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#R.J..!मुरखनादान#
*ब्राह्मणों को दोष देने के बजाय अपनी कमियों को दूर करें* * ब्राह्मणों को दोष देने की बजाय अपना गिरेबान भी देखे...हमेशा सवर्ण समाज गलत नहीं होता*... *-:- कड़वा सत्य -:-* *उच्चवर्ग* :- संविधान पढता है। *निम्नवर्ग* :- भागवत कथा, रामचरित, अखण्ड रामायण, सत्यनारायण कथाओं मे मूर्ख बनता है !! *उच्चवर्ग* :- शिक्षा से कोम्प्रोमाईज नही करता। *निम्नवर्ग* :- धर्म और पाखण्ड से समझौता नही करता !! *उच्चवर्ग* :- अंधविश्वाश फैलाता है। *निम्नवर्ग* :- उसका शिकार होता है !! *उच्चवर्ग* :- सत्ता के लिए पागल रहता है। *निम्नवर्ग* :- अपना वोट बेचता है। तथा शराब व मुर्गा में मस्त रहता है !! *उच्चवर्ग* :- सत्ता के लिए,धर्म के लिए दिन रात भागता है। *निम्नवर्ग* :- के पास टाइम नही है !! *उच्चवर्ग* :- वर्चस्व की लड़ाई लड़ते है। *निम्नवर्ग* :- पेट की लड़ाई लड़ते है !! *उच्चवर्ग* :- बच्चों की निगाहें सत्ता, जज की कुर्सी पर होती है। *निम्नवर्ग* :- की निगाहें चपरासी बनने पर *उच्चवर्ग* :- की महिलाएं ऑफिस संभालती है। IAS,IPS Dr engr etc. *निम्नवर्ग* :- की महिलाएं शिव व्रत कथा, सन्तोषी मां, सोमवार का व्रत,भगवती व्रत जागरण, ओझा, सोखा, भूत प्रेत, पिचास, डायन, चुड़ैल, आशाराम, राम रहीम,शनि महाराज में ब्यस्त है। दोनों वर्ग एक दूसरे का कैसे करे मुकाबला ? ©Rahul R.J..!♥️ *ब्राह्मणों को दोष देने के बजाय अपनी कमियों को दूर करें* * ब्राह्मणों को दोष देने की बजाय अपना गिरेबान भी देखे...हमेशा सवर्ण समाज गलत नहीं
*ब्राह्मणों को दोष देने के बजाय अपनी कमियों को दूर करें* * ब्राह्मणों को दोष देने की बजाय अपना गिरेबान भी देखे...हमेशा सवर्ण समाज गलत नहीं #zindagikerang
read moreNegi Girl Kammu
White समाज सुनने में जितना ही सरल है ,समझने में उतना ही कठिन है। कहते हैं, कोई भेदभाव नहीं है हमारे समाज के अंदर । पर देखो ना, यहां तो पत्थर से बने हुए दो भवनों में भी अंतर है । एक को समाज घर समझ लेता है ,तो दूसरे को मंदिर । मुझे तो हर चीज में भेदभाव नजर आता है। हरी घास में ,हरे पेड़ों में ,सुंदर से खिले हुए फूलों में । यहां तक कि इंसान के पैदा किए हुए छोटे-छोटे बच्चों में भी । प्रकृति के दिए हुए सुंदर से जल में भी यहां भेदभाव ही किया जाता है। देखो ना कैसे बांट दिया है इंसान ने हर एक चीज को। कहते हैं कि मानव जीवन को सुलझा हुआ होना चाहिए । जब उलझे समाज में मानव पैदा होगा, तो सोचो उसका जीवन कैसे सुलझेगा। ©Negi Girl Kammu समाज
समाज #कविता
read moreSarita Malik Berwal
समाज किस दिशा में जाएगा इसका निर्धारण शिक्षा, संस्कार और सत्ता द्वारा होता है। तीनों की दशा और दिशा को सही करने की आवश्यकता है। किसी की सोच उसकी व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि शक्ति के ताने-बाने में बने उसके पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अनुभवों का परिणाम है। यदि समाज स्वतः ही आदर्श स्थिति प्राप्त कर सकता तो सरकारों और संस्कारों दोनों की ज़रूरत ही क्या थी? शक्ति का संचार ऊपर से नीचे की ओर होता है, नीचे से ऊपर की ओर नही। नीतियाँ नीयत तय करती हैं और नीयत अपने अनुरूप नीतियों को गति देती हैं। शिक्षा समाज के चिंतन को बदलने का हुनर रखती है और सरकार सामाजिक और आर्थिक हालात को बदलने की औकात। -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal #समाज
Nisha Singh
मान मिले सम्मान मिले, भेद भाव न हो किसी में,, समान अधिकार मिले, अवसर सब को समान मिले,, यहीं जस्टिस नारा है, जन जन ने ये पुकारा है....!! ©Nisha Singh #समाज #
समाज #
read morekanchan Yadav
नियम कानून के दायरे में हर काम रहे कायदे में क्षति हानि ना किसी को होय समाज रहें विकसित हर कोई हो पुलकित ©kanchan Yadav #समाज
राजा बाबू!! बिहारी बाबू
मोहमाया में लोग हमेसा दुःखी रहते है, और भगवान शनि महाराज की चाहने वाले लोग हमेसा खुशी रहते है। # शुभ रात्रि # ©राजा बाबू!! बिहारी बाबू # समाज #
# समाज #
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