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tanya@ sengar
मां ने कहा था , तू है मेरी रानी बेटी ,तू मेरी अभिमान है , तू बनाना मेरी परछाई क्यू की तू मेरी सान है , जब थी में छोटी सी तब मां मुझे अपने गोद में सुलाया करती थी , अपने सीने से लगा के रोज़ दूध पिलाया करती थी , करती थी मै करती थी बहुत परेशान मां तुझे फिर भी तू प्यार करना नहीं छोड़ती थी ,,, जब आते थे पापा अफिस से मुझे खेलता देख उनकी आंखे भर आती थी , मुझे खेलते देख ओ सोचने लगते थे , मेरी परी एक दिन बड़ी हो जाएगी किसी और के घर जाएगी ,ना जाने कैसे रखेंगे ओ मेरी दिल की टुकड़े को , ये सारी बाते सोच पापा की आंख भर आती थी , मां की ममता पापा की संघर्ष दिनों मिल के मेरी बचपन सजाते थे , बैठे के आे दोनों एक साथ मेरी खुशियों की दुनिया सजाते सजाते उनकी आंखे भर आती थी ,, मां को तो हम जो मन बोल देते खुल के , कभी पापा की दिल की उस कोने में देखना भूल गई मै की आे बचपन की मेरी खुशियों को देख जो उनके आंखो से आंसू आए थे , ओ अब और भी गहरा हो गया होगा , आज भी जब आे मुझे खुशियों से झूमते देखते हैं उनकी आंख भर आती होंगी क्यू की उनकी परी तो अब और भी बड़ी हो गई है अब देखना है मुझे पापा की ओ प्यार जो उनकी आंखे कहती है ,जुबा ना बोले पर मेरी हर खुशी के लिए उनकी आंखे आज भी भर आती है , मां मुझको बोलती थी तू लाडली है मेरी , वहीं पापा दिल में मेरी खुशियों के सपने सजाते थे ,फिर दोनों मिल मेरी खुशियों की दुनिया बनाते थे ,,, कहा कोई ऐसा मिला जो हमे हमारे पापा मां की तरह प्यार दे सके , मेरी बोलने से पहले मेरी जरूरतों को पूरी को है मेरे पापा ने अपना हर फर्ज मेरे बोलने से पहले आदा की है पापा ने , अब मै अपना बेटी होने का फर्ज निभाऊंगी उनके बोलने से पहले मै उनके पास जा कर खड़ी हो जाऊंगी दौर कर लाऊंगी ग्लास में पानी उन्हें प्यार से पिलाऊंगी , आपने बिना बोले मेरी जरूरतों को पूरा की अब मै अपनी बेटी होने का फर्ज निभाऊंगी बेटी का फर्ज निभाऊंगी
Vrishali G
जीवनाच्या नाटकात सहभाग सगळ्यांचा असतो पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..
Babli BhatiBaisla
झूठे और ओछे मक्कार महात्मा को कोई नहीं पूछता काले पड़ गए मैले मनको को कोई नहीं पूजता आर्यो की धरती पर शास्त्रों का ऊंचा स्थान है भारत मां के शास्त्रियों की विश्व में अलग पहचान है लाल बहादुर शास्त्री हो या धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री दोनों ने साबित कर दिखाया गरीबी नहीं पिछाड़ती महानता में पिछड़ जाते हैं धनाढ्य भी नीयत से बहुत मूर्ख लगते हैं भूख हड़ताल का नाटक करते हष्ट-पुष्ट काटा है लम्बा सफ़र आंखें मूंद कर अनपढ बहुत थे पढ़ कर समझ गए सभी जयचंद और शकुनि कौन थे बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla नाटक
श्रीमंत हेमंत मानकर
नगर में नगर महानगर.. नागपूर में 14 3ाक्तूबर को जबरदस्त जबरी धमाका.. आपके साक्षी से होने जा रहा है।.. क्या ❓❓❓ मिलते हैं ब्रेक के बाद..😜 नाटक लॉंचिंग
श्रीमंत हेमंत मानकर
आप सभी आदरणीय , गणमान्य महोदय, महामहिम, सादर निमंत्रित हैं जी..... wait & watch pls 🙏........ नाटक लॉंचिंग
श्रीमंत हेमंत मानकर
आगामी 14 आक्टोंबर.. घेऊन येत आहे.. प्रेशर कुकर मधल्या.. 'मनातली' "खदखद"... ““चिंधी बाजार””... भामरागड स्थित 3ासहाय मुलांच्या कल्याणार्थ चॅरिटी शो 3ानुदान राशी फक्त 100/-₹ स्थळ-सुरेशभट सभागृह,रेशीम बाग,नागपूर, सायं 6.00 वा 3ागत्याने येण्याचे करावे जी।। 🙏🙏🙏🌹🌹 नाटक लॉंचिंग