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sarita lodhi
जब रिश्ते मौन का रूप धारण कर ले, जब रिश्ते फिक्र करना छोड़ देते है, जब रिश्ते मनाने का मौका नही देते है, जब रिश्ते अनदेखा करने लगते है, तब महसूस होता है, कुछ रिश्ते, रिश्ते नही, सिर्फ आकर्षण था। ©sarita lodhi क्या मैं सही कह रही हूं, अपनी राय comment में साझा कीजिये। #PoetInYou #nojotohindi #रिश्ते
Mamta Singh
आज Sunday है तुम आज आओगे, आते ही चाय का फरमान सुनाओगे। फिर आलू पराठा संग टमाटर की चटनी , की दरकार जताओगे। दाेपहर मे मटर की कचाैड़ी ,संग-आंवले की चटनी, की गुहार लगाओगे। शाम हाेते ही प्याज के पकाैड़े संग धनिया की चटनी, के लिये मुझे फुसलाओगे। और बगैर nonveg के तुम्हारी Sunday ताे पुरी हाेगी नहीं। देख लाे तुम अगले Sunday मैं घर से भाग जाउंगी फिर खाली घर में भुताें काे happy Sunday बाेलना सरकार संम्भल जाओ तुमसे ही कह रही हूं.….😎😎 #yqdada#yqbaba#yqdidi#yqlove#yqtable#yqhindi#yq#
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
Anushiii Sharma
साहस
गधी को साधने के लिए गधा सुनना पड़ा, अब इससे ज्यादा सुन नहीं सकोगे। गधे जो सबसे ज्यादा सीधी साधी जानवर होते हैं फिर भी लोग उन्हें गधा कहते हैं मेरा दोस्त भी बहुत अच्छा है इसलिए मैं उसे गधा तो नहीं कह रही हूं
Mamta Singh
ये जाे माैसम की तरह तुम्हारा मिजाज हर पल बदल रहा है, कभी सुहाना ताे कभी शुष्क हाे रहा है संभल जाओ सरकार ,मेरे दिमाग का पारा भी गर्म हाे रहा है। आज ना ताे Sunday स्पेशल अप्पी 😘ना झप्पी🤗न चाय☕बस बाय😫👊 संभल जाओ 🙁ये मैं आपसे ही कह रही हूं🙁🙁 माैसम#मिजाज#sunday#चाय#सरकार#yqbaba#yqdada#yqdi
Anjali Srivastav
सुनो तुम ही मिरे दिल को बहुत ही चार्मिंग से हो , कसम से कह रही हूं मैं तुम्हें अब डार्लिंग से हो, चलो मिलकर बना लें जिंदगानी खूबसूरत यूँ हुई है खत्म अब नाइट तुम्हीं तो मॉर्निंग से हो ।। ©Anjali Srivastav सुनो तुम ही मिरे दिल को बहुत ही चार्मिंग से हो , कसम से कह रही हूं मैं तुम्हें अब डार्लिंग से हो, चलो मिलकर बना लें जिंदगानी खूबसूरत यूँ हुई
Harshita Dawar
Insta@dawarharshita अहिस्ता आहिस्ता लिख रही हूं जिंदगी के हर पन्ने पर बदलते क़िरदार लिख रही हूं आहिस्ता आहिस्ता हर सवाल के जवाब लिख रही हूं हर दिल पर लगे ज़ख्म का हिसाब लिख रही हूं आहिस्ता आहिस्ता ख़ुद को बदलते देख रही हूं हर चुप्पी को गलत पर आवाज़ उठाने को कह रही हूं Insta@dawarharshita अहिस्ता आहिस्ता लिख रही हूं जिंदगी के हर पन्ने पर बदलते क़िरदार लिख रही हूं आहिस्ता आहिस्ता हर सवाल के जवाब लिख रही हूं
lalitha sai
दिल में हूं.. दिमाग़ में नहीं.. हकीकत में हूं.. ख़्वाबों में नहीं.. सुकून में हूं.. तनहाई में नहीं.. देखने की कोशिश करो.. ओ.. मेरे यारा.. आपके हर सवालों के जवाबों में.. सिर्फ मैं ही मैं हूं..❤️❤️ #lalithasai #myworld सुनो.. जीवन में किसी से कोई आकांक्षा नहीं. क्षमा(sorry)भी नहीं.. अगर मुझसे कोई गलती हो गई तो.. माफ जरूर करना.. दिल से क
Roohi Quadri
"माननीय नेता जी के नाम एक जागरूक मतदाता का पत्र" माननीय नेता जी, यह कोई विनम्र निवेदन नहीं, खुल्ली चेतावनी है सम्हल जाइये... क्योंकि दुर्घटना से बहेतर सावधानी है। मज़हबी चूल्हे पर राजनीतिक रोटियां बहुत सेंक लीं थोड़ा सा करके, बातें भी बड़ी-बड़ी फेंक लीं । अब मेरे देश का युवा ज़्यादा जागरूक ओर समझदार है पहचान ही जायेगा वो.... कि कौन चोर है और कौन चौकीदार है। अब आपकी जातिवाद की चाल भी नहीं चलने वाली है और ना ही लव जिहाद वाली दाल गलने वाली है। जिस झूठे नारे की डोर थामे आप कागज़ी विकास की पतंग उड़ा रहे हैं वो पतंग अब जल्द ही कटकर धरातल पर गिरने वाली है। जिस समाज को आपने भ्रष्टाचार के रंग में रंग दिया है वो ही अब आपको शिष्टाचार सिखलायेगा । और जिसको गुमराह करने की साजिशें आप रात की चांदनी में बैठ कर करते हैं वो ही युवा अब आपको दिन में तारे दिखलायेगा। सुना है कि आजकल आप अंतर्राष्ट्रीय सम्बंध सुधार रहे हैं जबकि ,अपने ही देश में प्यार, मुहब्बत, चैन और अम्न स्वर्ग सिधार रहे हैं। सत्ता के मोहपाश से तनिक बाहर तो आइए और अच्छे दिन कब तक आने वाले हैं यह बताइए तो फिर क्या सोचा है आपने, कब है आपकी अगली यात्रा। जाते-जाते बस इतना बता दीजिएगा कि पप्पू में छोटे 'उ ' या बड़े 'ऊ' की लगेगी मात्रा। झूठे लोकतंत्र का मंत्रोच्चारण ज़रा कम कर दीजीए हो सके तो बेजान हो चुकी कानून व्यवस्था में थोड़ा दम भर दीजिए। वोटों की राजनीति तो सभी सरकारें करती आई हैं आप ज़रा अलग सोचिए। बेरोज़गार युवाओं को अपराधी बनने और किसानों को मरने से रोकिए। एक बात और कहनी थी आपसे जाग जाइए अब तो हसीन ख़्वाब से। पड़ोसी दुश्मन बार - बार हमारे घर में घुसने को तैयार है पर आपको ना जाने किस धोखे और मौके का इंतज़ार है। माना कि मीडिया राजनीति के पक्के खिलाड़ी हैं आप पर जनाक्रोश के मामले में थोड़े अनाड़ी हैं आप। जनसमपर्क और जनसंचार माध्यमों से कब तक अपनी छवि एडिट करते रहेंगे और सरहद पर बैठे जवानों की क़ुर्बानियों का क्रेडिट लेते रहेंगे। ©Roohi Quadri बाहर निकलिए किसी तरह इस झूठे आवरण से और बाज़ आ जाइए ऐसे अनापेक्षित आचरण से। आपसे पूरे देश की भावनाएं और उम्मीदें जुड़ी हैं और आपको तो बस अपन