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Shravan Goud
अच्छी नीयत से कर्म करना चाहिए ताकि दण्डित न होना पड़े। अच्छी नीयत से कर्म करना चाहिए ताकि दण्डित न होना पड़े।
Shravan Goud
ॐ शं शनैश्चराय नमः 🙏। शनि कहते हैं सन्मार्ग पर चलने वाले कभी दण्डित नही होते।🙏
Shravan Goud
गलती जब गलती का एहसास हो तुरंत उसमें सुधार कर लेना चाहिए वरना आगे चलकर दण्डित होंगे। जब गल्ती का एहसास हो तुरंत उसमें सुधार कर लेना चाहिए वरना आगे चलकर दण्डित होंगे।
Bramhan Ashish Upadhyay
बिना किये अपराध कोई न जाने क्यों मैं दण्डित हूँ। एकता और सौहार्द की हुई मैं मूरत खण्डित हूँ।। छोड़ो तुम क्या समझोगे और जानोगे दर्द मेरा। अपने देश में जो है निर्वासित,मैं वो काश्मीरी पण्डित हूँ।। बिना किये अपराध कोई न जाने क्यों मैं दण्डित हूँ। एकता और सौहार्द की हुई मैं मूरत खण्डित हूँ।। छोड़ो तुम क्या समझोगे और जानोगे दर्द मेरा। अपने
Dr Jayanti Pandey
सीमाएं सिर्फ सैनिकों की शहादत से सुरक्षित नहीं हो सकती हैं देश में गद्दारों को पहचानना और कुचलना रवाएत होनी चाहिए कब तक हमारे जवान अपने खून से देश की नींव सींचते रहेंगे।अब जरूरी है कि भीतर के गद्दारों को पहचान कर उन्हें सबक सिखाना शुरू किया जाना चाहिए।हर
RahulAhirwar
यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी के द्वारा आपसे किसी भी कार्य को करने के बदले आपसे किसी भी तरह की रकम नेक जोक या बक्शीस मांगी जाती है तो आप उस व्यक्ति पर भारतीय दंण्ड संहिता अधिनियम 1988 धारा 7 के तहत मुकदमा दर्ज कर सकते हैं लेकिन ये धारा 7 के तहत रिश्वत देने और लेने वाले दोनों पर ही लागू होता हैं भारतीय दंण्ड संहिता धारा 8 के तहत सात वर्ष तक की कारावास अथवा जुर्माना दोनों से ही दण्डित किया जा सकता है। ©RahulAhirwar यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी के द्वारा आपसे किसी भी कार्य को करने के बदले आपसे किसी भी तरह की रकम नेक जोक या बक्शीस मांगी जाती है तो आप उस व्य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
बसते सबमें राम है , फिर भी हम अंजान । पत्थर की पूजा करें , मानें मत इंसान ।। मानें मत इंसान , समझ पशु दण्डित करते । लेते मन भर काम , त्रुटि में दंड़ वह भरते ।। उनकी जब हो हानि , खुशी से हम सब हँसते । रहते सदा गुलाम , शरण जो मेरी बसते ।। माया के आगे सभी , मिथ्या है इंसान । जिसको पाकर आज सब , करते हैं अभिमान ।। करते हैं अभिमान , किसी का मान न रखते । रिश्तें नाते आज , स्वार्थ बस सब हैं चखते । इसी दौड़ में देख , मिटेगी सबकी काया । करता जो इंसान , यहाँ पर माया माया ।। १०/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बसते सबमें राम है , फिर भी हम अंजान । पत्थर की पूजा करें , मानें मत इंसान ।। मानें मत इंसान , समझ पशु दण्डित करते । लेते मन भर काम , त्रुटि
Poetry with Avdhesh Kanojia
#RIPPriyankaReddy हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। तेरे करुण रुदन से नहीं है किसी का हृदय पिघलता। भस्म न करेगी किसी पापी को तेरी श्वासों की शीतलता।। अबला नहीं बन तू सबला अब अपनी शक्ति को पहचान। जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे रख दे उस पे तू कृपाण।। जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब कर डाल तू उसे कुरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी उनको भी तू पहचान। मीठी बातों में हैं जो फँसाते समझ तुझे नादान।। मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति का करना विस्तार। ले तलवार बनकर क्षत्राणी दे उनके सीने में उतार।। पापी को दण्डित करना भी है एक धर्म स्वरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। ✍️अवधेश कनौजिया हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।।
Poetry with Avdhesh Kanojia
हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। तेरे करुण रुदन से नहीं है किसी का हृदय पिघलता। भस्म न करेगी किसी पापी को तेरी श्वासों की शीतलता।। अबला नहीं बन तू सबला अब अपनी शक्ति को पहचान। जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे रख दे उस पे तू कृपाण।। जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब कर डाल तू उसे कुरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी उनको भी तू पहचान। मीठी बातों में हैं जो फँसाते समझ तुझे नादान।। मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति का करना विस्तार। ले तलवार बनकर क्षत्राणी दे उनके सीने में उतार।। पापी को दण्डित करना भी है एक धर्म स्वरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। ✍️अवधेश कनौजिया #navratri हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप।
Poetry with Avdhesh Kanojia
बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। तेरे करुण रुदन से नहीं है किसी का हृदय पिघलता। भस्म न करेगी किसी पापी को तेरी श्वासों की शीतलता।। अबला नहीं बन तू सबला अब अपनी शक्ति को पहचान। जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे रख दे उस पे तू कृपाण।। जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब कर डाल तू उसे कुरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी उनको भी तू पहचान। मीठी बातों में हैं जो फँसाते समझ तुझे नादान।। मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति का करना विस्तार। ले तलवार बनकर क्षत्राणी दे उनके सीने में उतार।। पापी को दण्डित करना भी है एक धर्म स्वरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। ✍️अवधेश कनौजिया #जस्टिस_फ़ॉर_डॉक्टर_प्रियंका हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला