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Prem Sagar
White Souda hua ishq ka Sapne tute hajar Ek ghut premi bandh ke Piye ghut hazar!! ©Prem Sagar #sad_shayari SAD अमित
Prem Sagar
White Kai raatein maine aise guzari hai Jaise ek pal mein kai, sadiyon bit gya ho ©Prem Sagar #love_shayari Satyaprem Upadhyay Mukesh Poonia अमित
Ghumnam Gautam
धनी क़िस्मत के हैं वो लोग जिनके पास है बिटिया बहुत प्यारे हैं बेटे भी मगर कुछ खास है बिटिया कोई माने-न-माने पर मेरा बस इतना कहना है कि जीवन शुष्क पतझड़ है तरल मधुमास है बिटिया (हैपी बड्डे मिष्टी) ©Ghumnam Gautam #मधुमास #बिटिया #जन्मदिन #ghumnamgautam
Ganesh Kumar Verma
मेरे ऑफिस की वो लड़की उसकी हँसती आँखों में, सारी खुशियाँ दिख जाती है, मेरे ऑफिस की वो लड़की, याद बहुत अब आती है। अपने मैडम की इज्जत वो हद से ज्यादा करती है, पर सच्ची बातों की खातिर, मैडम से भी लड़ती है। कल क्या होगा जाने कौन, अच्छा समय है सबको भाता , जिस दिन वो ऑफिस आ जाये, मेरा दिन अच्छा हो जाता। ऑफिस का काम हमेशा वो, घर से भीं कर जाती है, अच्छी सुन्दर बातें करती, मन को वो हर्षाती है, मेरे ऑफिस की वो लड़की, याद बहुत अब आती है। तन रम्भा, मन सरस्वती है, मनमोहक नवयौवन है, पहाड़ी नदी सी वो चलती, गजगामीनी चंचल मन है। सबके मन की भाषा समझे, अपनी बात छिपाती है। मेरे ऑफिस की वो लड़की याद बहुत अब आती है, पुष्प, धुप और दीप सजी, वो पूजा की एक थाली है, इससे ज्यादा क्या और बताऊं, नाम उसका दीपाली है। नहीं किसी को ऊँचा बोले सदा हँसती-खिलखिलाती है। मन की बात न बोले हमसे, जाने क्यों शर्माती है, मेरे ऑफिस की वो लड़की याद बहुत अब आती है।। मन की कलम से.................... जन्म दिन की अशेष शुभकामनाओं के साथ 💐💐 ©Ganesh Kumar Verma #जन्मदिन
Amit Tiwary (Muntashir Soul)
उम्मीद आंखो में भरे, थामे यूं हाथ मेहनतों का मुस्कील भरे उन रास्तों पे, यूं ही दौड़ जाना चाहता हूं। क्यों किया,क्यों न किया इन प्रश्नों से में आंखो में आंखे डाल कर सबको बताना चाहता हूं हां आसमां में चांद बनकर सदियों चमकना चाहता हूं। हमारे बड़े भाई सौरभ प्रियदर्शी जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई 🎉🎂🎉 ©Muntashir Soul जन्मदिन की हार्दिक बधाई।
NK Sharma
aditi the writer
तेरे इश्क़ नचाया कर के थैया थैया छेती आवीं वे तबीबा, नई तां मैं मर गइयां तेरे इश्क़ ने डेरा मेरे दिल इच कीता भर के ज़हर प्याला मैं तां आपे पीता मेरे कामिल मुर्शिद, हुन मैं पार लगइयां छुप गया वे सूरज, बाहर रह गयी लाली वे मैं सदके होवां, देवे मुर्जे वे खाली पीरा मैं भुल गइयां, तेरे नाल न गइयां ऐस इश्क़ दे झंगी विच मोर बुलेंदा सान्नु क़िबले ते क़ाबे सोहना यार दिसेंदा सान्नु घायल कर के फेर खबर न लईयां बुल्लेशाह नू सद्दो शाह इनायत दे बूहे जिसने सान्नु पुवाये छोले सावे ते सूहे जां मैं मारी है अड्डी, मिल पया वहैया बुल्ले शाह ©aditi the writer #बाबा बुल्ले शाह R Jain Niaz (Harf) shraddha.meera आगाज़