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संजय जालिम " आज़मगढी"
White अफ़साना दिल का कहूँ कैसे दीवाना दिल को रखू कैसे माना मैं मुफ़्लिस् ,काफिर हु ज़माने का उनके सिवा "जालिम" उल्फ़त में जियु कैसे ©संजय जालिम " आज़मगढी" # जीयु कैसे#
# जीयु कैसे#
read moreDeepankar
White जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम..... ©Deepankar #Thinking जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम
#Thinking जिसने जैसा सोच लिया वैसे हैं हम, बाकी मेरे "ईश्वर" जानते हैं कैसे हैं हम
read moregaTTubaba
White उस चेहरे पर इतना भी क्या मरना की चेहरा छुपाने की नौबत आ जाएं वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं ©gaTTubaba #Sad_Status वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं
#Sad_Status वो जिंदगी कैसे हो सकती हैं जिसकी वजह से मौत आ जाएं
read moreParasram Arora
White ये बात कित्नी अजीब है कि सांसे मेरी धीमी और मंद होती जा रहीं जबकि मेरी नब्ज़ ने फड़कना बन्द कर दिया है अब ये कैसे तय हो कि मै कितनी देर या कितने दिन और जीता रहूगा ? और मानलो मरना ही पढ़ा तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा ©Parasram Arora कैसे तय हो?
कैसे तय हो?
read morevish
सोचा चलो आज कुछ लिखते हैं दास्ताँ ने ख़ास रखते हैं आपके सामने कुछ महफूज़ रखते हैं कुछ दिल की बात साझा करते हैं महफ़िलें रंगिन हुई होगी कईं इस पल को यादगार करते हैं आज कुछ कह चलते हैं जिंद़गी ©vish # आज कुछ लिखते हैं
# आज कुछ लिखते हैं
read moreचेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
जैसा हम लिखते हैं, वैसा ही; हमारे व्यवहार में हो, हमें अपेक्षा रहती है, हमसे किसी की उपेक्षा ना हो, हमने भी देखा है , ज़माने में लोगों को बदलते हुए, हमसे छोटा ही रहें, संसार में हमसे कोई बड़ा ना हो। (मौलिक रचना) चेतना प्रकाश चितेरी ४/१/२०२५, ७:३० अपराह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो
# जैसा हम लिखते हैं वैसा ही ; हमारे व्यवहार में हो
read moreJayesh gulati
Unsplash कैसे मिटाऊं। (read full in caption) ©Jayesh gulati मैं को, मैं की याद से कैसे मिटाऊं । तुझको अपनी याद से कैसे मिटाऊं ।। करता हूँ कोशिश, अब मैं, खुद से भी दूर रहने की । मैं इस जिस्म से, तेरी
मैं को, मैं की याद से कैसे मिटाऊं । तुझको अपनी याद से कैसे मिटाऊं ।। करता हूँ कोशिश, अब मैं, खुद से भी दूर रहने की । मैं इस जिस्म से, तेरी
read moreParasram Arora
Unsplash कैसे पता लगे कि कौनसी बात न्याय संगत है और कौनसी बात व्यर्थ कागज़ी फूलों पर तुमने कभी किसी भवरे को बैठते हुए देखा है क्या? ©Parasram Arora कैसे पता लगे?
कैसे पता लगे?
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