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ACHARYA DILIP Dixit

कविता संग्रह

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Micku Nagar

कविता संग्रह

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जब मेरी आखरी सांसे चल रही होगी 
जब में इस दुनिया से विदा लूंगा
तब मेरे पास भी एक छोटा सा 
"कविता संग्रह" होगा।
जिसमे मैंने ज़िक्र किया होगा....
पेड़ - पोधों  , नदियों , पर्वतों , मैदानों का,
चांद ,सूरज ,ग्रह ,उपग्रह , ब्रम्हांड, तारों का,
फुल ,  बगीचों ,  बेलों , और  हरियाली  का
कोयल , चिड़ियां , चकवा , चकोर का
सपने ,ख्वाब , हकीकत ,  ख्वाहिशों का,
देह  , आत्मा  , रूह  , जिस्म  , जान का
औरत ,  पुरुष  , वासना , ज़िद्द , काम का ,
बचपन, जवानी , पचपन और बुढापे का,
उन सारी चीज़ों का
जिन्होंने मुझे विचलित किया होगा।
और इन सब में सबसे ज्यादा ज़िक्र होगा,
तुम्हारा , हां सिर्फ तुम्हारा
तुमने मुझे परिभाषित किया है।
मेरी रचनाओं का शाश्वत केंद्र हो तुम।
****************************
जानती हो तब सबसे अच्छा क्या होगा,
तुम्हे पढ़ा जाएगा, कविताओं के माध्यम से। 
तुम्हें याद किया जाएगा।
लोग तुम्हें पढ़कर मोहब्बत करना सीखेंगे।
मैं छोड़ जाऊंगा तुम्हें 
प्रेम की पोटली पर सब्र वाली गांठ लगाकर
बहुत यत्न किए जाएंगे , मुझे समझने के लिए,
लेकिन बस तुम खोजी जाओगी, हां बस तुम
मैं भी तुम्हारे हदय स्पर्श के बाद ही
खुद को जान पाया हूं।
***************** #कविता #संग्रह

Kamlesh Gupta Nirala

कविता-संग्रह

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ACHARYA DILIP Dixit

कविता संग्रह

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Er Aniket B Modake

#कविता संग्रह #poem

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ओळख स्वतःची
स्वतःच करून देईल मी
नव्या युगाचा नवा चेहरा
बनून समोर येईल मी

स्वप्नांची शिदोरी
जिद्द कोरी घेऊन येईल मी
लढाई अस्तित्वाची
अभिमानाने लढत राहील मी

स्वप्नांची दुनिया
सत्यात घेऊन येईल मी
हरलेल्या स्वप्नांसवे
पुन्हा एकदा उत्तुंग भरारी घेईल मी #कविता संग्रह

vishnusingh Lakhawat

राजस्थानी कविता

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जगदीश निराला Jagdish Nirala

कविता (राजस्थानी) #NationalEducationDay

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#NationalEducationday पढ़ र बैटा पौथी पढ़़ ,मनख जमारो आगं बड़,
आखर मॉड तू मॉड सवाल.म्हॉ घरकां सूं आगं कढ़!
!
ऊं भी जाग्यो तू भी जाग्यो.ऊं लाग्यो अर तू भाग्यो.
ऊं पौथी पाटी लै बंठ्यौ.तू ढ़ान्डा मं क्यूं आग्यो!
ऊं तो हाकम अफ़सर बणग्यो. थारं अंगरखी छं फाटी!
ऊं भी मनख भाइ तू भी मनख.
यॉही कसर रह्गी रं बाकी़! कविता (राजस्थानी)

bhagirath garg

राजस्थानी कविता

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जगदीश निराला

राजस्थानी कविता

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