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Bramhan Ashish Upadhyay
माँगना हक़ है मेरा तुमसे और मैंने अनुरोध लिखा है। तुम्हारी मनमानियों पर थोड़ा सा विरोध लिखा है।। मेरे क़त्ल की साजिशें करो ये सियासत के रहनुमाओं। विद्रोही ने फिर सच को सच और विरोध लिखा है।। #vद्रोही #Love #politices
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Bramhan Ashish Upadhyay
बदनामी की कैसी संध्या भाग्य हमारा लाया है। प्रेम,समर्पण,आज़ादी का हमने कैसा ये फल पाया है।१। जिस माँ ने पाला उसको अपने तन का लहू पिलाकर। आज उसी माँ को बेटी ने अपना दुश्मन बतलाया है।२। जिस भाई ने तेरी ख़ातिर जगभर से रार ठाना था । आज उसी भाई को देखो, कैसे बहन ने ही उसकी झुठलाया है।३। देखो दौड़ना सीख गई है चलते चलते जाने कब ।
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बदनामी की कैसी संध्या भाग्य हमारा लाया है। प्रेम,समर्पण,आज़ादी का हमने कैसा ये फल पाया है।१। जिस माँ ने पाला उसको अपने तन का लहू पिलाकर। आज उसी माँ को बेटी ने अपना दुश्मन बतलाया है।२। जिस भाई ने तेरी ख़ातिर जगभर से रार ठाना था । आज उसी भाई को देखो, कैसे बहन ने ही उसकी झुठलाया है।३। देखो दौड़ना सीख गई है चलते चलते जाने कब ।
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बहने दो लहू जख्मों से मेरे, मलहम मत लगाओ मेरे घाव को तुम घाव रहने दो। अपना बनाना फिर लूट लेना, बहुत देखे हैं ऐसे दाँव , मुझपर मत आज़माओ ये दाँव रहने दो।। मैं झेल लूँगा हँस के तुम्हारे हर दाँव, आँव और बाँव,, बस मेरे सर पर पिता का हाथ और मेरी माँ के आँचल की छाँव रहने दो।।
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जाने तुम किस बात पर खफ़ा हो गए जाने तुमको किस बात का मलाल था। मैं तुमसे हाँ तुमसे प्यार करता हूँ ये तो सिर्फ इजहार-ए-ख़्याल था।। विद्रोही मेरे इज़हार-ए-ख़्याल से तेरी ये नाराज़गी कैसी। ऐसा नही है कि तेरे साथ किसी ने पहली दफ़ा की हो बात ऐसी ।। बस तुम ये ही बता दो तुमने इतना किस बात पर मचाया बवाल था।। जबाब देना ज़रूरी नही क्योंकि ये इज़हार है इज़हार तुम्हारे पेपर का न कोई सवाल था।। #vद्रोही #yqbaba #yqdidi nojoto #nojotohindi #Feeling #Love #drama #तुम #इज़हार #ख़्याल #sath
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तुमसे एक शाम एक बार मुलाक़ात हो । तुम ठहरो पल दो पल और तुमसे बात हो।। भुला के सारे गिले शिकवे तुमको लगा लूँ सीने से । विद्रोही जब बेक़ाबू मेरे जज़्बात हो।। जब तुम जाने लगो ,मैं तुम्हें रोकना चाहूँ पर रोक न पाऊँ। और अचानक उसी समय बरसात हो।। तुम जाने की जिद करो और मैं रुकने की । तुम उस बारिश में फ़िसल कर मेरी बाहों में गिरो।।
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