हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ...
आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३
#चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जाएगा,,,,
तू यहाँ #मुसाफ़िर है ये सराये फ़ानी है चार रोज की मेहमां तेरी #ज़िन्दगानी है
ज़र ज़मीं ज़र ज़ेवर कुछ ना साथ जायेगा खाली हाथ आया है खाली हाथ जायेगा
जानकर भी अन्जाना बन रहा है दीवाने अपनी उम्र ए फ़ानी पर ,,,,,तन रहा है दीवाने किस कदर तू खोया है इस जहान के मेले मे तु खुदा को भूला है फंसके इस झमेले मे आज तक ये देखा है पाने वाले खोता है #ज़िन्दगी को जो समझा ज़िन्दगी पे रोता है मिटनेवाली दुनिया का #ऐतबार करता है क्या समझ के तू आखिर इसे प्यार करता है अपनी अपनी फ़िक्रों में जो भी है वो उलझा है - २ ज़िन्दगी हक़ीकत में क्या है कौन समझा है - २ आज समझले ... आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगा ओ गफ़लत की #नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे #ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २
#rakeshyadav#rkyadavquotes#rkyfrnds4ever#विचार