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Rajeswari Rath
सुलभा रम्यता लोके दुर्लभं हि गुणार्जनम्।। --Sanskrit -संसार में सौन्दर्य की प्राप्ति कठिन नहीं है,किन्तु गुणों की प्राप्ति बहुत कठिन है। --Hindi Sanskrit sloka with hindi meaning
KhaultiSyahi
धनं धान्ये हिमवत्स्थले धन विप्रे विशेषतः । धन राजानि सर्वत्र धनं धर्मे च पाठके॥ धन तो हिमालय के भूमि में है, धन तो ब्राह्मण के पास विशेषतः है। धन तो राजा के पास सब जगह धन तो धम्म के पाठक के पास भी है।॥ ©KhaultiSyahi #udaan #himalayas #khaultisyahi #Life 🙏 #Truth 🥰 #Life_experience #Reality #Sanskrit #Shlokas
Devashree R
Devashree R
thecreative_rock
हिंदी सिर्फ भाषा नहीं पहचान ए हिंदुस्तान है, देववाणी संस्कृत जिसकी जननी ए ब्रम्हांड है, @thecreative_rock #Hindi #Sanskrit #hindustan #Hindidiwas
MT
Prashansha Karu Mai Kaise Mere Pas Itne Shabd Nahi Shabd To Bana Lu Par Hindi Me Itne Varn Nahi Jitni Teri Alochna Kahne Mei Mujhe Sankoch Na Mere Hriday Ki Dhvani Sun Le Kar Agman Jyada Soch Na #MT #Rap #ShudhHindi #Hindi #Sanskrit #Prashansha #Mt
Ayush Mishra
(Shlokas composed by me in Anushtupchand by name Karkashtkam) ("कारकाष्टकम्"इस विषय पर मेरे द्वारा रचित श्लोक अनुष्टुप्छन्द मे)🙏 ('कारकाष्टकम्' इति नाम्ना मयानुष्टुप्छन्दसि सृष्टा: श्लोकाः) (कवि:-देवप्रिय: आयुष:)✍️✍️ (Poet-DevPriyA Ayush MishrA)✍️✍️ अत्र गुरुशिष्ययोर्मध्ये$नुष्टुप्छन्दसि--- वार्तालाप माध्यमेन कारकविषये सारल्येन प्रवेशाय प्रयासो मया विहितस्तत्र------////////सर्वादावेव शिष्येण प्रश्नः कृतस्ततो गुरुणोत्तरितम्---- तद्यथा--- १--नैव व्यपगतास्सर्वे मम दोषास्तथा$पि च। बुद्धिमान्द्यञ्जजाताच्च कारकज्ञानमृध्नुयात्।। २---उद्यान्मे यच्चभव्याय विद्याज्ञानञ्च दत्रिमम्। येनोपायेन सद्येव परिश्रान्ता भवेन्मतिः।। गुरुः३--बोधाबोधसुबोधाय शास्त्रामृत रसाय च। यत्किमपित्वया पृष्टन् तत्सर्वं हि भवाय च।। ४--ते विचिकित्सितं सम्यग् मयाप्येतद्विवित्सितम्। मामतस्तद्विजानीहि त्वया दोषः कथङ्कृत: शिष्यः५--कश्चात्रवर्तते कर्ता क इहा कर्मकारकः। गुरुः-----करणस्त्वहमेवात्र सारल्येन त्वया कृतः।। ६---मतो$हं सम्प्रदानत्वे आपादाने$प्यहम्मतः। कारणत्वस्य शून्यत्वात् सम्बन्धो$प्यविवक्षितः।। ७--त एतेषाञ्च सर्वेषान् तत्राधारो हि यो भवेत्। सैवाधिकरणत्वेन मतो$स्ति विदुषान्नये।। ८--नित्यं हि पाठमात्रेण सर्वदा सरलीभवेत्। श्रोतव्यं व्यवहर्तव्य न्नित्यं हि कारकाष्टकम्।। ©Ayush Mishra #Original#Shlokas#Ayush #rayofhope