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ayushigupta
मुक्तक स्वप्न हमने सजाये तुम्हारे लिए। ग़म में भी मुस्कुराये तुम्हारे लिए। मेरे अश्को का कोई फ़र्क़ तुम पे नहीं, फ़िर भी आँसू बहाये तुम्हारे लिए। ©ayushigupta #Apocalypse
Pallavi pandey
परदेश जाते वक्त मां सहेजने लगती है मेरा जरूरी सामान , मेरे खाने की चिंता में बांधने लगती है अचार, पापड़, घी, मसाले, दाल,चावल की छोटी , बड़ी पोटली ... मैं कहती हूं परदेश में भी मिलती है ये सारी चीज़े , पर जानती हूं नहीं होता उनमें मां के हाथ का स्वाद . इन पोटलियों में वो बांधती है सामान के साथ ढेर सारा प्यार जीवन के फीकेपन में स्वाद , आज दाल में जायका कम है परदेश में बैठी तुम्हारी बिटिया तुम्हें याद करते हुए खा रही अचार के साथ भात –दाल मम्मी ! मेरी तुम्हारे होने से ही है जीवन में स्वाद.... © Pallavi pandey #Apocalypse
Sameer Kaul 'Sagar'
मंज़िलों से कह दो मेरी राह तकना छोड़ें, चराग़ों को बुझने की इजाज़त चाहे दे दो । कोह-ए-गिराँ से कह दो रोक लें चाहे रस्ता, शजरों से कह दो साया सर से तुम हटा दो । ख़्वाबों के टूट जाएँ मेरी आँखों से सारे रिश्ते, जिसको भी हो ज़रुरत मेरी नींदें उधार दे दो । ना पुकारे अब, किसी दीवार-ओ-दर से कोई, मेरे ही घर में मुझको क़ैद-ए-दर-ओ-बाम दे दो । बिछड़ा जो हमसफ़र, बे-ख़्वाहिश हो गए हम भी, उम्मीदों को चाहे ना-उम्मीदी का मोड़ दे दो । ना रहा वो जो मेरा, क्यों कर मैं रहूँ किसी का, महफिलें उसको हों सलामत, मुझे कुंज-ए-लहद दे दो । कोह-ए-गिराँ ( पर्वत ) शजरों ( पेड़ों ) दर-ओ-दीवार ( दीवारों और दरवाजों ) क़ैद-ए-दर-ओ-बाम ( दरवाजे और छत का कारावास ) कुंज-ए-लहद ( कब्र का कोना ) ©Sameer Kaul 'Sagar' #Apocalypse
Kumar Dinesh
जग न बोले तो भला,मेरी बला से तुम न बोले तो लगा,पतझर सा जग हर दिशा रंगीन, मौसम फाग वाला आचरण डूबे हुए, अनुराग वाला.. स्वर लहरियां नेह के वातावरण की उर व्यथाओं की व्यथा के त्याग वाला ... यदि न पहुंची प्यार की मधु गंध तुम तक व्यर्थ है मेरे लिए त्यौहार सा जग... जग न बोले तो भला,मेरी बला से .... एक बादल सा कहीं ज्यों फूटता हो, ज्यों कहीं कोई स्वजन फिर रूठता हो.. छूटता हो प्यार का पल्लू कहीं पर, या कहीं अनुबंध कोई टूटता हो... तुम कहो कुछ तो हो ध्वनित संसार ये चुप रहो तो शोकमय उदगार सा जग... जग न बोले तो भला मेरी बला से तुम न बोले तो लगा पतझर सा जग.. ©Kumar Dinesh #Apocalypse
UNCLE彡RAVAN
तुम पढ़ना चाहो तो, तुम ही हमारी शायरी का किताब हो, तुम इजाज़त दो तो, तुम ही हमारी मोहब्बत का किस्सा हो, तुम अपनो में गिनों तो, तुम ही हमारे अपनो में हिसाब हो, तुम साथ निभाओं तो, तुम ही हमारी जिंदगी का हिस्सा हो...!! ©UNCLE彡RAVAN #Apocalypse
Sameer Kaul 'Sagar'
तेरे हिस्से में आईं जहां भर की खुशियां तमाम, हमारे हिस्से तो फ़क़त ज़माने के गम आये हैं। तही दस्त नहीं लौटता तेरे दर से कोई फकीर, सो तुमसे तुम्ही को पाने हम, सहर-ए-दम आये हैं। तेरे अल्फ़ाज़ों के तीरों ने यूं ज़ख्मी किया हमें, इसलिए अपनी आशनाई में खम-दर-खम आये हैं। बर्ग-ए-खिजां ने टूटते ही चूमा जो फ़र्श-ए-हज़ीं, तुमसे बिछड़ते ही हम भी आगोश-ए-ग़म आये हैं। खूब सजीं है मेरे शहर में आज महफिलें तेरी, तभी हमारी मय्यत पे अहल-ए-वफ़ा कम आये हैं। मुंतज़िर था तेरी दीद को दफन होने से पहले, वक़्त-ए-दफन आये भी तो बे-चश्म-ए-नम आये हैं। तही दस्त : Empty handed सहर-ए-दम : Early in the morning आशनाई : Relationship खम-दर-खम : Twist within twist बर्ग-ए-खिजां : Leaf of autumn फ़र्श-ए-हज़ीं : Mourning ground आगोश-ए-ग़म : Embrace of sadness अहल-ए-वफ़ा : Loyalists मुंतज़र : Expecting दीद : Seeing बे-चश्म-ए-नम : without tears in eyes ©Sameer Kaul 'Sagar' #Apocalypse
Deep Dhaliwal Moga
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਕੁਝ ਫ਼ਿਕਰਾਂ, ਇਹਦਾ ਦੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਨੇ, ਜੋ ਮੂੰਹ ਕੋਲ ਗਈ ਬੁਰਕੀ, ਵੀ ਵਾਪਸ ਮੋੜ ਦਿੰਦੀਆਂ ਨੇ..ਦੀਪ ©Deep Dhaliwal #Apocalypse
Unknown_girl
कमाल का ताना दिया आज दिल ने, अगर कोई तेरा है तो कहां है!!?? ©Unknown_girl #Apocalypse
shivani singh
chikhte chillate, ek waqt aisa aa hi jata hai , jab sab kuch chup chap sehna hi, sahi lagne lggta hai ©shivani singh #Apocalypse
Sangam Pipe Line Wala
बिखरे से मेरे सारे ख्वाब लग रहे है तन्हाईयों में मेरे सपने भी जग रहे है पता नहीं खुदा ने किस्मत कैसी लिखी अब सारे अपने मुझे छोड़ भाग रहे है.... ©Sangam shayari #Apocalypse