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Stories related to पुष्प की अभिलाषा कविता का भावार्थ

k.Harmukh

माखनलाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा की कुछ पंक्तियां....❤️❤️ #माखनलाल_चतुर्वेदी #हिंदीसाहित्य #हिंदीकविता #niboo #द्विवेदीयुग राष्ट

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Sunil Kumar Maurya Bekhud

पुष्प
अलग अलग है रूप सभी का
तरह तरह के रंग हैं
पर सबकी मुश्कान एक सी
जो फूलों के संग है

बाँट रहें हैं खुशबू अपनी
बहती मंद हवाओं को
उनके मधु के लिए परस्पर
भौंरे करते जंग हैं

लुभा रहें हैं सबके मन को
जब हिलते हैं लब उनके
तेज धूप में भी खुश रहते
देख जमाना दंग है

जीवन जीना हमें सिखाते
बेखुद रहते एक सा
तूफानों में भी ना फीकी
पड़ती कभी उमंग है

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #पुष्प

Parasram Arora

अभिलाषा

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White इस धरा से मुक्त होने की 
मेरी कोई अभिलाषा नहीं है..

भले ही आकाश ने मुझे 
बुलाने के लिए 
एक   रोचक रोड. मैप 
 क्यों न भेज दिया हो

©Parasram Arora अभिलाषा

कवि प्रभात

#GoldenHour कुमार विश्वास की कविता कविता कोश प्यार पर कविता

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तूने वो काम किया,
जो न दुश्मन करे 
सोचे    करने से   पहले,
रब से डरे 
ज्ञान तुझको भी होगा
हो जैसा करम 2
फल करनी का वैसा 
भुगतान पड़े

©कवि प्रभात #GoldenHour  कुमार विश्वास की कविता कविता कोश प्यार पर कविता

Deependar lodhi Deepu raja

#goodmorningguyea कुमार विश्वास की कविता प्रेम कविता

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hii friends good morning 💫💫😈

©Deependar lodhi Deepu raja #goodmorningguyea   कुमार विश्वास की कविता प्रेम कविता

VED PRAKASH 73

White मन और शरीर दोनों के लिए स्वास्थ्य का रहस्य अतीत के लिए शोक करना या भविष्य के बारे
 में चिंता करना नहीं बल्कि वर्तमान क्षण को बुद्धिमानी और ईमानदारी से जीने में है हमारी
 यात्रा एक कदम से शुरू होती है हर दिन एक
 छोटा कदम बढ़ाएं और जल्द ही आप खुद
 को उस जगह से मीलों दूर पाएंगे जहां
 से शुरुआत की थी... -वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73 #अभिलाषा

HARSHIT369

लव अभिलाषा शायरी लव स्टोरी

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हमे मिलि हि नहि वो जिसे
 बेइंन्तहा प्यार कर सकता था,
हमे मिलि हि नहि जो
हमे बेइंन्तहा प्यार करति..
जिसके साथ पुरी उम्र गुजार सकूं
खुशि से जिसके साथ दो पल बिता सकूं
ढुंन्ड रहा हुं आज भी...
कोई हो तो किस्मत बन जाये..!!

©HARSHIT369 #लव अभिलाषा शायरी लव स्टोरी

Parasram Arora

एक पुष्प का कली के लिए आशीष

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White आख़री  साँसे लेते हुए एकबझरते हुए व्योवृद्ध  ने  पुष्प ने अपने निकट खिलतीं हुई नवजात कली 
की तरफ देख कर कहा 
" आज मेरा रूप लावण्य और गंध सब  खोने की कगार पर पहुंच चुका है 
अब आने वाला कल तुम्हारा होगा भोर की सुनहरी किरणपर भी अधिकार तुम्हारा होगा 
आने वाले नए कल का नया गीत भी तुम्हारे लिए होगा 
तुम्हारी महक से ये पूरा चमन महक उठेगा  और तितलिया  भृमर 
भी तुम्हे देख कर  अनुग्रहित होंगे 
आज  आँख बन्द करने से 
पहले  मेरे ये सन्देश तुम्हारे लिए  मेरा  आशीष होगा

©Parasram Arora एक पुष्प का  कली के लिए  आशीष

नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

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जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर #प्रकृति का विलाप कविता

Neetesh kumar

#Sad_Status कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता

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White मुहब्बत, आशिकी और इबादत होती


यदि 


मुझे तुम्हारी आंखों में उतर जाने 
की इजाजत होती...

©Neetesh kumar #Sad_Status  कुमार विश्वास की कविता कुमार विश्वास की कविता हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता प्यार पर कविता
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