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Rakesh frnds4ever
White हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ तू यहाँ मुसाफ़िर है ये सराये फ़ानी है चार रोज की मेहमां तेरी ज़िन्दगानी है ज़र ज़मीं ज़र ज़ेवर कुछ ना साथ जायेगा खाली हाथ आया है खाली हाथ जायेगा जानकर भी अन्जाना बन रहा है दीवाने अपनी उम्र ए फ़ानी पर तन रहा है दीवाने किस कदर तू खोया है इस जहान के मेले मे तु खुदा को भूला है फंसके इस झमेले मे आज तक ये देखा है पानेवाले खोता है ज़िन्दगी को जो समझा ज़िन्दगी पे रोता है मिटनेवाली दुनिया का ऐतबार करता है क्या समझ के तू आखिर इसे प्यार करता है अपनी अपनी फ़िक्रों में जो भी है वो उलझा है - २ ज़िन्दगी हक़ीकत में क्या है कौन समझा है - २ आज समझले ... आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगा ओ गफ़लत की नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,, 1 ,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
read moreनवनीत ठाकुर
आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंसाफ का सूरज अब उगाना होगा, नई क्रांति का परचम लहराना होगा। हर साजिश का पर्दाफाश करना होगा, हर अन्याय को जड़ से उखाड़ना होगा। आओ उम्मीदों की मशाल जलाएं, इस सियाह दौर को रौशन बनाएं। ©नवनीत ठाकुर #आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस
#आओ मिलकर कुछ इतिहास लिखें, इस अन्याय के जहान को खत्म करें। ये वक्त है, जब डर मिटा कर बोलना होगा, हर जुर्म की दीवारों को अब ढहाना होगा। इंस
read moreनवनीत ठाकुर
White जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों में बसते हैं, हर दिल में अपने निशान छोड़ चलते हैं। खुद को भुलाकर जो बांटते जहान हैं, बनती वही हस्ती की पहचान है। ©नवनीत ठाकुर #जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों
#जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों
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