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AnuWrites@बेबाकबातें

#khoj #आदमी का #सफर... हर #वक्त एक जैसा कहा होता है । #रात है तो जी लेता है जरा जरा , #दिन में तो वो जिंदा भी कहा होता है । हर दिन उतरना #ख्वाहिशों #डूबना #समुन्दर #तैरकर

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आदमी का सफर...
हर वक्त एक जैसा कहा होता है ।
रात है तो जी लेता है जरा जरा , 
दिन में तो वो जिंदा भी कहा होता है ।
हर दिन उतरना पड़ता है ,
ख्वाहिशों के समुन्दर में ,
ढूंढने को चाहतों के मायने,
तैरकर नही पार कर पाता वो कभी ,
और उसे डूबना भी नहीं होता है..!!

©Anu...Writes #khoj 

#आदमी का #सफर...
हर #वक्त एक जैसा कहा होता है ।
#रात है तो जी लेता है जरा जरा , 
#दिन में तो वो जिंदा भी कहा होता है ।
हर दिन उतरना

KRUNAL JADAV

दिन से ज़्यादा रात में हुए जागृत, भावि प्रकाशित होगा, अभी सब अनावृत; अंधकार से घेरती ये निशा, फिर भी आगे बढ़े, जो सच्ची हो दिशा; कर्तव्यपथ प #Challenge #YourQuoteAndMine #ગુજરાતી #gujaratiquotes #yqmotabhai #yqgujarati #નિશાચર

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દિવસ કરતાં રાત્રે વધું થયાં જાગૃત,
ભાવિ પ્રકાશિત હશે, હાલ બધુ અનાવૃત;

અંધકારથી ઘેરાયેલી ભલે હોય આ નિશા,
છતાં આગળ વધાય છે, જો સાચી હોય દિશા;

કર્તવ્ય પથ પર ચાલી રહ્યાં બનીને નિશાચર,
હૈયામાં આશ રાખી, શોધવાને પ્રકાશિત સ્થળ. दिन से ज़्यादा रात में हुए जागृत,
भावि प्रकाशित होगा, अभी सब अनावृत;

अंधकार से घेरती ये निशा,
फिर भी आगे बढ़े, जो सच्ची हो दिशा;

कर्तव्यपथ प

{¶पारसमणी¶}

लुकाछिपी खेलती हो क्यूं, कहीं लुकी छिपी के ईस खेल मे , तुम मुझे कहीं खो ना बैठो! देखने को भी तरसों ताउम्र मुझे , भटको तुम दर बर दर , मुझे ढ #Love

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लुकाछिपी खेलती हो क्यूं,
कहीं लुकी छिपी के ईस खेल मे ,
तुम मुझे कहीं खो ना बैठो!

देखने को भी तरसों ताउम्र मुझे,
भटको तुम दर बर दर,
मुझे ढूंढने को ताउम्र,
और क्या पता मै कहीं ना मिलुं!

और तुम तरस जाओ ऐसे,
मुझे देखने को,
जैसे चांद को देखने के लिए,
अमावस्या की रात!

©¶पागल¡शायर¡शुभ¶ लुकाछिपी खेलती हो क्यूं,
कहीं लुकी छिपी के ईस खेल मे ,
तुम मुझे कहीं खो ना बैठो!

देखने को भी तरसों ताउम्र मुझे ,
भटको तुम दर बर दर ,
मुझे ढ

kunwar Surendra

झील की गहराई में कुछ ढूंढने को उतरे तो बहुत कुछ वो मिला जो झील को भी न खबर मासूमियत,शरारत नज़ाकत क्या क्या बताये कुछ और गहरा जाकर देखते है श

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झील की गहराई में 
कुछ ढूंढने को उतरे
तो बहुत कुछ वो मिला
जो झील को भी न खबर थी
मासूमियत,शरारत
नज़ाकत क्या क्या बताये
कुछ और गहरा जाकर देखते है
शायद कुछ ऐसा मिल जाये
शायद झील में हम जाए 
डूब कर मर जाये
या झील हमारी ही हो जाये 
हम में डूब कर
Kunwarsurendra झील की गहराई में 
कुछ ढूंढने को उतरे
तो बहुत कुछ वो मिला
जो झील को भी न खबर
मासूमियत,शरारत
नज़ाकत क्या क्या बताये
कुछ और गहरा जाकर देखते है
श

Pallavi Shekhar

तू मेरी हसरत ना बन, मेरी चाहत ना बन। मेरी रूह में समा जा, बस इतना कर दे। मेरे ख्यालों को अब, बस हकीकत कर दे, तुझे ढूंढने को अब, ये नैन न तरस

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Sarthak dev

वो क्यों भूल जाता है की उसके लिए कोई गाता भी है उसकी मुस्कराहट के लिए खुद आंसू पोछ मुस्कुराता भी है वो क्यों भूल जाता है शाम को उसके मोहल्

