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Stories related to हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का भावार्थ

Nandini Yadav

हम जैसों का ठिकाना ना रहा

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White हम जैसों का ठिकाना ना रहा इस दौर में मोहब्बत का  ज़माना ना रहा मोहब्बत चांद रूपयों की मोहताज हो गई है इस ज़माने में सच्चे मोहब्बत का अफ़साना ना रहा हम जैसे दीवानों के रहने का कोई आशियाना ना रहा कहां-कहां भटकते रहेंगे हम काफिरों की तरह इस ज़माने में हमारा कोई अपना ना रहा

©Nandini Yadav हम जैसों का ठिकाना ना रहा

Satish Kumar Meena

पंछी

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White जो घर से निकले,
बिना पूछकर।
अपने परिवारों का, 
गला घोंटकर।
वापस लौट नहीं,
सकते हैं।
इनसे अच्छे पंछी है,
जो बिना भटके,
घोंसले की पहचान, 
रखते हैं।।

©Satish Kumar Meena पंछी

Parasram Arora

कविता का जन्म

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White प्रसफुटन होता हैँ 
ज़ब चुनिंदा छंदो का
जिन्हे बाद मे एक 
लड मे पिरो दिया 
जाता हैँ
और ज़ब उन श्रंगारित  
छंदो को भावना 
और संवेदनाओं की 
भाफ से थोड़ी गर्मी 
दीं जाती है

तब कही एक
अच्छी कविता
 का जन्म हो पाता हैँ

©Parasram Arora  कविता का जन्म

Vs Nagerkoti

#sadak हम उस इश्वर के प्लान का सिर्फ एक हिस्सा है ।

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दोस्तो आप अपनी मर्जी से कही नही 
जाते। बल्कि ये सब Universe का 
आपके  लिए पहले से निर्धारित सोचा
 समझा plan होता है । हम सिर्फ उस
 plan पर काम कर रहे होते है । जो 
पहले से तय है ।💬💯💯

©Vs Nagerkoti #sadak हम उस इश्वर के प्लान का 
सिर्फ एक हिस्सा है ।

Parasram Arora

i एक नूई कविता का प्रजनन

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White उलझन वाले छंदो 
मे उलझ कर 
कविता मेरी थक
 कर हाफने लगी है

लगता है  अब एक
 नई कविता 
मन के केनवास पर 
कहीं जन्म न लें रहीं हो

©Parasram Arora i एक नूई कविता का प्रजनन

F M POETRY

#मनाने रूठने के खेल में हम.....

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White मनाने रूठने के खेल में हम..

बिछड़ जायेंगे ये सोचा नहीं था..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #मनाने रूठने के खेल में हम.....

harshit tyagi

हम चाय के दीवाने

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Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_shayri यकीनन हम शिकार राजनीति के है

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White पल्लव की डायरी
ठहरे  हुये जज्बात है
जमा समय खर्च रहा है
कातिल कोई तो है
जो बहाव का रुख बदल रहा है
यकीनन हम शिकार राजनीत के है
मगर व्यवस्थाओ को घुन की तरह पीस रहा है
अगर आबाद नही होगी आबादी
तो खतरों से खेलने के लिये
 आमदा हर वर्ग होगा
संघर्षों में तब्दील होगी बस्तियां
अराजकता का माहौल होगा
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_shayri यकीनन हम शिकार राजनीति के है

Writer Mamta Ambedkar

#sad_quotes हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता

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White 

मन का जख्म

बदन पर जो लगे,
वो जख्म भर जाते हैं,
वक़्त की मरहम से,
दर्द भी मिट जाते हैं।

पर जो गहरे घाव,
मन के भीतर लगते हैं,
वो हर धड़कन के संग,
फिर से जी उठते हैं।

न कोई मलहम,
न कोई दवा कारगर,
इन घावों को बस,
सहेजना ही है बेहतर।

ये घाव सिखाते हैं,
जीवन का एक पाठ,
हर दर्द के पीछे छुपा,
कोई अटल सत्य का साथ।

तो मन के जख्मों को,
बस प्यार से थाम लो,
दर्द की इस धारा में,
खुद को पहचान लो।

क्योंकि मन का घाव ही,
तुम्हें मजबूत बनाएगा,
और जीवन के हर मोड़ पर,
नया सूरज दिखाएगा।

©Writer Mamta Ambedkar #sad_quotes  हिंदी कविता कविता कोश कविताएं कविता प्रेम कविता

Writer Mamta Ambedkar

#love_shayari प्रेम कविता हिंदी कविता कविता कविताएं कविता कोश

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White हम सफ़र 

हज़ार फासले होने के बावजूद
  बडा सुकून हमें तेरा  ख्याल देता है
 
हज़ार फासले होने के बावजूद
हज़ार फासले होने के बावजूद,
तेरा ख्याल दिल को उजाल देता है।
दूर रहकर भी जो पास लगे,
ऐसा एहसास तेरा कमाल देता है।

तेरी यादें बसी हैं सांसों में,
हर धड़कन तुझसे सवाल करता है।
क्यों दूरी का शिकवा करें,
जब तेरा ख्याल ही जवाब देता है।

बिछड़ने का ग़म होता है पर,
तेरे ख्याल से हर दर्द टल जाता है।
जैसे दूर चाँद को देखकर भी,
मन को उसका नूर बहाल देता है।

इस दिल का क्या हाल कहें,
जो हर घड़ी तुझे पुकार देता है।

©Writer Mamta Ambedkar #love_shayari  प्रेम कविता हिंदी कविता कविता कविताएं कविता कोश
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