Sab छोड़ो तुम खुशी-खुशी जी लो कि दो पल की ही तो ये जिंदगानी है!! ©सुशांत राजभर #Ashq #Zindgani मेरे अश्क कह रहें एक छोटी-सी #कहानी हैं, #अश्क नहीं,आखों में मेरे पानी है! #प्यार-व्यार का चक्कर Sab छोड़ो तुम #खुशी-खुश
Abhinav Mishra
Sudhir_Mishra23
अब ! कभी मिलोगी...? तुम हमेशा बोलो न _बोलो न करती थी अब कुछ बोलना चाहता हू अब तुम सुनोगी क्या ? बोलो न ? अब कभी मिलोगी क्या ? मैं हमेशा तुम्हारी dreesing style की तारीफ करूं ; तुम ये सुनना चाहती थी. लेकिन मैं चुप रहता था अब सुनाना चाहता हूं ! सूनोगी क्या ? बोलो न ? अब कभी मिलोगी क्या ? मैं तुमसे ही तुम्हारे लिए क्यों लड़ता था. ये तुम समझना चाहती थी अब मैं समझाना चाहता हु ! समझोगी क्या ? बोलो न ? अब कभी मिलोगी? ©Sudhir_Mishra23 #Walk Waffa की तलाश ..waffaon के साथ... A दिल... मुझको तू चाहिए Smrutirekha Dash Priya Tiwari Ashq Somya Tiwari (Poetic_Girl_Somu) PRATIK
poonam atrey
देख के तुम्हे,होश खो बैठे, वो खिलता हुआ कमल लगतें हो, खूबसूरती की उम्दा मिसाल हो ,मुझे तुम ताजमहल लगते हो, सुध बुध खो के अपनी ,हम तो बस तुम्हे निहारा करते हैं , कभी लगते हो ख़्वाब सा,कभी दिल की मेरे हलचल लगते हो, चाँद भी शरमाया है , जिसकी देखकर सूरत प्यारी , मेरे उलझे हुए प्रेम का जैसे, मुझे तुम हल लगते हो, सजाकर लिखूँ मैं तुम्हे दिल के कोरे काग़ज़ पर , किसी शायर की लिखी , उम्दा ग़ज़ल लगते हो , बेख्याली में भी ख़्याल तेरा है ,तुझसे प्यार इतना गहरा है, भीड़ में भी तुम ही तुम ,तन्हाई में भी महफ़िल लगते हो।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #ताजमहललगतेहो #पूनमकीकलमसे #नोजोटोराइटर्स #2023Recap P. Gyanendra Sohel Sk Noor Hindustani Rashidul Mandal Ks Little Writter Mili Saha
panchi
मंज़िल पे न पहुँचे उसे रस्ता नहीं कहते दो चार क़दम चलने को चलना नहीं कहते इक हम हैं कि ग़ैरों को भी कह देते हैं अपना इक तुम हो कि अपनों को भी अपना नहीं कहते कम-हिम्मती ख़तरा है समुंदर के सफ़र में तूफ़ान को हम दोस्तो ख़तरा नहीं कहते बन जाए अगर बात तो सब कहते हैं क्या क्या और बात बिगड़ जाए तो क्या क्या नहीं कहते। ©panchi #ballet Prajwal Bhalerao Anshu writer खामोशी और दस्तक Dr.Ashish tripathi ashq Writer kaur