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भारद्वाज

#cg_forest #,एक डोली चली एक अर्थी चली....... बात दोनों में कुछ इस तरह से चली ........ बोली डोली तुम्हें किसने धोखा दिया , कहां तू चली...?

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

चौकडिया छन्द  बैठे-बैठे किया इशारा , दिल से तुम्हें पुकारा । छूरी दिल पे आज चलाये , तेरा ये लश्कारा ।। जाओ दूर नही अब हमसे, तुम ही एक सहारा #कविता

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चौकडिया छन्द 

बैठे-बैठे किया इशारा , दिल से तुम्हें पुकारा ।
छूरी दिल पे आज चलाये , तेरा ये लश्कारा ।।
जाओ दूर नही अब हमसे, तुम ही एक सहारा ।
जीवन तुम बिन व्यर्थ रहेगा , सुन लो सजन हमारा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौकडिया छन्द 

बैठे-बैठे किया इशारा , दिल से तुम्हें पुकारा ।
छूरी दिल पे आज चलाये , तेरा ये लश्कारा ।।
जाओ दूर नही अब हमसे, तुम ही एक सहारा

Irfan Saeed

वो तेरा वो मेरा अमन चाहता है हमारा बनाया चमन चाहता है गलियों में रुसवा अजी मुझको कर दो लैला से मजनू मिलन चाहता है #Shayari #gazal #GoldenHour

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात । देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।। रात अमावस की बड़ी , होती काली रात । सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती #कविता

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दोहा :-
अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात ।
देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।।
रात अमावस की बड़ी , होती काली रात ।
सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती पल में घात ।।
रात-रात भर जागकर , रक्षा करे जवान ।
अमन हमारे देश हो , किए प्राण बलिदान ।।
कह दूँ कैसे मैं सजन , अपने मन की बात ।
रजनी मुझको छेड़ती , कह बिरहन की जात ।।
रात-रात करवट लिया , तुम बिन थे बेहाल ।
एक-एक रातें कटी , जैसे पूरा साल ।।
अपने दिल के मैं सभी , दबा रही जज्बात ।
समझाओ आकर सजन , रजनी करे न घात ।।
नींद उड़ी हर रात की , देख फसल को आज ।
करता आज किसान क्या , रुके सभी थे काज ।।
उन पर ही अब चल रहे , सुन शब्दों के बाण ।
रात-रात जो देश हित , त्याग दिए थे प्राण ।।
जो कुछ जीवन में मिला ,  बाबा तेरा प्यार ।
व्यक्त न कर पाऊँ कभी , तेरा वही दुलार ।।
हृदय स्मृतियों में चले ,  बचपन के वह काल ।
हाथ थाम चलते सदा , कहते मेरा लाल ।।
जीते जी भूलूँ नही , कभी आप उपकार ।
कुछ ऐसे हमको दिए , आप यहाँ संस्कार ।।
जीवन में ऐसे नहीं , खिले कभी भी फूल ।
एक परिश्रम ही यहाँ , है ये समझो मूल ।।
बिना परिश्रम इस जगत , मिलते है बस शूल ।
कठिन परिश्रम से यहाँ , खिलते सुंदर फूल ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अधरो पर आकर रुकी , मेरे मन की बात ।

देख देख रजनी हँसे , न होगी मुलाकात ।।


रात अमावस की बड़ी , होती काली रात ।

सँभल मुसाफिर चल यहाँ , करती

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- हर किसी पे आती जवानी है । पर सँभलना ही सावधानी है ।। #शायरी

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White ग़ज़ल :-

हर किसी पे आती जवानी है ।
पर सँभलना ही सावधानी है ।।
प्रेम की एक वो कहानी है ।
अब भी सागर में जो निशानी है ।।
यूँ तो मिल जाते नैन ही सबसे ।
जो उतर जाये दिल में रानी है ।।
झूठे वादे नहीं करो हमसे ।
प्रीत अपनी बहुत बखानी है ।।
लौट कर आ गये वतन अपने ।
दीप हर-घर कहो जलानी है ।।
दूर कब तक रहे सजन तुमसे ।
क्या यही मेरी जिन्दगानी है ।।
प्यार को जब बना लिया मक़सद ।
डर न अब जाँ पड़े गवानी है ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-


हर किसी पे आती जवानी है ।

पर सँभलना ही सावधानी है ।।

Sethi Ji

💝💝 दिल से दिल तक 💝💝 दिल से दिल का नाता होता हैं हर शायर का अंदाज़ निराला होता हैं ।। सुना हैं जो हॅसते हॅसते जाते इस दुनिया से

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Sethi Ji

🩷🩷 शायर की कला 🩷🩷 🩷🩷 शायरी की अदा 🩷🩷 लोगों को हॅसना भी एक कला हैं रहता हूँ अपनी मस्ती में यह दिल मेरा अलबेला हैं ।। चाहता हूँ एक सच्चा औ

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन । आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।। देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन । मन ये प्यासा रह गया , #कविता

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लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन ।
आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।।

देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन ।
मन ये प्यासा रह गया , बीत गई फिर रैन ।।

रूप मोहिनी देखकर , ठहर गये दो नैन ।
लब बेचारे  मौन थे , कह न सके दो बैन ।।

जिनकी सुन तारीफ में , निकल न पाये बैन ।
कजरारे वह नैन अब , लूट रहें हैं चैन ।।

इतना तो अब ध्यान रख , भोर नही ये रैन ।
झूठ बोलते आप हैं , बोल रहे दो नैन ।।

अमृत कलश पिला दिए , तेरे ये दो नैन ।
झूम-रहा हूँ देख लो , पीकर अब दिन रैन ।।

लाकर होठों पर हँसी , पीर छुपाये कौन ।
दो नैना यह देखकर , रह न सकेंगे मौन ।।

दो नैना जो चार हो, खिले अधर मुस्कान
धीरे-धीरे हो गया , देख हृदय का दान ।।

०४/०४/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लूट लिए हमको सजन., तेरे ये दो नैन ।

आता अब पल भर नहीं , सुनो जिया को चैन ।।


देखो जब भी हम मिले , किए बात दो नैन ।

मन ये प्यासा रह गया ,
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