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Rashmi Hule
मुकपणे कागदावर उतरणारी शाई जेव्हां बंडखोर होते बेभान होते वेडी अन् उन्मुक्त शिंपण करते... Meaning :- मुक झरती स्याही जब द्वंद्वपर आती हैं बेभान हो जाती हैं, कगजपर उन्मुक्त छलकती हैं... #शाई#उन्मुक्त #yqtaai #yqbaba #yqdidi #yqtales #bestyqmarathiquotes Pic-Pinterest
Anamika
वो... मान , और मर्यादा, समाज और कानून, जिम्मेदारियों से परे वो इक दिन अपनी मर्जी से जी पायेगीं क्या?? #स्त्री #जिम्मेदारियाँ #समाज #जीना चाहती है वो एक दिन सिर्फ अपनी मर्जी का #उन्मुक्त होकर हंसना चाहती है, साथ पाकर उन दिलों के रिश्तों का.. #yqdeepfeelings #yqdilkibaat
Singh Pratibha
मैं उन्मुक्त हूं मेरे पास दो थके पैर और मेरे कुछ सपने हैं आज मैं तुम्हारी आलोचनाओं का शिकार हूं कल तुम्हे मेरी बेहतरीन कहानी पढ़नी ही होंगी मैं कल भी उन्मुक्त थी आज भी उन्मुक्त और कल भी उन्मुक्त रहूंगी (प्रतिभा सिंह ) kahani
Singh Pratibha
मैं उन्मुक्त हूं मेरे पास दो थके पैर और मेरे कुछ सपने हैं आज मैं तुम्हारी आलोचनाओं का शिकार हूं कल तुम्हे मेरी बेहतरीन कहानी पढ़नी ही होंगी मैं कल भी उन्मुक्त थी आज भी उन्मुक्त और कल भी उन्मुक्त रहूंगी (प्रतिभा सिंह ) kahani
Durvesh Singh
मैं उड़ जाऊं उन्मुक्त गगन में ,मांझी वन पथ खुद मैं बनाऊं। चीर के पर्वत का वो सीना ,हर एक लक्ष्य को भेद के आऊ।। हूं मैं भारत मां की बेटी , हर बेटी का मान बढ़ाऊ । मैं उड़ जाऊं उन्मुक्त गगन में ,मांझी वन पथ खुद में बनाऊं ।। रोक सके ना अब कोई तूफा़ं, चट्टानों से मैं टकराऊ । फहरा के दुनिया में तिरंगा ,भारत को विश्व गुरु बनाऊ।। उड़नपरी यू उड़ गई है अब ,हाथ किसी के ना आएगी । बिगुल बजा दिया है दुनिया में ,विश्व में तिरंगा लहराए गी।। पूरा देश है साथ तुम्हारे ,दौडो़ बहना देश पुकारे । देखा मैंने 19 दिन में ,6 स्वर्ण पदकों को जीत लिया रे ।। नमन है ऐसी मां को जिसने ,इस ज्वाला को जन्म दिया रे । जीत के बिटिया घर को आई ,भारत में लग रहे जय कारे ।। सुना था मैंने देश यह मेरा ,सोने की चिड़िया कहलाया । देख लिया मैंने अब यह सब ,हिमा दास है नाम बताया ।। विजय पताका लहरा के ,बहना ने जन -गण मंगल गाया । आंखें हो गई थी नम जिसकी ,मेहनत का फल अब रंग लाया ।। मैंने सुना था देश की धरती ,सोना उगले हीरे मोती । हुआ सार्थक शब्द वो उनका ,जिनके घर में हीमा बेटी ।। नमन है मेरा ऐसे पिता को ,देश को दे दी उड़नपरी है । भेद के अपना हर एक वह ,अग्नि परीक्षा में उतरी है ।। मेरे देश के वीर जवानों ,मेरी सुन लो मेरी मानो। अडिग अदम्य है साहस सब में ,उठो और अपने को पहचानो ।। (2 पंक्तियां और ) अभी तो मैंने पंखों को धूप में शेंख कि देखा है , असली परो का इम्तिहान बाकी है । अभी तो उड़ी हूं आंगन समझ कर अपना , अभी पूरा आसमान बाकी है ।। ©® दुर्वेश सिंह एक रचना बहन हिमा दास के नाम
Choubey_Jii
उड़ना है उन्मुक्त गगन में उन्मुक्त पवन के संग पंछी संग इक झुण्ड बना उड़ना फैला के पंख भोर भए मैं घर से निकलूं लौटूं शाम मलंग हौसला लिए परों में अपने दिल में लिए उमंग प्रकाश पुंज जैसे होके विवर्तित बिखराता है रंग नभ में छाती अजब लालिमा हो जाता रंग-बिरंग वैसे ही मैं निखरना चाहूँ आसमान में बिखरना चाहूँ लहरो सा मैं उमड़ना चाहूँ बनकर एक तरंग बन बूँद वाष्प मैं होना चाहूँ मेघ ओढ़कर सोना चाहूँ उन बादलों में विचरना चाहूँ मैं बनाकर उनमे सुरंग ये सपनों का संसार है मेरा जीने का आधार है मेरा ये स्वप्न करो साकार प्रभु है तुमसे विनती विनम्र #चौबेजी *उन्मुक्त उड़ान* #चौबेजी #कविता #nojotohindi #nojotopoetry #poem #नोजोटो #nojoto #peace #pyar #सपना #sapna
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