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gaTTubaba

#Newyear2025 दिन बदल जाते हैं साल बदल जाते हैं चेहरे ही क्यों ? आइने भी बदल जाते हैं दुनिया बदलने की सोच रखनेवाले

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New Year 2025 दिन बदल जाते हैं 
साल बदल जाते हैं 

चेहरे ही क्यों ?
आइने भी बदल जाते हैं 


दुनिया बदलने की सोच रखनेवाले 
क्यों थक हारकर एक दिन ?

सबको बदलते बदलते 
खुद ही बदल जाते हैं 


हंसने लगे थे सब पत्थर पर की,
"ये बदलता क्यों नहीं ?"


पहचान मिटाकर दौड़ में 
वो भी शामिल हुआ 


कहने लगा , "सब बदल रहे हैं 
चलो हम भी बदल जाते हैं....!"

©gaTTubaba #Newyear2025 दिन बदल जाते हैं 
साल बदल जाते हैं 

चेहरे ही क्यों ?
आइने भी बदल जाते हैं 


दुनिया बदलने की सोच रखनेवाले

Parasram Arora

भी क्या दिन थे

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White वे भी क्या दिन थे 
ज़ब मै ठहाके मार कर 
हँसा करता था
 
बिना शिकायत के 
जिंदगी बसर करता था
 
छोटे छोटे खबाब देख 
कर जिंदगी के दिन 
काट लिया करता था
 
रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया 
और बचपन पीछे छुटता गया 
 और मै जवान होता गया

©Parasram Arora भी क्या दिन थे

vksrivastav

जाने क्यूं सच से मुकर जाते हैं लोग #Life #SAD #Trending #viral #vksrivastav

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Anant Nag Chandan

बाँधे जाते इंसान, कभी तूफान न बाँधे जाते हैं, काया जरूर बाँधी जाती, बाँधे न इरादे जाते हैं। —गोपालप्रसाद व्यास

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बाँधे जाते इंसान, कभी तूफान न बाँधे जाते हैं,
काया जरूर बाँधी जाती, बाँधे न इरादे जाते हैं।

—गोपालप्रसाद व्यास

©Anant Nag Chandan बाँधे जाते इंसान, कभी तूफान न बाँधे जाते हैं,
काया जरूर बाँधी जाती, बाँधे न इरादे जाते हैं।

—गोपालप्रसाद व्यास

Anuj Ray

# बाद जाने की तेरे"

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Narender Kumar

दुर थे तो शांत थे पास आए तो शोर हुआ।

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Hari

लोग कैसे टूट जाते हैं

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unique writer

गुण नहीं थे

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Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

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आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#

मिहिर

#तू क्या जाने

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White ये क्या पूछा
ये बिंदी कैसी लगती 
ये साड़ी कैसी दिखती है
ये काजल ठीक तो लगते है  ना !

जो सच पूछो तो
ये जचना खिलना मत पूछो 
तुम बिंदी पर जँचती हो
तुम साड़ी पर खिलती हो
तुम काजल से तीखी हो
तुम सोने से ज्यादा चमकती हो 

तेरे होने से इनका होना है
तू हंसती है तो ये सोना है
तेरे आगे इनका क्या मोल 
अरे ओ बावली
तू क्या जाने तू अनमोल !!

©मिहिर #तू क्या जाने
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