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White रात कुछ ऐसा हुआ" रात कुछ ऐसा हुआ " ज़िन्दगी में कि सुना तो था, मगर इस तरह होता है ये पता न था। उसके छूते ही मेरे रोम रोम में सिहरन सी उठी, आंखों से कैसे दिल में उतरता है कोई ये पता न था। अनुज कुमार हेयय क्षत्रिय © # रात कुछ ऐसा हुआ"
# रात कुछ ऐसा हुआ"
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
White ज़िन्दगी पूछती है ज़िन्दगी जियोगे कब। स्वाद इस ज़िन्दगी की मौज का चखोगे कब। ऊम्र अपनी बिता रहे हो फंँस के उलझन में - आसमाँ पर उड़ानें सपनों की भरोगे कब। आप खुद से बताओ यार अब मिलोगे कब। क़ैद कर रखा है खुद को जो तुम खुलोगे कब। पालते हो क्यूँ दिल में ग़म उदास रहते हो- रंग जीवन में अपने खुशियों की भरोगे कब। जी रहे हो घुटन में खुल के साँस लोगे कब। दुःख के दुश्मन को हौसलों से मात दोगे कब। कुछ नहीं मिलता है औरों के लिए जीने से- हो चुके सब के बहुत अपने बता होगे कब। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #कब
TARUN KUMAR VIMAL
White जिंदगी मे बस दो नियम लागू होते है, आदमी क्या कर सकता है, और क्या नहीं कर सकता ©TARUN KUMAR VIMAL #good_night #जिंदगी मे बस दो नियम लागू होते है, #आदमी क्या कर सकता है, और क्या नहीं कर #सकता #tarun_kumar_vimal #tarunkumarvimal #complicat
#good_night #जिंदगी मे बस दो नियम लागू होते है, #आदमी क्या कर सकता है, और क्या नहीं कर #सकता #tarun_kumar_vimal #tarunkumarvimal complicat
read moreParasram Arora
green-leaves एक अरसा हुआ उनसे मुलाक़ात हुये आज अचानक वे सामने हैँ लेकिन आवाज़ मेरी थरथराई हैँ और आँख भी भर आई हैँ ©Parasram Arora एक अरसा हुआ
एक अरसा हुआ
read moreShashi Bhushan Mishra
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset आदत से मज़बूर हुआ, गिरा तो चकनाचूर हुआ, प्रेम की संकरी गलियों में, ख़ुद से कितना दूर हुआ, गफ़लत में फुंसी समझा, बढ़ा तो फ़िर नासूर हुआ, जिस घर में था अंधियारा, जला दीप पुरनूर हुआ, चढ़ा नशा जब भक्ति का, आठों याम सुरूर हुआ, मंज़िल मिली मुसाफ़िर से, ग़म दिल से क़ाफूर हुआ, देख घटाओं की शोखी, 'गुंजन' हृदय मयूर हुआ, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #'गुंजन' हृदय मयूर हुआ#
#'गुंजन' हृदय मयूर हुआ#
read moreकौशल ~
White कभी जो कोई पुरुष रोये तुम्हारे आगे तो भर लेना बांहो में और संभाल लेना उन्हें। क्योंकि... ये रोये है तो केवल माँ के आगे... दुसरा उस स्त्री के आगे जिस पर ये भरोसा था की वो समझेगी। बिना कुछ सवाल किये उन्हें थपकाते रहना... और आंचल से पूंछना उनके अश्रु ये जो बह रहा है वो लाचारी नही... ये तो दर्द है सफलता असफलता का, तानों का, अकेलेपन का, जोर से रोने का, कई बार...बिखरने का और अंततः वो रोना चाहते है दर्द को कहना चाहते है कि दर्द हुआ है सीने में। जो छुपाए रखा फिजूल में समाज के भय से कोई ये न कहे की मर्द को दर्द नही होता । शायद! ये परिभाषा उसे कभी ठीक नहीं लगी क्योंकि वो पत्थर नहीं है जो महसूस न हो उसे दर्द की बेहद!!! कौशल्या मौसलपुरी जोधपुर ©कौशल ~ #Sad_Status रोता हुआ पुरुष
#Sad_Status रोता हुआ पुरुष
read moreParasram Arora
Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora कब?
कब?
read morekevat pk
White उनसे दूर जाने पर दिल उदास है ,पर फिर सोचता हूं मैं वापस उनसे मिलने की खुशी से कम और सारी उदासी दूर।। ©kevat pk # उनसे दूर हुआ
# उनसे दूर हुआ
read moreF M POETRY
White ग़मगीन है ये क़ल्ब बेशुमार क्या हुआ.. है क़ल्ब बहुत ज्यादा बेकरार क्या हुआ.. घर बार है हयात है दुनियाँ में सब तो है.. पाया न मैंने सिर्फ तेरा प्यार क्या हुआ.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #क्या हुआ...
#क्या हुआ...
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