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हिमांशु Kulshreshtha
काश ये खूबसूरत पल यही ठहर जाएं हो न परवाह जमाने की आओ, एक दूजे में सिमट जाएं आने वाली घड़ियों में फिर … जाने क्या लिखा हो… चलो, बुन लेते हैं कुछ यादगार लम्हें क्या ख़बर, हम कल हों न हों… रह जाएं महफ़ूज़ चंद लफ्जों में ©हिमांशु Kulshreshtha आओ...
आओ... #कविता
read moreAkanksha Jain
White ढलती शामों सी उम्मीदें, देखूँ तुमको तो सुबह खिले। सुनो... बहुत हुई बैचैनी तुम बिन, मिलने आओ तो चैन मिले। ©Akanksha Jain मिलने आओ। #SunSet #Love #shayri
HARSH369
आओ चाय पीते हुए बाते करें अपने आने वाले भविस्य के प्लान की हमारी आने वाली मुस्कान की परिस्थितिओ मे होने वाले ठहराव की समपत्ती मे होने वाली मोलभाव की.. आओ बाते करे... हम बाते करेंगे मेनेजमेन्ट की हम बात करेंगे श्रमिको के चुनाव की, अपने होटल मे रखने वाली सावधानिओ की हम बात करेगे सफाई,सुरक्षा की आओ बाते करे भविस्य मे होने वाले बदलाव की आओ चाय पीते हुए बाते करें...!! ©HARSH369 #teatime आओ बाते करे
Neel
White कदम-कदम पर डिगा भरोसा, रिश्तों की नाज़ुक है डोर । कौन मेरा विश्वास करेगा....यही सोँच अब तक हूँ मौन। तोड़ बेड़ियाँ इस समाज की, तिरछी नज़र कतरनी होगी। हिम्मत तो अब करनी होगी, क्या अब भी रहना है मौन। कैसा निष्ठुर ये समाज है......हर बेटी स्तम्भित है - क्या ?? उसका घर भय से आज़ाद है, आओ तोड़ें अपना मौन । आशा है हिम्मत जागेगी, स्वस्थ समाज निर्मित करने को- विकृत सोंच जलानी होगी......यही सोंच अब तोड़े मौन। निज अस्तित्व की रक्षा हेतु, घर-घर अलख जगानी होगी अब भी तुम क्या सोंच रही हो, बहुत सह चुकी तोड़ो मौन। घर-घर फिर मर्यादा होगी, होगा फिर अटूट विश्वास। रिश्तों की नाज़ुक डोरी को, कहो सहेजेगा अब कौन। महकाने को घर-घर पलाश, मुखर वृत्ति अपनानी होगी । अपने मौन से ऊपर उठकर, हिम्मत अब दिखलानी होगी । ** कब तक रहोगे अब तुम मौन..?? **आओ मिलकर तोड़े मौन..।। 🍁🍁🍁 ©Neel आओ मिलकर तोड़ें मौन 🍁
आओ मिलकर तोड़ें मौन 🍁 #कविता
read moreRicha Dhar
घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar #loyalty सावन की घटा
लेखक ओझा
सावन भादों घिर आते है जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।। ©लेखक ओझा #Dhund सावन भादो
#Dhund सावन भादो
read moreHarvinder Ahuja
उठा तूलिका मैं भी कुछ कहूं, बैरंग ज़िन्दगी में मैं भी कुछ रंग भरूं, त्योहार रंगों का खड़ा सामने मुस्कुरा रहा है, इशारों इशारों से बुला रहा है, चारों तरफ हो अगर काली घटाएं, समझ नहीं आता पहले कौन सा रंग उठाए, सफ़ेद रंग से क्या दाग धुल जाएंगे?, लाल पीले या नीले रंग भी क्या मुस्कुरा पाएंगे? चेहरे की मुस्कराहट के पीछे उदासी झलक रही है, दबी भावनाएं भी छलक रही है, दबी भावनाओं को अब कैसे छुपाएं, चलो छोड़ो आओ अब होली मनाएं। ©Harvinder Ahuja #आओ होली खेलें