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वो क्यों भूल जाता है की उसके लिए कोई गाता भी है 
उसकी मुस्कराहट के लिए खुद आंसू पोछ मुस्कुराता भी है 
वो क्यों भूल जाता है शाम को उसके मोहल्ले में उसका घर ढूंढने कोई अक्सर साइकिल से जाता भी है 
वो मोहब्बत तो बस इतनी करता है उससे 
की वो पास हो तो सबकुछ भूल जाए और न हो तो 
अपनी परछाई में उसे हर वक्त पाए ।।
हर दफा वो उस परछाई में उसे देख उसका हाथ हाथ मे लेके दूर बैठी सच्चाइयों को झुठलाता भी है ।।
वो क्यों भूल जाता है उसके लिए कोई गाता भी है 
उसकी मुस्कुराहट के लिए खुद आंसू पोछ मुस्कुराता भी है । वो क्यों भूल जाता है की उसके लिए कोई गाता भी है 
उसकी मुस्कराहट के लिए खुद आंसू पोछ मुस्कुराता भी है 
वो क्यों भूल जाता है शाम को उसके मोहल्

Prashant choudhary

दिल में एक शोर लिए ख़ामोश लौट आया हां,मैं उससे चार कदम पर था, लौट आया ।। अब जैसे खत्म हुई दफ्तर की नौकरी , वो मेरी जगह बैठने वाला, लौट आया

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दिल में एक शोर लिए ख़ामोश लौट आया
हां,मैं उससे चार कदम पर था, लौट आया ।।

अब जैसे खत्म हुई दफ्तर की नौकरी ,
वो मेरी जगह बैठने वाला, लौट आया ।। 

हो रहे थे जज़्बात नीलाम कहीं चौराहे पर
मैं भीड़ में से झांका और ,लौट आया ।।

सर को आराम था उसके मेरे कांधे पर कल तक
शायद वो  उसका चाहने वाला , लौट आया ।।

एक उड़ान फिर भरी पनाह ढूंढने को मयखाने तक
चाँदना सा हुआ और परिंदा घर, लौट आया ।। दिल में एक शोर लिए ख़ामोश लौट आया
हां,मैं उससे चार कदम पर था, लौट आया ।।

अब जैसे खत्म हुई दफ्तर की नौकरी ,
वो मेरी जगह बैठने वाला, लौट आया

Ankur tiwari

#Exploration चलो माना गलत है दहेज़ पर क्या देने से खुद को रोक पाओगे जब भी जाओगे ढूंढने को रिश्ता नौकरी पैसा ओहदा भूल पाओगे कहने को कह तो #Motivational

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चलो माना गलत है दहेज़ पर 
क्या देने से खुद को रोक पाओगे
जब भी जाओगे ढूंढने को रिश्ता 
नौकरी पैसा ओहदा भूल पाओगे
कहने को कह तो कह देते हैं सभी 
कि हैं बुरी बात यूं दहेज़ लेना
पर क्या कम पैसे सामान्य नौकरी वाले से 
अपनी बिटिया की शादी कराओगे 
सब लोग ढूंढ रहें इस समाज में 
अपने लिए दौलत मंद दामाद 
क्या किसी गरीब के साथ तुम
अपनी बिटिया का घर बसा पाओगे
गर नही तो तुम्हें अधिकार नही हैं 
दहेज़ के खिलाफ़ बोलने का
तुम्हें अधिकार नहीं हैं सारे लड़को को 
एक ही तराजू पर तोलने का
तुम्हें कोई अधिकार नही हैं 
हम पर यूं बेवजह लांछन लगाने का 
तुम्हें कोई अधिकार नहीं हैं 
इस समाज को दहेज़ लोभी बताने का
©® अंकुर तिवारी

©Ankur tiwari #Exploration 
चलो माना गलत है दहेज़ पर 
क्या देने से खुद को रोक पाओगे
जब भी जाओगे ढूंढने को रिश्ता 
नौकरी पैसा ओहदा भूल पाओगे
कहने को कह तो

Markanday Rai

याद आती है मुझको, बचपन की वह सांझ जब सब मिलकर खेलते थे आइस पाइस छुपते थे सब यहां वहां जिसे जहां ओट मिली, महज़ एक धप्पे से ही

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याद आती है मुझको,
 बचपन की वह सांझ
 जब सब मिलकर 
खेलते थे आइस पाइस
 
छुपते थे सब यहां वहां 
जिसे जहां ओट मिली,
 महज़ एक धप्पे से ही

Rekha Pandey

मुझे ढूंढने को जो मंदिर मस्जिद में जाते हो मै बसा हूं फूलों में, हवा और आग जैसा हूं ना मैं कृष्ण जैसा हूं ना मैं राम जैसा हूं फुटपाथ पर लेटा

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 मुझे ढूंढने को जो मंदिर मस्जिद में जाते हो
मै बसा हूं फूलों में, हवा और आग जैसा हूं
ना मैं कृष्ण जैसा हूं ना मैं राम जैसा हूं
फुटपाथ पर लेटा
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