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Pyari si Aahat
White मैं ख़ामोशी हूँ तेरे मन की तू अनकहा अलफ़ाज़ मेरा मैं एक उलझा लम्हा हूँ तू रूठा हुआ हालात मेरा ©सत्यमेव जयते मैं ख़ामोशी हूँ
꧁ARSHU꧂ارشد
अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ , मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे .... ©꧁ARSHU꧂ارشد अज़ब चिराग़ हूँ दिन-रात जलता रहता हूँ , मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे ... sana naaz Anshu writer Manisha Keshav NIKHAT (दर्द मेरे अप
DR. LAVKESH GANDHI
White LAVKESH GANDHI ©DR. LAVKESH GANDHI #Buraee # #मैं बुरा हूँ #
Poetry-Meri Diary Se
White मैं वही इंसान हूँ, जों आईने जैसा हैँ! प्यार दिखाओगे तो प्यार पाओगे, नफ़रत दिखाओगे तो जल जाओगे! ©ABi Aman #nightthoughts मैं वही इंसान हूँ @#
DR. LAVKESH GANDHI
जिंदगी मैं अपनी ही जिंदगी में मैं अपने हाथों से खुद आग लगा बैठा हूँ फिर क्यों आज रोता हूँ,बिलखता हूँ फिर क्यों दुनियाँ के सामने मैं नादान बनता हूँ छोड़ कर दूर वापस भाग आया हूँ मैं फिर आज इस संसार में ढूंँढता हूँ इधर-उधर क्यों कोई विकल्प नहीं है दूसरा कोई जान कर भी अपनी जिंदगी में आग लगा बैठा हूँ ©DR. LAVKESH GANDHI #Mankadahan # #नासमझ हूँ मैं #
Kiran Chaudhary
खुद हैरान हूँ मैं, अपने सब्र का पैमाना देख कर, तूने याद भी ना किया और मैंने इंतज़ार नहीं छोड़ा। ©Kiran Chaudhary खुद हैरान हूँ मैं..
Kiran Chaudhary
BeHappy तुझको देखा तो फिर किसी को नहीं देखा, चाँद भी कहता रह गया, मैं चाँद हूँ, मैं चाँद हूँ।। ©Kiran Chaudhary मैं चाँद हूँ।। #beHappy
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।। शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे । हाथ बापू का बटाने के लिए रहता हूँ ।। जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते । मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।। हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक । मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।। कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते । उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।। कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको । फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ । ११/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल