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रजनीश "स्वच्छंद"
नयन नहीं जो भींगते, जब देखा संताप। निज मानव क्या मानना, क्या अंतर पशु आप।। ©रजनीश "स्वच्छंद" #आदमी #इंसान
अनिल कसेर "उजाला"
White आदमी आदमी अब रहा ही नहीं, बात दिल की कभी सुना ही नहीं। साथ सबका निभाने को है चला, यार खुद का भला खुद किया ही नहीं। ©अनिल कसेर "उजाला" आदमी
आदमी
read moreAbdhesh prajapati
White एक पल नहीं लगता इस दुनिया से बिदा होने में फिर भी कितना गुरूर है आदमी को आदमी होने में..? ©Abdhesh prajapati आदमी को आदमी होने में
आदमी को आदमी होने में
read moreTARUN KUMAR VIMAL
White बीमा मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: * जीवन बीमा: यह बीमा पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर उनके परिवार या लाभार्थियों को आर्थिक सहायता प्रदान करता है। जीवन बीमा कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि टर्म लाइफ इंश्योरेंस, होल लाइफ इंश्योरेंस, एंडोमेंट प्लान, आदि। * सामान्य बीमा: यह बीमा जीवन के अलावा अन्य चीजों के लिए होता है, जैसे कि स्वास्थ्य, घर, गाड़ी, आदि। सामान्य बीमा भी कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि स्वास्थ्य बीमा, गृह बीमा, वाहन बीमा, आदि। ©TARUN KUMAR VIMAL #Thinking बीमा मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: * जीवन बीमा: यह बीमा पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर उनके परिवार या लाभार्थियों को आर्थिक स
#Thinking बीमा मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं: * जीवन बीमा: यह बीमा पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर उनके परिवार या लाभार्थियों को आर्थिक स
read moreअनिल कसेर "उजाला"
White ज़िंदगी में अगर प्यार मिल जाएगा, दर्द-ए-गम खुशी में बदल जाएगा। आदमी आदमी को समझ जाए तो, पत्थरों में भी फूल खिल जाएगा। ©अनिल कसेर "उजाला" आदमी
आदमी
read moreranjit Kumar rathour
कुछ खास नहीं वो आम सी लड़की थी हमेशा गुम सुम सी रहती थी पूछा था उससे सब ठीक तो है न बोली नहीं मै बीमार रहती हुँ क्योँ आखिर परेशानी क्या है एक दम से भावुक हो बोली है कुछ मुश्किलें मुझे दिखाने जाना है फिर हर बात मुझसे बताती पता नहीं कब उसको मुझ पर यकीन हो गया और फिर अच्छे दोस्त और अब सब कुछ हर बात जिद कर मनवा लेती अब तो बिना बात किये दिन नहीं गुजरती हर वक्त उसका इंतज़ार होता नहीं बता सकता वो कब आम से खास हो गयी हां खास हो गयी ©ranjit Kumar rathour आम से खास
आम से खास
read moreपूर्वार्थ
White शादीशुदा पुरुष का संघर्ष शादीशुदा स्त्री की पीड़ा पर,सैकड़ों कविताएं गढ़ी गईं, कहानियों में बसी उसकी वेदना,हर बार सम्मान से पढ़ी गईं। पर शादीशुदा पुरुष का क्या?क्या उसके दुख कोई सुनता है? जो हंसता है सबके सामने,क्या भीतर से कभी खिलता है? वो घर का स्तंभ है, छत है, दीवार है,उसके कांधों पर हर जिम्मेदारी का भार है। सुबह से रात तक भागता दौड़ता,सपनों से पहले, अपनों का ख्याल करता। हर सुबह उठकर वो काम पर जाता,दबाव के पहाड़ तले, खुद को छिपाता। दफ्तर की राजनीति, बॉस की फटकार,सब सहकर भी लाता है घर का त्योहार। घर में जो रोटी की खुशबू आती है,वो उसके पसीने की गंध से मिलती है। बच्चों की मुस्कान, पत्नी की खुशी,उसकी दुनिया बस इन्हीं में सिमटती है। पर क्या कभी किसी ने देखा है,उसकी आंखों में छिपा दर्द? उसके सपने, उसकी ख्वाहिशें,कहीं धुंधले पड़ गए हर कदम। वो भी थकता है, पर कह नहीं पाता,दर्द से जूझता है, पर रो नहीं पाता। उसकी मेहनत को ना कोई समझता,उसके संघर्ष को बस समाज अनदेखा करता। जब पत्नी थकती है, दुनिया उसे सहलाती,जब पति थकता है, चुप्पी उसे खा जाती। कहां है वो कंधा, जिस पर वो सिर टिकाए?कहां है वो सुकून, जो उसका मन बहलाए? कभी-कभी अपमान की आंधियां आती हैं,घर के भीतर भी ताने सुनाई जाती हैं। "तुम तो बस कमाने की मशीन हो,क्या और कोई संवेदना तुम्हारे पास नहीं हो?" आरोप, अपेक्षा और तुलना के बाण,हर दिन उसकी आत्मा पर चलते हैं तीर समान। कभी खुद को समझा नहीं पाता,कभी सबकी उम्मीदों का भार सह जाता। पर ये समाज उसे हीरो नहीं मानता,ना उसकी तकलीफ पर कोई गीत गाता। जो देता है सबको सपनों का सहारा,वो खुद अकेला क्यों रह जाता है बेचारा? वो भी इंसान है, पत्थर नहीं,उसके भी अरमान हैं, कोई समझ नहीं। उसकी चुप्पी में एक गहरा समंदर है,उसका हर दिन, एक नया संघर्ष है। तो चलो, अब उसकी भी कहानी लिखी जाए,उसकी वेदना को भी स्वर दिए जाएं। शादीशुदा पुरुष को भी सम्मान मिले,उसकी मेहनत और संघर्ष को सराहा जाए। वो भी जीता है, वो भी सहता है,उसकी भी कहानी अब कही जाए। क्योंकि वो भी समाज का आधार है,उसके बिना हर परिवार अधूरा संसार है। ©पूर्वार्थ #आदमी
Parasram Arora
White हर आदमी ताउम्र शिद्दत से जीने की पूरी कोशिश करता है ये आदमी की मजबूरी है कि इसके बावजूद उसे मरना पड़ता है ता उम्र आदमी की हथेली मे पुरानी लकीरे मिटती रहती है और नई लकीरे बनती रहती है लेकिंन एक दिन हथेली मे एकभी लकीर बचती नहीं और हथेली को सपाट होना ही पड़ता है ©Parasram Arora आदमी की मजबूरी
आदमी की मजबूरी
read moreAvinash Jha
White आदमी है आदमी है, बस नाम का, भीतर से खाली, दिखावे का। मिट्टी से बना, माटी का तन, फिर भी अहंकार, जैसे अमर धन। हाथ में है चाँद पकड़ने का हुनर, पर भूल गया दिल के सागर। दुनिया सजाई, सपने बुने, पर रिश्तों के पुल, कहीं छूटे। आदमी है, पर इंसान कहां? जुड़ा है धरती से, पर आसमान कहां? स्वार्थ की जंजीर, उसे जकड़े, परम सत्य की राह, कैसे पकड़े? फिर भी उम्मीद है, दीप जलेगा, भीतर का इंसान कभी तो जागेगा। प्रेम, करुणा, और सत्य का दीप, आदमी को इंसान बनाएगा। ©Avinash Jha #आदमी
manju Ahirwar
मैंने छुपाया है उसे खुद से भी ज्यादा अगर बता दिया जाता तो ख़ास से आम हो जाता ।। फिर मैंने भी भी उसे ख़ास बनाकर ही रखना तय किया ।। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~`````~~~~~~~~~~~~~~ ~~~~~~~~~~~~~~~~``~~~~|~~~~~~~~~~~~ ©manju Ahirwar #sad_quotes #ख़ास #love #आम
#sad_quotes #ख़ास love #आम
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